वर्ष 1931 के 'शहीदों' पर भाजपा नेता की टिप्पणी को लेकर पीडीपी का विरोध प्रदर्शन, माफी की मांग
राखी मनीषा
- 06 Mar 2025, 03:09 PM
- Updated: 03:09 PM
श्रीनगर, छह मार्च (भाषा) पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने बृहस्पतिवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विपक्ष के नेता सुनील शर्मा की वर्ष 1931 के 'शहीदों' पर की गई टिप्पणी के खिलाफ यहां विरोध मार्च निकाला और भाजपा विधायक से माफी की मांग की।
पीडीपी नेता इल्तिजा मुफ्ती के नेतृत्व में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पार्टी मुख्यालय से लाल चौक की ओर मार्च किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें पोलो व्यू के पास रोक दिया।
प्रदर्शनकारियों ने "13 जुलाई 1931 के शहीद हमारे नायक हैं" और "13 जुलाई 1931 की कुर्बानियां कभी नहीं मरेंगी" लिखीं तख्तियां लेकर भाजपा और शर्मा के खिलाफ नारेबाजी की।
इल्तिजा मुफ्ती ने पत्रकारों से कहा कि उन शहीदों ने जम्मू-कश्मीर में 'तानाशाही' शासन को समाप्त करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने कहा, "हम शहीदों का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर उन्होंने बलिदान न दिया होता तो यहां लोकतंत्र स्थापित नहीं होता।"
उन्होंने शर्मा से माफी मांगने की मांग की और कहा, "हम भाजपा की ऐसी सभी योजनाओं को नाकाम कर देंगे। वे सभी 22 शहीद हमारे नायक हैं और हम उनकी कुर्बानियों को हमेशा याद रखेंगे।’’
इल्तिजा ने अन्य दलों से पीडीपी विधायक वहीद पारा द्वारा लाए गए उस प्रस्ताव का समर्थन करने की अपील की जिसमें 13 जुलाई और 5 दिसंबर -नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के जन्मदिन—पर छुट्टियां बहाल करने की मांग की गई है।
शर्मा ने बुधवार को यह टिप्पणी तब की थी जब पारा ने विधानसभा के चल रहे बजट सत्र के दौरान इन दो छुट्टियों की बहाली की मांग की थी। बाद में विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथेर ने शर्मा की 'आपत्तिजनक टिप्पणी' को सदन की कार्यवाही से हटा दिया।
डोगरा सेना के सैनिकों ने 13 जुलाई 1931 को एक विद्रोह के दौरान 20 से अधिक प्रदर्शनकारियों को मार दिया था। यह विद्रोह जम्मू-कश्मीर के अंतिम शासक महाराजा हरि सिंह के खिलाफ किया गया था।
भाजपा ने प्रदर्शनकारियों को महाराजा हरि सिंह के खिलाफ विद्रोह करने वाले बताया और कहा कि इस दिन को दोबारा मान्यता नहीं दी जाएगी।
शर्मा ने बुधवार को पत्रकारों से कहा, "मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि 13 जुलाई, जिसे ये (कश्मीरी नेता) 'शहीद दिवस' कहते हैं, हम इसे 'गद्दार दिवस' मानते हैं। यह दिन जम्मू-कश्मीर की भूमि पर फिर से नहीं लौटेगा।"
जम्मू-कश्मीर में 13 जुलाई को सार्वजनिक अवकाश होता था और राज्यपाल या मुख्यमंत्री इस दिन नौहट्टा क्षेत्र में आयोजित आधिकारिक कार्यक्रम में उन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते थे।
हालांकि, वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद यह अवकाश रद्द कर दिया गया और अब आधिकारिक कार्यक्रम नहीं आयोजित किए जाते।
भाषा राखी