पंजाब: एसकेएम की 10 मार्च को आप विधायकों के आवासों के बाहर धरना देने की घोषणा
अमित माधव
- 06 Mar 2025, 10:17 PM
- Updated: 10:17 PM
चंडीगढ़, छह मार्च (भाषा) संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि वह किसानों के खिलाफ पंजाब पुलिस की कार्रवाई के विरोध में 10 मार्च को आम आदमी पार्टी (आप) विधायकों के आवासों के बाहर धरना देगा।
इस संबंध में निर्णय लुधियाना में एसकेएम द्वारा आयोजित एक आपात बैठक में लिया गया। उक्त बैठक ऐसे समय में हुई जब पंजाब पुलिस ने बुधवार से शुरू होने वाले एक सप्ताह के धरने के लिए एसकेएम के आह्वान पर चंडीगढ़ जाने के किसानों के प्रयास को विफल कर दिया था। किसानों को रोकने के लिए राज्य भर में कई जांच चौकियां स्थापित की गईं और केंद्र शासित प्रदेश के सभी प्रवेश बिंदुओं पर सुरक्षा बढ़ा दी गई।
एसकेएम 30 से अधिक किसान संगठनों का एक समूह है और उसने अपनी विभिन्न मांगों के समर्थन में चंडीगढ़ में धरने का आह्वान किया था। किसानों की इन मांगों में राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर छह फसलों की खरीद की मांग भी शामिल है।
लुधियाना में बृहस्पतिवार को हुई बैठक में एसकेएम नेताओं ने किसानों के खिलाफ पंजाब पुलिस की कार्रवाई की कड़ी निंदा की।
भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह लाखोवाल ने बैठक में कहा कि 10 मार्च को पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न तीन बजे तक आम आदमी पार्टी (आप) विधायकों के आवासों के बाहर धरना देने का फैसला लिया गया है। उन्होंने किसानों को अपनी आवाज उठाने के लिए केंद्र शासित प्रदेश जाने से रोकने के लिए आप सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘‘आप सरकार ने हमें चंडीगढ़ नहीं जाने दिया।’’
लाखोवाल ने कहा कि एसकेएम ने बुधवार को पंजाब में कई स्थानों पर शुरू हुए अपने 'धरनों' को भी हटाने का फैसला किया है, जो तब शुरू किया गया था जब पुलिस ने उन्हें चंडीगढ़ जाने से रोक दिया था।
एसकेएम नेताओं ने आप नेताओं की आलोचना भी की और उन पर "दुष्प्रचार" करने का आरोप लगाया कि किसानों की मांगें केवल केंद्र से संबंधित हैं।
एसकेएम नेता बूटा सिंह बुर्जगिल ने कहा कि उनकी अधिकांश मांगें पंजाब सरकार से संबंधित हैं। बुर्जगिल ने कहा, "हमारी 18 मांगें केवल पंजाब सरकार से संबंधित हैं। वे (आप नेता) जो कह रहे हैं कि हमारी मांगें केवल केंद्र से संबंधित हैं, वह झूठ है।’’
बुर्जगिल ने कहा कि उन्होंने छह फसलों - बासमती, मक्का, मूंग, आलू, फूलगोभी और मटर - के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग की है, जो पंजाब सरकार से जुड़ी हैं।
बुर्जगिल ने कहा कि 2020-21 में किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले कई किसानों के परिजनों को नौकरी और मुआवजा अभी तक नहीं दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि आप सरकार एसकेएम को "बदनाम" करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा पहले स्वीकार की गई उनकी कई मांगों को अभी तक लागू नहीं किया गया है।
एसकेएम नेताओं ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को 15 मार्च को किसानों की मांगों पर उनके साथ बहस करने की चुनौती दी।
मान ने मंगलवार को कई किसान संगठनों पर हर दूसरे दिन विरोध-प्रदर्शन करने के लिए निशाना साधा था और उन पर पंजाब को “धरनों का राज्य” बनाने तथा इसे भारी नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था।
मान ने सोमवार को किसानों की मांगों पर चर्चा के लिए पंजाब सरकार और एसकेएम नेताओं के बीच बातचीत के विफल रहने के बाद किसान संगठनों की निंदा की थी।
एसकेएम ने अब निरस्त किए जा चुके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 2020 के आंदोलन का नेतृत्व किया था। वह राज्य द्वारा कृषि नीति को लागू करने, राज्य सरकार द्वारा छह फसलों की एमएसपी पर खरीद, केंद्र के साथ समन्वय के बाद ऋण राहत के लिए कानूनी ढांचा, भूमि जोतने वालों को मालिकाना हक और गन्ने का बकाया भुगतान की मांग कर रहा है।
वह भारतमाला परियोजनाओं के लिए भूमि का “जबरन” अधिग्रहण रोकने और 2020-21 में किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को नौकरी एवं मुआवजा देने की भी मांग कर रहे है। साथ ही एसकेएम मांग कर रहा है कि प्रीपेड बिजली मीटर लगाने की नीति को रद्द किया जाए, आवारा पशुओं की समस्या का समाधान किया जाए तथा उर्वरकों और नकली बीजों की कालाबाजारी पर अंकुश लगाया जाए।
भाषा अमित