मप्र में पुलिसकर्मी एवं आदिवासी व्यक्ति की मौत को लेकर कांग्रेस और भाजपा में तकरार
खारी रंजन
- 17 Mar 2025, 03:02 PM
- Updated: 03:02 PM
भोपाल, 17 मार्च (भाषा) मध्यप्रदेश में भीड़ द्वारा एक पुलिसकर्मी की पीट-पीटकर हत्या किए जाने और नक्सल रोधी अभियान में एक आदिवासी व्यक्ति की मौत के मुद्दे पर सोमवार को कांग्रेस ने राज्य सरकार पर निशाना साधा। इस पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आरोप लगाया कि विपक्षी दल सिर्फ सरकार पर आरोप लगाने का काम कर रहा है न कि जनहित के मुद्दे उठाने का।
मध्यप्रदेश में बजट सत्र के दौरान कुछ कांग्रेस नेताओं ने राज्य में कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए, जिसके बाद एक कैबिनेट मंत्री ने कहा कि मऊगंज जिले के हिंसा प्रभावित क्षेत्र में स्थिति नियंत्रण में है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया।
शनिवार को आदिवासियों के एक समूह ने कथित तौर पर सनी द्विवेदी नामक एक व्यक्ति का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी और फिर उसे बचाने का प्रयास करने वाली पुलिस टीम पर हमला कर दिया जिसमें सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) रामचरण गौतम की मौत हो गई।
पिछले सप्ताह की शुरुआत में मंडला जिले में नक्सल विरोधी अभियान में बैगा आदिवासी समुदाय के हिरन सिंह (38) नामक व्यक्ति की मौत हो गई थी। बाद में पुलिस ने बताया कि सिंह जंगल के भीतर नक्सलियों के साथ था।
एक अन्य घटना में शनिवार को इंदौर में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान कुछ वकीलों और पुलिस के बीच झड़प हुई।
इन तीनों घटनाओं के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दावा किया, ‘‘मध्यप्रदेश अराजकता की राजधानी बनता जा रहा है।’’
विधानसभा परिसर में नाथ ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मध्यप्रदेश भ्रष्टाचार की राजधानी बनता जा रहा है। आज पूरा देश मध्यप्रदेश की ओर देख रहा है और यहां इस तरह के हालात हैं?’’
विपक्ष के उपनेता हेमंत कटारे ने कहा कि लोगों की सुरक्षा संभालने वाली पुलिस पर हमला किया जा रहा है।
कटारे ने दावा किया, ‘‘पुलिस पर न केवल हमला किया गया बल्कि एक पुलिस अधिकारी की हत्या भी कर दी गई। ऐसी स्थिति से साफ है कि राज्य के गृहमंत्री ने लोगों का विश्वास खो दिया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव गृह विभाग किसी दूसरे मंत्री को सौंपने को तैयार नहीं हैं और इसे अपने पास रखना चाहते हैं। वे स्थिति को सुधारने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं।’’
उन्होंने आश्चर्य जताते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में पुलिसकर्मी भी सुरक्षित नहीं हैं तो क्या सेना को तैनात किया जाना चाहिए।
कटारे ने कहा, ‘‘क्या मध्यप्रदेश को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री को इस मुद्दे पर बयान देना चाहिए।’’
मऊगंज जिले के प्रभारी मंत्री और राज्य के कैबिनेट मंत्री लखन पटेल ने कहा कि क्षेत्र में स्थिति नियंत्रण में है।
विधानसभा परिसर में उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह घटना दुखद है, हालांकि इलाके में कोई तनाव नहीं है। एक युवक और एक पुलिसकर्मी की हत्या की गई। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए एक महिला समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया है एवं अन्य की तलाश जारी है और उन्हें भी जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।’’
कांग्रेस के आरोपों पर पटेल ने कहा कि कांग्रेस का काम सिर्फ विरोध करना है।
उन्होंने कहा कि मऊगंज में दो समूहों के बीच पुराना विवाद था, चूंकि वे सौहार्दपूर्ण तरीके से रह रहे थे इसीलिए शनिवार को हुई घटना अप्रत्याशित थी।
कांग्रेस विधायक नारायण पट्टा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि मंडला में नक्सल विरोधी मुठभेड़ में एक निर्दोष आदिवासी व्यक्ति मारा गया और उन्होंने घटना की न्यायिक जांच की मांग की।
मंडला जिले के बिछिया से विधायक ने कहा, ‘‘हम स्थगन प्रस्ताव के जरिए और शून्यकाल (सदन में) में इस मुद्दे को उठाने जा रहे हैं। यह चिंता का विषय है। नक्सली कभी भी आदिवासियों पर हमला नहीं करते। हम जन आंदोलन करके न्याय की मांग करेंगे।’’
एक अन्य आदिवासी कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि वे भी नक्सल रोधी अभियान में आदिवासी व्यक्ति की हत्या का मुद्दा राज्य विधानसभा में उठाएंगे।
भूरिया ने दावा किया, ‘‘पहले, आईजी (पुलिस) ने कहा कि वह नक्सली था। फिर पुलिस ने कहा कि वह नक्सली समर्थक था। क्या पुलिस को इसकी जानकारी नहीं थी। क्या लक्ष्य हासिल करने के लिए आदिवासियों की हत्या की जाएगी। हमारी तथ्यान्वेषी समिति ने पाया कि उसका (मृतक का) नक्सलियों से कोई लेना-देना नहीं था। मध्यप्रदेश में जंगलराज है।’’
मऊगंज की घटना और कांग्रेस के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने कहा कि विपक्षी पार्टी जन कल्याण के मुद्दों को उठाने में नाकाम रही है और उसके नेता गुटबाजी में लगे हुए हैं।
उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के नेता पार्टी में वर्चस्व की अपनी लड़ाई में उलझे हुए हैं।
पटेल ने कहा, ‘‘ऐसी घटनाएं (मऊगंज की) बहुत दुखद हैं। पुलिसकर्मियों का समाज में सम्मान होना चाहिए। यह एक दुखद घटना है और चिंता का विषय है। ये पुलिसकर्मी लोगों की सुरक्षा के लिए अपने त्योहार भी नहीं मनाते। सरकार आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी।’’
भाषा खारी