राष्ट्रपति ट्रंप की ‘अमेरिका प्रथम’ नीति का मतलब ‘केवल अमेरिका’ नहीं : तुलसी गबार्ड
वैभव रंजन
- 18 Mar 2025, 07:19 PM
- Updated: 07:19 PM
नयी दिल्ली, 18 मार्च (भाषा) अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने मंगलवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका प्रथम’ की नीति को ‘‘केवल अमेरिका’’ के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए और यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘भारत प्रथम’ की प्रतिबद्धता जैसी ही है।
गबार्ड ने ‘रायसीना डायलॉग’ के एक सत्र में अपने संबोधन में कहा कि ट्रंप प्रशासन हिंद-प्रशांत क्षेत्र समेत विभिन्न क्षेत्रों में अनेक चुनौतियों का सामना करने के लिए नयी दिल्ली के साथ सुरक्षा समेत विभिन्न पहलुओं पर संबंध प्रगाढ़ करने की दिशा में काम कर रहा है।
हालांकि, उन्होंने अमेरिका की जमीन से खालिस्तान समर्थक तत्वों की गतिविधियों पर या ट्रंप द्वारा अमेरिका के साझेदारों और अन्य देशों पर दो अप्रैल से टैरिफ लगाए जाने पर भारत की चिंताओं का कोई उल्लेख नहीं किया।
गबार्ड हिंदू धर्म का पालन करने वाली अमेरिकी नेता हैं। उन्होंने अपना संबोधन ‘नमस्ते और जय श्री कृष्ण’ के साथ शुरू किया और कहा कि ये शब्द हमारे सभी के हृदयों में मौजूद आंतरिक दैवीय भावना को झलकाते हैं और याद दिलाते हैं कि ‘‘हम सभी जाति और धर्म से परे आपस में जुड़े हैं’’
अमेरिका राष्ट्रीय खुफिया निदेशक ने भारत-अमेरिका संबंधों के भविष्य को लेकर आशावादी दृष्टिकोण रखा और कहा कि विविध क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने का बड़ा अवसर है।
गबार्ड ने कहा कि ट्रंप की ‘अमेरिका प्रथम’ नीति और अमेरिकियों की सुरक्षा तथा स्वतंत्रता को उनकी नीतियों में आगे रखने को ‘केवल अमेरिका’ के दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह सोच प्रधानमंत्री मोदी की ‘भारत प्रथम’ की प्रतिबद्धता या न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन की ‘न्यूजीलैंड प्रथम’ की नीति की तरह ही है।
उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी नेता से अपने लोगों की सेवा करने की और अपने फैसलों में उनके हितों को आगे रखने की प्रतिबद्धता की अपेक्षा की जाती है।’’
गबार्ड ने कहा कि ट्रंप के बारे में यह गलत धारणा नहीं बननी चाहिए कि वह ऐसे राष्ट्रपति हैं जो अन्य देशों के साथ संबंधों का महत्व नहीं समझते। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति साझा हितों की दिशा में काम करने में विश्वास रखते हैं।
गबार्ड रविवार सुबह यहां पहुंचीं। वह डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत की उच्चस्तरीय यात्रा करने वाली ट्रंप प्रशासन की पहली वरिष्ठ अधिकारी हैं।
भारत में अपने समकक्ष अधिकारियों से मुलाकात का जिक्र करते हुए गबार्ड ने कहा कि नेताओं को समय पर खुफिया जानकारी देने के संदर्भ में भी अवसर मिले।
उन्होंने कह कि भारत-अमेरिका साझेदारी आपसी हितों को बढ़ाने तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता लाने के लिहाज से महत्वपूर्ण है।
गबार्ड ने कहा, ‘‘हमारे दोनों देशों के बीच साझेदारी दशकों से मजबूत रही है और यह दो महान नेताओं और दो महान मित्रों, राष्ट्रपति ट्रंप तथा प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, और शांति व स्वतंत्रता, सुरक्षा और समृद्धि के हमारे साझा मूल्यों में निहित है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि हमारे दोनों देशों और दोनों नेताओं के बीच यह साझेदारी और मित्रता बढ़ती और मजबूत होती रहेगी।’’
भूराजनीतिक उतार-चढ़ाव के संदर्भ में गबार्ड ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप अडिग होकर मजबूती के साथ शांति ला रहे हैं।
शीर्ष अमेरिकी अधिकारी ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने देश की नीति पर विस्तार से बात की।
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक विशाल और महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो सिर्फ एक भौगोलिक स्थान नहीं है, यह 21वीं सदी के लिए भू-राजनीतिक केंद्र है। इसलिए, यहां शांति और स्थिरता लाना हमारी सामूहिक सुरक्षा, आर्थिक समृद्धि के हमारे उद्देश्य और हमारे समय की बड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए मिलकर काम करने की हमारी क्षमता के लिए आवश्यक है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘और हमें मिलकर इन चुनौतियों से निपटना होगा। राष्ट्रों के रूप में और नेताओं के रूप में और जनता के रूप में ऐसा करने की हमारी क्षमता हमारे सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में अहमियत रखती है।’’
गबार्ड ने पिछले महीने वाशिंगटन डीसी में मोदी और ट्रंप की मुलाकात को ‘दो पुराने दोस्तों के फिर से मिलने’ की संज्ञा दी।
उन्होंने कहा, ‘‘जाहिर है कि यह व्यक्तिगत मित्रता है, लेकिन यह उनके नेतृत्व के प्रति दृष्टिकोण और अपने-अपने लोगों की जरूरतों को सुनने, नीति निर्धारण करने और उनके सर्वोत्तम हितों की सेवा के लिए कार्रवाई करने की उनकी प्राथमिकताओं का संकेत है।’’
गबार्ड ने महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग के संदर्भ में भारत-अमेरिका आर्थिक साझेदारी का भी संक्षिप्त उल्लेख किया।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमारे आपसी हित में सतत विकास और सतत निवेश का बड़े अवसर है।’’
गबार्ड ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की थी।
रक्षा मंत्री ने गबार्ड के साथ मुलाकात में अमेरिकी धरती पर खालिस्तानी अलगाववादी समूह ‘सिख फॉर जस्टिस’ (एसएफजे) की गतिविधियों को लेकर भारत की चिंताओं से उन्हें अवगत कराया था और इस संगठन को प्रतिबंधित आतंकी संगठन घोषित करने का आग्रह किया था।
सूत्रों के अनुसार, सिंह ने उन्हें एसएफजे के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ कथित संबंधों और बब्बर खालसा आतंकवादी समूह के साथ इसके सहयोग के बारे में भी अवगत कराया और इसके खिलाफ कार्रवाई के लिए जोर डाला।
गबार्ड ने रविवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से भी विस्तृत बातचीत की।
भाषा वैभव