पिछड़ेपन, जनसंख्या के हिसाब से बिहार में केंद्रीय और नवोदय विद्यालय स्थापित किए जाएं: राजद सदस्य
ब्रजेन्द्र मनीषा
- 18 Mar 2025, 03:38 PM
- Updated: 03:38 PM
नयी दिल्ली, 18 मार्च (भाषा) राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के संजय यादव ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर केंद्रीय और नवोदय विद्यालयों के आवंटन में बिहार की उपेक्षा करने का आरोप लगाया और पिछड़ेपन तथा जनसंख्या के मद्देनजर राज्य में अधिक से अधिक ऐसे विद्यालयों की स्थापना की स्वीकृति देने की मांग की।
राज्यसभा में शून्यकाल में इस मामले को उठाते हुए यादव ने कहा कि हाल ही में केंद्र सरकार ने विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 85 केंद्रीय विद्यालय और 28 जवाहर नवोदय विद्यालय की स्थापना की स्वीकृति दी है।
उन्होंने कहा, ‘‘इन 85 केंद्रीय विद्यालयों और 28 नवोदय विद्यालयों में से एक भी बिहार को नहीं दिया गया। जनसंख्या के लिहाज से बिहार देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य है। देश की लगभग 10 प्रतिशत आबादी बिहार में रहती है। यानी हर दसवां भारतीय बिहार से है। लेकिन इसके बावजूद बिहार की अनदेखी करना कहीं से वाजिब प्रतीत नहीं होता।’’
यादव ने कहा कि यदि ऐसे राज्यों की सूची बनाई जाए जहां प्रति एक लाख व्यक्तियों के अनुपात में केंद्रीय विद्यालय कहीं सबसे कम होंगे तो वह बिहार है।
उन्होंने दावा किया कि पटना को छोड़कर बिहार के किसी भी जिले में एक से अधिक केंद्रीय विद्यालय नहीं है जबकि पूर्णिया स्थित केंद्रीय विद्यालय की अपनी इमारत तक नहीं है।
उन्होंने कहा कि बिहार देश के सबसे पिछड़े राज्यों में एक है, देश में सबसे कम साक्षरता दर बिहार में है, महिलाओं की साक्षरता दर में भी बिहार सबसे नीचे है, गरीबी सूचकांक के मामले में भी बिहार सबसे नीचे है।
यादव ने कहा कि बीच में पढ़ाई छोड़ देने के मामले में बिहार अव्वल राज्यों में है।
उन्होंने कहा, ‘‘समुचित विकास एवं औद्योगीकरण के अभाव में शिक्षा ही एकमात्र ऐसा साधन है, जिससे बिहार जैसे राज्य को पिछड़ेपन और गरीबी के दुष्चक्र से निकालकर हम प्रगति के पथ पर ले जा सकते हैं। कम खर्च पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए बिहार में केंद्रीय विद्यालय और जवाहर नवोदय विद्यालय की अधिक से अधिक आवश्यकता है।’’
राजद के ही मनोज कुमार झा ने देश भर में आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाकर 21 हजार करने की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से उन्हें सेवानिवृत्ति पर एकमुश्त राशि देने का भी आह्वान किया।
विभिन्न राज्यों में आशा कार्यकर्ताओं को मिलने वाले मानदेय में भारी अंतर को भी उन्होंने रेखांकित किया और कहा कि बिहार में तो यह बहुत कम है।
उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से आग्रह किया अगर इस मामले में उन्होंने सकारात्मक पहल की तो इसकी गूंज दूर तक जाएगी।
भाषा ब्रजेन्द्र
ब्रजेन्द्र