एआई शक्तिशाली है, पर मानव कल्पनाशीलता की जगह नहीं ले सकती : प्रधानमंत्री मोदी
प्रशांत दिलीप
- 16 Mar 2025, 10:13 PM
- Updated: 10:13 PM
नयी दिल्ली, 16 मार्च (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता शक्तिशाली है, लेकिन यह कभी भी मानव कल्पनाशीलता की जगह नहीं ले सकती। उन्होंने कहा कि दुनिया चाहे एआई के साथ कुछ भी कर ले, लेकिन भारत के बिना यह अधूरी रहेगी।
रविवार को लेक्स फ्रीडमैन के साथ एक पॉडकास्ट में मोदी ने कहा कि वास्तविक मानवीय बुद्धिमत्ता के बिना, कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) विकसित नहीं हो सकती या स्थायी रूप से प्रगति नहीं कर सकती।
प्रधानमंत्री ने कहा, “यह सही है कि हर युग में प्रौद्योगिकी और मानवता के बीच प्रतिस्पर्धा का माहौल बना। कई बार इसे संघर्ष के रूप में भी चित्रित किया गया। अक्सर ऐसा दर्शाया गया, मानो प्रौद्योगिकी मानव अस्तित्व को ही चुनौती दे देगी।”
उन्होंने कहा, “लेकिन हर बार, जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी आगे बढ़ी, मनुष्य ने खुद को (उसके मुताबिक) ढाल लिया और एक कदम आगे रहा। हमेशा से ऐसा ही होता आया है। आखिरकार, यह मनुष्य ही है जो अपने लाभ के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के सर्वोत्तम तरीके खोजता है।”
मोदी ने यह भी कहा कि उनका मानना है कि एआई के साथ, “मनुष्य अब यह सोचने के लिए मजबूर हो रहा है कि मानव होने का सही अर्थ क्या है”।
उन्होंने कहा, “यह एआई की असली ताकत है। एआई के काम करने के तरीके की वजह से, इसने हमारे काम को देखने के तरीके को चुनौती दी है। लेकिन मानवीय कल्पना ही ईंधन है। एआई इसके आधार पर कई चीजें बना सकता है और भविष्य में, यह और भी अधिक हासिल कर सकता है। फिर भी, मेरा दृढ़ विश्वास है कि कोई भी प्रौद्योगिकी मानव मस्तिष्क की असीम रचनात्मकता और कल्पनाशीलता की जगह नहीं ले सकती।”
एआई के विकास को मूलतः एक सहयोग बताते हुए प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि यह भारत के बिना अधूरा रहेगा।
उन्होंने कहा, “दुनिया चाहे एआई के साथ कुछ भी करे, भारत के बिना यह अधूरा ही रहेगा। मैं यह बात बहुत जिम्मेदारी से कह रहा हूं। मेरा मानना है कि एआई का विकास मूल रूप से सहयोग है। इसमें शामिल सभी लोग साझा अनुभवों और सीख के माध्यम से एक दूसरे का समर्थन करते हैं।”
मोदी ने कहा कि भारत सिर्फ सैद्धांतिक एआई मॉडल ही विकसित नहीं कर रहा है, बल्कि वह बहुत विशिष्ट उपयोग के मामलों के लिए एआई-संचालित अनुप्रयोगों पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है और उन्हें क्रियान्वित कर रहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) तक पहुंच समाज के हर वर्ग के लिए उपलब्ध हो।
उन्होंने कहा, “हमने इसकी व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए पहले से ही एक अद्वितीय बाजार-आधारित मॉडल बनाया है। भारत में मानसिकता में महत्वपूर्ण बदलाव हो रहा है, हालांकि ऐतिहासिक प्रभावों, पारंपरिक सरकारी प्रक्रियाओं या मजबूत सहायक बुनियादी ढांचे की कमी के कारण हम दूसरों से पीछे दिखाई देते हैं।”
प्रधानमंत्री मोदी ने 5जी का उदाहरण देते हुए कहा, “शुरू में दुनिया को लगा कि हम बहुत पीछे हैं। लेकिन एक बार जब हमने शुरुआत की, तो हम विश्व में सबसे तेजी से व्यापक 5जी नेटवर्क शुरू करने वाला देश बन गए।”
उन्होंने कहा, “हाल ही में एक अमेरिकी कंपनी के अधिकारी मुझसे मिलने आये और उन्होंने इसी तथ्य के बारे में अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने मुझसे कहा कि अगर मैं अमेरिका में इंजीनियरों के लिए विज्ञापन दूं, तो मुझे सिर्फ एक कमरा भरने के लिए ही आवेदक मिलेंगे। लेकिन अगर मैं भारत में ऐसा ही करूं, तो एक फुटबॉल मैदान भी उन्हें रखने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।”
मोदी ने कहा, “इससे पता चलता है कि भारत के पास असाधारण रूप से विशाल प्रतिभा का भंडार है और यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।”
उन्होंने ने इस बात पर जोर दिया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता मूलतः मानवीय बुद्धिमत्ता द्वारा संचालित, निर्मित और निर्देशित होती है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “वास्तविक मानवीय बुद्धिमत्ता के बिना, एआई स्थायी रूप से विकसित या प्रगति नहीं कर सकती। वास्तविक बुद्धिमत्ता भारत के युवाओं और प्रतिभाओं में प्रचुर मात्रा में मौजूद है, और मेरा मानना है कि यह हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं।”
उन्होंने कहा, “मनुष्यों में एक-दूसरे का खयाल रखने की जन्मजात क्षमता होती है, एक-दूसरे के बारे में चिंतित होने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। अब, क्या कोई मुझे बता सकता है कि क्या एआई ऐसा करने में सक्षम है?”
भाषा प्रशांत