भोपाल गैस त्रासदी : यूनियन कार्बाइड के कचरे को भस्म करने के दूसरे दौर के परीक्षण की तैयारी जारी
हर्ष पारुल
- 04 Mar 2025, 07:38 PM
- Updated: 07:38 PM
इंदौर, चार मार्च (भाषा) मध्यप्रदेश के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के एक अपशिष्ट निपटान संयंत्र में यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे को भस्म करने के दूसरे दौर के परीक्षण की तैयारी मंगलवार को भी जारी रही और यह परीक्षण बुधवार से शुरू हो सकता है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
भोपाल में बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन कचरे के निपटान की योजना के तहत इसे सूबे की राजधानी से करीब 250 किलोमीटर दूर पीथमपुर में एक निजी कंपनी की ओर से संचालित अपशिष्ट निपटान संयंत्र में दो जनवरी को पहुंचाया गया था।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक इस कचरे के निपटान का परीक्षण सुरक्षा मानदंडों का पालन करते हुए तीन दौर में किया जाना है और अदालत के सामने तीनों परीक्षण की रिपोर्ट 27 मार्च को पेश की जानी है।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी श्रीनिवास द्विवेदी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘पीथमपुर के अपशिष्ट निपटान संयंत्र में यूनियन कार्बाइड कारखाने के 10 टन कचरे को परीक्षण के तौर पर भस्म करने का पहला दौर 28 फरवरी से शुरू होकर तीन मार्च (सोमवार) को खत्म हुआ था। दूसरे दौर के परीक्षण की तैयारी के तहत संयंत्र के भस्मक और अन्य उपकरणों की सफाई की जा रही है।’’
उन्होंने बताया कि सफाई की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दूसरे दौर का परीक्षण बुधवार (पांच मार्च) से शुरू हो सकता है, जिसके तहत यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के 10 टन की एक और खेप को भस्म किया जाएगा।
द्विवेदी के अनुसार, पहले दौर का परीक्षण करीब 75 घंटे चला था और इस दौरान संयंत्र के भस्मक में हर घंटे 135 किलोग्राम कचरा डाला गया था। उन्होंने बताया कि दूसरे दौर के परीक्षण के दौरान भस्मक में हर घंटे 180 किलोग्राम कचरा डाला जाना है।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, कचरे के निपटान के पहले दौर में इस संयंत्र से पार्टिकुलेट मैटर (पीएम), सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोजन क्लोराइड, हाइड्रोजन फ्लोराइड और टोटल ऑर्गेनिक कार्बन का उत्सर्जन मानक सीमा के भीतर पाया गया था।
प्रदेश सरकार के अनुसार, यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे में इस बंद पड़ी इकाई के परिसर की मिट्टी, रिएक्टर अवशेष, सेविन (कीटनाशक) अवशेष, नेफ्थाल अवशेष और "अर्द्ध प्रसंस्कृत" अवशेष शामिल हैं।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि वैज्ञानिक प्रमाणों के मुताबिक इस कचरे में सेविन और नेफ्थाल रसायनों का प्रभाव अब ‘‘लगभग नगण्य’’ हो चुका है।
बोर्ड ने कहा कि फिलहाल इस कचरे में मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का कोई अस्तित्व नहीं है और इसमें किसी तरह के रेडियोधर्मी कण भी नहीं हैं।
भोपाल में दो और तीन दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था, जिससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है।
भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार कारखाने का कचरा पीथमपुर लाए जाने के बाद इस औद्योगिक क्षेत्र में कई विरोध-प्रदर्शन हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने इस कचरे के निपटान से इंसानी आबादी और आबो-हवा को नुकसान पहुंचने की आशंका जताई है।
हालांकि, प्रदेश सरकार ने इस आशंका को सिरे से खारिज किया है। उसका कहना है कि पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई में यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के सुरक्षित निपटान के पक्के इंतजाम किए गए हैं।
भाषा
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