असम विधानसभा में पॉलिटेक्निक के संविदा शिक्षकों की सेवा समाप्ति पर हंगामा
यासिर पवनेश
- 12 Mar 2025, 05:33 PM
- Updated: 05:33 PM
गुवाहाटी, 12 मार्च (भाषा) असम विधानसभा में बुधवार को सरकारी पॉलिटेक्निक संस्थानों से संविदा शिक्षकों की बर्खास्तगी के मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ, जिसके कारण कुछ देर के लिए सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा।
प्रश्नकाल के तुरंत बाद विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया ने इस मुद्दे पर कार्यस्थगन प्रस्ताव देते हुए 147 शिक्षकों की बर्खास्तगी को लेकर चर्चा की मांग की। इनमें से 64 शिक्षकों के हाल ही में हटाया गया है।
हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष विश्वजीत दैमारी ने चर्चा प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस विधायक दिगंत बर्मन द्वारा शून्यकाल के दौरान इस विषय पर चर्चा प्रस्ताव दिया जा चुका है और नोटिस स्वीकार कर लिया गया है।
उन्होंने सैकिया से कहा कि आप सभी लोग शून्यकाल के दौरान अपने पार्टी के सहयोगी द्वारा उठाये गये इस विषय पर चर्चा कर सकते हैं। इसलिए, मैंने स्थगन प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।
इस पर विपक्ष के नेता ने कहा कि 2017 से कार्यरत ये शिक्षक अपनी सेवाओं को नियमित करने की मांग कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘शिक्षकों ने पिछले सप्ताह गुवाहाटी में विरोध प्रदर्शन किया और अचानक उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। यह गलत है और हम सरकार से इस पर बयान की मांग करते हैं।’’
निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई ने कहा कि असम कोई ‘हिटलर का राज्य’ नहीं है और उन्होंने शिक्षकों की तत्काल बहाली की मांग की।
इसके बाद कांग्रेस, एआईयूडीएफ, माकपा और निर्दलीय विधायकों सहित पूरा विपक्ष सदन के आसन के समक्ष आ गया और हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाजी करने लगा।
इसके बाद दैमारी ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी।
कार्यवाही के दोबारा शुरू होने पर विपक्ष स्थगन प्रस्ताव और शिक्षकों की बहाली की मांग पर जोर देता रहा।
संसदीय कार्य मंत्री चंद्र मोहन पटवारी ने विपक्ष से बर्मन के शून्यकाल नोटिस पर इस मुद्दे पर चर्चा करने का आग्रह किया।
उस समय सदन की कार्यवाही का संचालन कर रहे विधानसभा उपाध्यक्ष नुमाल मोमिन ने विपक्ष से कहा कि वे इस मुद्दे को बाद में विस्तृत चर्चा के लिए उठाएं।
शिक्षा मंत्री रनोज पेगू ने बाद में एक अन्य विषय पर जवाब देते हुए कहा कि बर्खास्त शिक्षकों को 2017 में अंशकालिक शिक्षकों के रूप में इस शर्त के साथ नियुक्त किया गया था कि अगर स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति की जाती है तो वे पद खाली कर देंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘वे हमारे खिलाफ गुवाहाटी उच्च न्यायालय गए। हालांकि, शुरू में न्यायालय ने हमारी ओर से कोई भी कार्रवाई करने पर रोक लगा दी थी, लेकिन हाल ही में न्यायालय ने रोक हटा ली। इसलिए उन्हें नौकरी से हटा दिया गया।’’
भाषा यासिर