प्रधान ने एनईपी पर द्रमुक को घेरा, स्टालिन की पार्टी ने किया पलटवार
हक सुभाष
- 10 Mar 2025, 07:48 PM
- Updated: 07:48 PM
नयी दिल्ली, 10 मार्च (भाषा) राष्ट्रीय शिक्षा नीति और तीन भाषाओं की नीति को लेकर लोकसभा में सोमवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) के बीच तीखा आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिला। प्रधान ने द्रमुक पर तमिलनाडु के छात्रों के भविष्य को बर्बाद करने तथा एनईपी पर अपने रुख से पलटने का आरोप लगाया, वहीं राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी ने कहा कि उसे नई शिक्षा नीति और तीन भाषाओं का फार्मूला मंजूर नहीं है।
प्रधान ने लोकसभा में द्रमुक सदस्यों के विरोध के बीच, अपने वक्तव्य से एक शब्द वापस ले लिया और आसन ने भी इस शब्द को सदन की कार्यवाही से हटाने का निर्देश दिया।
प्रधान ने संसद परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि जिनके पास ठोस तथ्य नहीं हैं वे केवल दूसरों को गुमराह करने के लिए हंगामा खड़ा करने की कोशिश करते हैं।
उन्होंने कहा कि द्रमुक नीत तमिलनाडु सरकार को छात्रों के हित के लिए राजनीति से ऊपर उठना चाहिए।
इस मुद्दे पर, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधान पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी अहंकार को दर्शाती है।
उन्होंने कहा, ‘‘आप तमिलनाडु के लोगों का अपमान कर रहे हैं। क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसे स्वीकार करते हैं?’’
संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण की कार्यवाही सोमवार को शुरू हुई और लोकसभा में प्रश्नकाल सामान्य तरीके से आरंभ हुआ, लेकिन पीएम श्री (पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) योजना को लेकर द्रमुक सांसद टी सुमति के पूरक प्रश्न पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के जवाब के बाद द्रमुक सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।
सुमति ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को स्वीकार नहीं करने के कारण तमिलनाडु को पीएमश्री योजना के तहत आवंटित किए जाने वाले 2,000 करोड़ रुपये की केंद्रीय राशि अन्य राज्यों को हस्तांतरित कर दी गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं (शिक्षा) मंत्री से पूछना चाहती हूं कि क्या स्कूली छात्रों की शिक्षा के लिए धन आवंटन को राज्य के खिलाफ बदला लेने के औजार के तौर पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए?’’
सुमति ने कहा, ‘‘मैं केंद्र सरकार से पूछना चाहती हूं कि क्या वह संसद को आश्वासन देगी कि कानून के तहत जिस नीति को लागू नहीं किया जा सकता, उसे स्वीकार नहीं करने के लिए किसी भी राज्य को धन की कटौती का सामना नहीं करना पड़ेगा?’’
पूरक प्रश्न के उत्तर में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, ‘‘एक समय था जब तमिलनाडु सरकार केंद्र सरकार के साथ (एनईपी पर) एमओयू पर हस्ताक्षर करने को तैयार थी। तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री के साथ कुछ सदस्य हमारे पास आए थे और उन्होंने सहमति व्यक्त की थी।’’
उन्होंने कहा कि कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और पंजाब जैसे गैर-भाजपा शासित राज्य भी पीएमश्री योजना को अपना रहे हैं।
प्रधान ने कहा, ‘‘हम तमिलनाडु को वित्तीय आवंटन कर रहे हैं, लेकिन वे प्रतिबद्ध नहीं हैं। वे (द्रमुक) तमिलनाडु के छात्रों का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। वे जानबूझकर राजनीति कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। वे छात्रों के साथ अन्याय कर रहे हैं और अलोकतांत्रिक तरीके से व्यवहार कर रहे हैं।’’
उन्होंने द्रमुक पर तमिलनाडु के छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों को रोकने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार सबके लिए काम कर रही है।
प्रधान ने कहा, ‘‘मुझे ऐसी जानकारी है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एनईपी को स्वीकार करना चाहते हैं, लेकिन कुछ लोग उन्हें रोक रहे हैं जो भविष्य में मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। मुख्यमंत्री (स्टालिन) छात्रों के प्रति ईमानदार नहीं हैं।’’
पीएमश्री योजना के तहत एनईपी 2020 के सिद्धांतों के अनुरूप देश में आदर्श विद्यालय स्थापित किए जाने हैं।
मंत्री के जवाब के बीच ही द्रमुक के सदस्य आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे।
हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही बाधित हुई।
भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक पर चुनाव जीतने के लिए भावनाएं भड़काने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध करने के साथ देश की अन्य भाषाओं का भी विरोध कर रही है।
भाषा हक वैभव
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