संसदीय समिति ने जल परियोजनाओं में सही तरीके से धन का इस्तेमाल न होने पर जताई चिंता
ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र नरेश
- 13 Mar 2025, 04:51 PM
- Updated: 04:51 PM
नयी दिल्ली, 13 मार्च (भाषा) सही तरीके से धन का उपयोग न किए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए संसद की एक समिति ने कहा है कि जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग ने दिसंबर 2024 के अंत तक 2024-25 के लिए 21,640.88 करोड़ रुपये के संशोधित आवंटन का केवल 58 प्रतिशत उपयोग किया है।
समिति ने जल शक्ति मंत्रालय से निगरानी और कार्यान्वयन तंत्र को मजबूत करने की सिफारिश की है।
संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में जल संसाधन पर स्थायी समिति ने कहा कि आवंटित धन का लगभग 40 प्रतिशत खर्च नहीं किया गया। समिति ने धन के वितरण और परियोजना निष्पादन में देरी पर भी प्रकाश डाला।
मंत्रालय ने कम खर्च के लिए इस तथ्य को जिम्मेदार ठहराया है कि आमतौर पर मानसून के मौसम के बाद व्यय बढ़ता है। साथ ही उसने समिति को आश्वासन दिया कि 3,000 करोड़ रुपये के लंबित प्रस्तावों पर सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है।
रिपोर्ट में जल शक्ति मंत्रालय के तहत प्रमुख योजनाओं के लिए बजटीय आवंटन में उल्लेखनीय वृद्धि पर प्रकाश डाला गया है।
विभाग का कुल बजट 2025-26 के लिए बढ़ाकर 25,276.83 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जो पिछले वर्ष आवंटित 21,323.10 करोड़ रुपये से 18.54 प्रतिशत अधिक है। यह वृद्धि बड़े पैमाने पर भूजल प्रबंधन, नदी बेसिन विकास और पोलावरम सिंचाई परियोजना के लिए उच्च आवंटन से प्रेरित है।
भूजल प्रबंधन और विनियमन के लिए आवंटन 2025-26 में 56.61 प्रतिशत बढ़कर 509 करोड़ रुपये हो गया है जो राष्ट्रीय जलभृत मानचित्रण और प्रबंधन कार्यक्रम (एनएक्यूयूआईएम) के तहत भूजल मानचित्रण और प्रबंधन को मजबूत करने के लिए सरकार के जोर को दर्शाता है।
नदी बेसिन प्रबंधन कार्यक्रम में भी 56.98 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसमें 2025-26 के लिए 243 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। पूर्वोत्तर में बाढ़ नियंत्रण और कटाव का प्रबंधन करने के लिए जिम्मेदार ब्रह्मपुत्र बोर्ड से 15 उप-घाटियों के लिए मास्टर प्लान तैयार करने सहित नई पहल करने की उम्मीद है।
हालांकि, कुछ योजनाओं को बजट में कटौती का सामना करना पड़ा है। राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना में 2024-25 में 661.20 करोड़ रुपये से 98 प्रतिशत की कमी के साथ 2025-26 में 13 करोड़ रुपये कर दिया गया है क्योंकि यह सितंबर 2025 में समाप्त होने वाली है।
इसी तरह, कमांड एरिया डेवलपमेंट एंड वाटर मैनेजमेंट (सीएडीडब्ल्यूएम) योजना के लिए आवंटन 39.28 प्रतिशत घटाकर 850 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
भूजल प्रबंधन पर केंद्रित अटल भूजल योजना (अटल जल) को 2025-26 के लिए 1,780.40 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो 2024-25 में 1,778 करोड़ रुपये से मामूली वृद्धि को दर्शाता है। हालांकि, पिछले साल नए फंड फ्लो मॉडल में बदलाव के कारण इस योजना को परिचालन चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिससे फंड वितरण में देरी हुई।
रिपोर्ट में आंध्र प्रदेश में पोलावरम सिंचाई परियोजना की स्थिति की भी जांच की गई, जिसे 2025-26 के लिए 5,936 करोड़ रुपये का आवंटन मिला जो पिछले वर्ष 5,512.50 करोड़ रुपये था।
आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 के तहत राष्ट्रीय परियोजना घोषित की गई इस परियोजना के मार्च 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है।
समिति ने कहा कि परियोजना के पहले चरण के लिए 30,436.95 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे, जिसका उद्देश्य 41.15 मीटर से अधिक ऊंचाई पर पानी जमा करना है।
रिपोर्ट में केन-बेतवा लिंक परियोजना और अन्य प्रमुख अंतर-राज्यीय जल हस्तांतरण योजनाओं के रुके हुए कार्यान्वयन सहित नदियों को जोड़ने वाली परियोजनाओं के साथ चल रहे मुद्दों को चिह्नित किया गया है।
समिति ने मंत्रालय से अंतर-राज्यीय विवादों को हल करने और इन महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए फास्ट-ट्रैक अनुमोदन का आग्रह किया।
समिति ने राज्य-स्तरीय निष्पादन की बेहतर निगरानी का आह्वान किया और मंत्रालय से फंड जारी करने और परियोजना पूरा होने में देरी का समाधान निकालने का आग्रह किया। समिति ने कुशल उपयोग और समय पर परियोजना कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए संसाधन आवंटन के पुनर्मूल्यांकन की भी सिफारिश की।
भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र