पटरियों की मरम्मत के लिए रेलगाड़ियों के कुछ ठहराव समाप्त किए गए, कोविड से कोई संबंध नहीं: वैष्णव
वैभव मनीषा
- 19 Mar 2025, 02:03 PM
- Updated: 02:03 PM
नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान विभिन्न ट्रेनों के ठहराव समाप्त किए जाने के विपक्षी सदस्यों के दावों को खारिज करते हुए बुधवार को लोकसभा में कहा कि पटरियों की मरम्मत के लिए 2019 में ही यह कठिन फैसला ले लिया गया था।
वैष्णव ने प्रश्नकाल में कांग्रेस सांसद के सी वेणुगोपाल के पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि हमें विभिन्न स्टेशनों के अनेक ठहराव समाप्त करने से संबंधित जटिल तकनीकी पहलुओं को समझना होगा। उन्होंने कहा कि जनता की सुरक्षा के हित में पटरियों की मरम्मत के लिए इस तरह का कठोर फैसला लिया गया था।
उन्होंने कहा कि 2019 में आईआईटी मुंबई के एक विस्तृत अध्ययन के बाद रेलवे की नई समय-सारिणी बनाई गई थी और यह फैसला लिया गया था कि हर सेक्शन में तीन घंटे के लिए पटरियों पर रेलगाड़ियों की आवाजाही बंद हो ताकि पटरियों को खाली रखा जा सके और उनकी मरम्मत की जा सके।
वैष्णव ने कहा, ‘‘इस फैसले के आलोक में रेलगाड़ियों के कई स्टॉपेज को हटाना पड़ा था और इसका कोविड से कोई संबंध नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि अत्यधिक वजनी रेलगाड़ी के स्टील के पहिए जब स्टील की पटरियों पर लंबी दूरी तक दौड़ते हैं तो पटरियों पर ‘माइक्रो फ्रैक्चर’ हो जाते हैं और यदि लगातार इन पटरियों की मरम्मत नहीं की गई तो रेल फ्रैक्चर बढ़ सकते हैं और ट्रेन हादसे बढ़ सकते हैं।
वेणुगोपाल ने पूरक प्रश्न पूछते हुए कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के समय केंद्र सरकार ने सैकड़ों स्टेशनों पर रेलगाड़ियों के ठहराव को समाप्त कर दिया था।
उन्होंने कहा कि रेल मंत्री का कहना है कि रेलवे अब कोविड के दौरान आईं मुश्किलों से वापस सामान्य स्थिति में आ रहा है तो ऐसे में रेलगाड़ियों के स्टॉपेज बहाल करने के बारे में सरकार का क्या विचार है?
रेल मंत्री के अनुसार, सारी दुनिया में 24 घंटे में से कुछ घंटे पटरियों की मरम्मत और रख-रखाव के लिए खाली रखे जाते हैं और भारत में भी सरकार ने यह कठोर फैसला लिया।
उन्होंने कहा कि इस फैसले के परिणाम अच्छे आए हैं और पहले जहां ढाई हजार से ज्यादा रेल फ्रैक्चर होते थे, वहीं आज अच्छे रख-रखाव के कारण उनकी संख्या 250 से कम रह गई है।
भाषा वैभव