रेलवे का आंतरिक राजस्व सृजन लगातार कम हो रहा है जिसे बढ़ाना जरूरी है : आम आदमी पार्टी
मनीषा माधव
- 10 Mar 2025, 05:48 PM
- Updated: 05:48 PM
नयी दिल्ली, दस मार्च (भाषा) रेलवे के प्रबंधन को मजबूत करने की वकालत करते हुए आम आदमी पार्टी के एक सदस्य ने राज्यसभा में सोमवार को कहा कि रेलवे का आंतरिक राजस्व सृजन लगातार कम होता जा रहा है जिसे बढ़ाना बहुत जरूरी है अन्यथा आने वाले समय में वेतन एवं पेंशन के लिए मुश्किल हो सकती है।
आम आदमी पार्टी के संदीप कुमार पाठक ने रेलवे (संशोधन) विधेयक 2024 का समर्थन करते हुए कहा ‘‘यह विधेयक रेलवे के पूरे प्रबंधन का कायाकल्प करने का बहुत ही अच्छा अवसर था लेकिन इसे गंवा दिया गया। हम पुरानी ही बातों को दोहराते हैं लेकिन इसके बजाय यह देखना चाहिए कि आज की व्यवस्था में हम क्या और कितना बेहतर कर सकते हैं।’’
पाठक ने कहा ‘‘कभी रेलवे का महत्व इतना था कि उसका अलग से बजट होता था और उस पर चर्चा होती थी। आज की स्थिति में रेलवे के सामने मौजूद चुनौतियां देखना चाहिए। रेलवे की लागत पर ध्यान देना चाहिए और इसके लिए ‘ऑपरेटिंग कास्ट’ को देखना होगा। हमें क्षमता निर्माण पर ध्यान देना ही होगा जिसके लिए निवेश जरूरी है।’’
उन्होंने कहा कि रेलवे का आंतरिक राजस्व सृजन लगातार कम होता जा रहा है जो नहीं होना चाहिए। ‘‘इसे बढ़ाना होगा। राजस्व का 70 फीसदी भाग वेतन और पेंशन में जा रहा है। क्या रेलवे कर्मियों को पूरा प्रशिक्षण दिया गया है ? राजस्व नहीं बढ़ने पर आने वाले समय में वेतन और पेंशन कहां से दिया जाएगा ?’’
पाठक ने कहा ‘‘कुंभ के दौरान हुई भगदड़ बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। जान गंवाने वाले लोग वे थे जो शायद अपनी बात भी ठीक से नहीं रख पाते। हादसों को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास करने होंगे। कहने का मतलब यह है कि अगर प्रबंधन को मजबूत किया जाता तो बहुत कुछ हो सकता था लेकिन इसके बजाय रेलवे बोर्ड पर हम ध्यान दे रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि अफसरों के बजाय राजनीतिक नेताओं को जिम्मेदारी लेनी चाहिए क्योंकि उनके हाथ में बहुत कुछ है।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदीप कुमार वर्मा ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य रेलवे बोर्ड के परिचालन को स्वायत्तता प्रदान करना है जो कि एक क्रांतिकारी कदम है। ‘‘यह विधेयक मोदी की गारंटी के साथ साथ हर वर्ग के लिए रेल संपर्क बढ़ाने के लिए उठाया जा रहा एक कदम है जो रेलवे के ढांचे को विकसित करने के साथ साथ इसे मजबूती भी देगा।’
उन्होंने कहा कि अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत आज रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प हो चुका है।
इसी पार्टी के मदन राठौर ने कहा कि रेलवे को इस बार पहले की तुलना में नौ गुना अधिक बजट दिया गया है लेकिन फिर भी रेलवे के अलग बजट और इस पर अलग चर्चा की बात करना बेमानी है।
उन्होंने कहा कि टिकट न मिलने की बात करने वालों को देखना चाहिए कि आज ‘दलाल व्यवस्था’ खत्म हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि यह विधेयक वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप है और 2030 तक महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्राप्त करने में मददगार साबित होगा।
राठौर ने कहा कि हर मामले में मोदी सरकार के कार्यकाल में रेलवे ने प्रगति की है और दुर्घटनाएं कम हुई हैं।
इसी पार्टी के आदित्य प्रसाद ने कहा ‘‘रेलवे बोर्ड का पुनर्गठन करना अब संभव होगा और इससे कई समस्याओं के समाधान में मदद मिलेगी। ’’
उन्होंने कहा कि 2014 से लेकर अब तक 31000 किमी रेलवे ट्रैक का निर्माण करना, इसे सुरक्षित और कुशल बनाना और दूर दराज के इलाकों में ट्रेनों को पहुंचाना... ये कार्य बताते हैं कि केंद्र सरकार ने रेलवे पर कितना काम किया है।
उन्होंने कहा ‘‘यह सब करते समय पर्यावरण पर भी ध्यान दिया जा रहा है। ग्रीन स्टेशन पहल, सौर ऊर्जा से रेलवे स्टेशन पर काम और कचरे का पुन:चक्रीकरण इसका उदाहरण हैं।’’
समाजवादी पार्टी के रामजी लाल सुमन ने कहा ‘‘रेलवे बहुत बड़ा विभाग है और इसीलिए शक्ति का बंटवारा होना चाहिए। हर व्यक्ति वंदे भारत ट्रेन से सफर नहीं करता। आम आदमी और उसकी जरूरत को देखना चाहिए। लकीर पीटने से कुछ नहीं होता।’’
उन्होंने कहा ‘‘जब सरकार के पास तंत्र, सरकारी कर्मचारी नहीं है तो रेलवे काम कैसे करेगी। बड़ी संख्या में रेलवे में पद रिक्त हैं जिन पर भर्ती की जानी चाहिए और आउटसोर्सिंग बंद होनी चाहिए। कोरोनाकाल में बंद किए गए रेलवे के ठहराव दोबारा शुरु नहीं किए गए। वरिष्ठ नागरिकों की सुविधाएं बंद कर दी गईं। फिर यह विधेयक क्या मायने रखता है?’’
भाषा मनीषा