सुनीता विलियम्स, उनके सहयोगी सदस्यों ने अंतरिक्ष में मानवीय जीवटता का फिर से लिखा इतिहास: राजनाथ
आशीष नेत्रपाल
- 19 Mar 2025, 04:55 PM
- Updated: 04:55 PM
नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और क्रू-9 के उनके सहयोगी सदस्यों की वापसी पर प्रसन्नता व्यक्त की तथा कहा कि उन्होंने अंतरिक्ष में मानवीय जीवटता और दृढ़ता का इतिहास फिर से लिख दिया है।
विलियम्स और नासा के उनके सहयोगी अंतरिक्ष यात्री बुच विल्मोर और निक हेग तथा रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ‘रोस्कोस्मोस’ के अंतरिक्ष यात्री अलेक्जेंडर गोरबुनोव, स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान से पृथ्वी पर वापस लौटे, जो अमेरिका में फ्लोरिडा के तल्हासी तट के पास समुद्र में उतरा।
सिंह ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा, ‘‘नासा के क्रू9 के सदस्यों की धरती पर सुरक्षित वापसी से बहुत प्रसन्न हूं। भारत की बेटी सुनीता विलियम्स और अन्य अंतरिक्ष यात्रियों ने अंतरिक्ष में मानवीय जीवटता एवं दृढ़ता के इतिहास को फिर से लिखा है। सुनीता विलियम्स की अविश्वसनीय यात्रा, अटूट समर्पण, धैर्य की भावना दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित करेगी।’’
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी अंतरिक्ष प्रेमियों और पूरी दुनिया के लिए जश्न का अवसर है।
सिंह ने अपने पोस्ट में कहा, ‘‘उनकी हिम्मत और उपलब्धियां हम सभी को गौरवान्वित करती हैं। उन्हें बधाई और धरती पर सुरक्षित वापस लाने के लिए सभी हितधारकों को बहुत-बहुत धन्यवाद।’’
विलियम्स और विल्मोर नौ महीने पहले बोइंग की एक परीक्षण उड़ान के जरिये अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचे थे। दोनों अंतरिक्षयात्री पांच जून 2024 को बोइंग के नए स्टारलाइनर क्रू यान में सवार होकर अंतरिक्ष में गए थे और उनके एक सप्ताह बाद ही लौटने की उम्मीद थी। अंतरिक्ष स्टेशन के रास्ते में इतनी सारी समस्याएं आईं कि नासा को अंततः स्टारलाइनर को खाली वापस धरती पर लाना पड़ा और अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी में देरी हुई।
विलियम्स और विल्मोर नासा के निक हेग और रूस के अलेक्जेंडर गोरबुनोव के साथ वापस लौटे।
विल्मोर और विलियम्स ने अंतरिक्ष में 286 दिन बिताए। उन्होंने पृथ्वी की 4,576 बार परिक्रमा की और ‘स्पलैशडाउन’ (यान के उतरने) के समय तक 12 करोड़ 10 लाख मील की यात्रा की।
पूर्व अमेरिकी नौसैन्य कप्तान विलियम्स (59) का जन्म 19 सितंबर 1965 को यूक्लिड, ओहियो में हुआ था। उनके पिता दीपक पांड्या गुजरात के मेहसाणा जिले के झूलासन से थे तथा मां उर्सुलाइन बोनी पांड्या स्लोवेनिया से हैं।
भाषा आशीष