उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन नहीं करने को लेकर शीर्ष अदालत ने अधिकारियों की खिंचाई की
अमित दिलीप
- 10 Mar 2025, 05:11 PM
- Updated: 05:11 PM
नयी दिल्ली, 10 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने दैनिक वेतनभोगियों को नियमित करने के मामले में उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन नहीं करने को लेकर जम्मू कश्मीर के अधिकारियों की खिंचाई की और इसे ‘‘हठधर्मिता का स्पष्ट उदाहरण’’ बताया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग में 14 से 19 वर्ष तक काम करने वाले दैनिक वेतनभोगियों को नियमित करने के उच्च न्यायालय के 2007 के आदेश का पालन करने के बजाय राज्य अधिकारी उन्हें परेशान करने के लिए "समझ से परे आदेश" पारित करते रहे।
पीठ ने 7 मार्च को अपने आदेश में कहा, ‘‘हम यह कहने के लिए बाध्य हैं कि वर्तमान मामला राज्य के अधिकारियों/प्राधिकारियों द्वारा प्रदर्शित हठधर्मिता का स्पष्ट उदाहरण है, जो स्वयं को कानून की पहुंच से परे समझते हैं।’’
अदालत ने कहा कि प्राधिकारियों की "निष्क्रियता चौंकाने वाली और प्रथम दृष्टया अवमाननापूर्ण" थी, जिन्होंने 3 मई, 2007 के "उच्च न्यायालय के सरल आदेश" का अनुपालन करने में लगभग 16 वर्ष लगा दिए।
इसलिए, पीठ ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा लगाए गए 25,000 रुपये के जुर्माने में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और कहा कि अधिकारियों के साथ "सख्ती" से निपटा जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने कहा कि उसका मानना है कि उच्च न्यायालय द्वारा लगाया गए ‘‘प्रतीकात्मक जुर्माने" में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
दैनिक मजदूरों द्वारा 2010 में दायर अवमानना याचिका पर एकल न्यायाधीश के 16 अक्टूबर, 2024 के आदेश के खिलाफ केंद्र शासित प्रदेश को राहत देने से उच्च न्यायालय ने 4 दिसंबर, 2024 को इनकार कर दिया था और कहा था कि अधिकारियों ने 2007 के आदेश का पालन नहीं किया है।
प्रशासन के वकील ने कहा कि एकल न्यायाधीश ने संबंधित अधिकारियों की गिरफ्तारी का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, ‘‘एकल न्यायाधीश ने सही किया है।’’ पीठ ने कहा कि मामला ‘‘दोषी अधिकारियों पर अनुकरणीय जुर्माना लगाने के साथ ही उनके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश करने के लिए उपयुक्त भी है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हालांकि, हम वर्तमान में ऐसा करने से खुद को रोक रहे हैं, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अवमानना कार्यवाही अभी भी एकल न्यायाधीश के समक्ष लंबित है। इसलिए, हम एकल न्यायाधीश से साप्ताहिक आधार पर अवमानना मामले की सुनवायी करने और यह सुनिश्चित करने का अनुरोध करते हैं कि कानून की गरिमा और शुचिता अच्छी तरह से बनी रहे।’’
ग्रामीण विकास विभाग में काम करने वाले दैनिक वेतनभोगियों के एक समूह ने 2006 में उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके अपनी नौकरियों को इस आधार पर नियमित करने का अनुरोध किया था कि उन्होंने 14 से 19 वर्षों के बीच काम किया है।
भाषा
अमित