गृह मंत्रालय ‘जमींदारी की मानसिकता’ के साथ काम कर रहा है : तृणमूल कांग्रेस सदस्य साकेत गोखले
माधव अविनाश
- 19 Mar 2025, 07:02 PM
- Updated: 07:02 PM
नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) राज्यसभा में बुधवार को तृणमूल कांग्रेस के एक सदस्य ने नरेन्द्र मोदी सरकार में गृह मंत्रालय पर ‘‘जमींदारी की मानसिकता’’ रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार से जुड़े 6900 से अधिक मामले लंबित हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि अभी तक संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के तहत मात्र 350 लोगों को ही नागरिकता दी जा सकी है।
तृणमूल कांग्रेस के सदस्य साकेत गोखले ने गृह मंत्रालय के कामकाज पर उच्च सदन में चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि गृह मंत्रालय का यह कर्तव्य नहीं है कि वह राज्यों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करे। उन्होंने कहा कि दुखद बात है कि पिछले 11 वर्ष में गृह मंत्रालय ने भारत सरकार और गणतांत्रिक सरकार की विभाजन रेखा को भुला दिया है।
उन्होंने कहा कि आज गृह मंत्रालय को ऐसा लगता है कि वही गणतंत्र का प्रतिनिधित्व करता है और राज्यों का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि आज गृह मंत्रालय राज्यों और उसका विरोध करने वालों के खिलाफ एक शक्ति बन गया है।
गोखले ने कहा कि गृह मंत्रालय अपने को जमींदार समझने लगा है और राज्यों को अपना आसामी समझती है तथा जो कोई भी सरकार का विरोध करता है उसके साथ ऐसे बर्ताव किया जाता है मानो वह देश का विरोधी हो। उन्होंने कहा कि भले ही कुछ छोटे राज्य इसका विरोध न कर पाते हो किंतु पश्चिम बंगाल जैसा मजबूत राज्य इस जमींदारी मानसिकता का डटकर मुकाबला करेगी।
उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने विपक्ष द्वारा शासित राज्यों पश्चिम बंगाल एवं पंजाब में सीमा सुरक्षा बल का अधिकार क्षेत्र जहां एक अधिसूचना के माध्यम से बढ़ा दिया वहीं भाजपा शासित गुजरात में इसे कम कर दिया गया। उन्होंने केंद्र सरकार पर पश्चिम बंगाल के साथ कोष देने के मामले में भेदभाव करने का आरोप लगाया।
तृणमूल सदस्य ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल विधानसभा ने महिला सुरक्षा से जुड़े अपराजिता विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया था किंतु उसे राष्ट्रपति से अभी तक मंजूरी नहीं मिली है।
उन्होंने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का जिक्र करते हुए याद दिलाया कि उच्चतम न्यायालय ने उन्हें ‘पिंजरे में बंद तोता’ कहा था। उन्होंने कहा कि भाजपा अपने को अलग तरह की पार्टी बताती है, इसलिए उन्हें लगा था कि इसके सत्ता में आने के बाद परिस्थितियां बदलेंगी किंतु पिछले 11 साल में कुछ नहीं बदला।
गोखले ने कहा कि वह सदस्यों की जानकारी के लिए सीबीआई का ‘गौरवशाली’ रिकार्ड बताना बताना चाहते हैं कि 6900 से अधिक मामले लंबित हैं।
इस पर उन्हें टोकते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सदस्य को गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा शुरू करने के लिए कहा गया है किंतु उन्हें शायद यह नहीं मालूम कि सीबीआई या वे एजेंसियां जिनके बारे में वह चर्चा करना चाहते हैं, वे गृह मंत्रालय के तहत नहीं आती हैं।
उन्होंने कहा कि यदि सदस्य को चर्चा का दायरा बढ़ाने की अनुमति दी जाती है तो वह भी अपने जवाब का दायरा बढ़ाएंगे और ‘हर चीज का जवाब दिया जाएगा।’
इस पर गोखले ने अपनी बात जारी करते हुए कहा, ‘‘सीबीआई ने भ्रष्टाचार के 6900 मामले दर्ज किए हैं।’’ उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के ऐसे 361 मामले अदालत में विचाराधीन हैं।
इसके बाद गृह मंत्री ने आसन की अनुमति से हस्तक्षेप करते हुए कहा, ‘‘मैं किसी की कृपा से यहां नहीं आया। मैं सात बार चुनाव जीतकर आया हूं। एक विचारधारा का विरोध कर यहां नहीं घुस गया हूं। डरने का सवाल ही नहीं उठता।’’
उन्होंने कहा कि तृणमूल सदस्य जिन मामलों के बारे में कह रहे हैं, उन्हें उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के निर्देश पर पंजीकृत किया गया।
शाह ने कहा, ‘‘ये सारे भ्रष्टाचार के मामले नहीं हैं। चुनावी हिंसा किस प्रकार की...चुनाव में हमारी (भाजपा की) सीटें ज्यादा क्या आ गयीं, जहां हमारा बहुमत था, वहां चुन चुनकर बूथों में हत्या की गयी। महिलाओं के साथ बलात्कार किए गए। कोई कार्रवाई नहीं, कोई गिरफ्तारी नहीं। जब पीड़ित लोग उच्च न्यायालय पहुंचे तो उसके आदेश पर मामले सीबीआई को दिए गए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ये उच्चतम न्यायालय को भी नहीं मानेंगे। उच्च न्यायालय को भी नहीं मानेंगे। जमींदारी कौन कर रहा है, अब यह पूरा देश देखेगा।’’
गृह मंत्री ने कहा कि तृणमूल सदस्य कह रहे हैं कि एक भी सीबीआई मामले में परिणाम नहीं आ रहा। शाह ने कहा कि परिणाम इसलिए नहीं आ रहा क्योंकि पश्चिम बंगाल में एक भी सीबीआई अदालत नहीं बनायी गयी है।
इसके बाद गोखले ने अपने और शाह के बारे में एक ऐसी टिप्पणी की जिस पर सदन के नेता जेपी नड्डा ने कहा कि तृणमूल सदस्य को वह टिप्पणी वापस लेनी चाहिए और माफी मांगनी चाहिए।
तृणमूल सदस्य ने कहा कि राष्ट्रीय अन्वेषण अधिकरण (एनआईए) को आतंकवाद विरोधी गतिविधियों की जांच के लिए बनाया गया था किंतु यह मोदी सरकार के विरोध में बोलने वालों के खिलाफ काम कर रही है।
उन्होंने सरकार पर इजराइली स्पाईवेयर पेगासस के जरिये विपक्ष के नेताओं सहित विभिन्न लोगों की जासूसी कराने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति ने न्यायालय से कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार सहयोग नहीं कर रही है।
गोखले ने कहा कि केंद्र सरकार के तमाम दावों के बावजूद अभी तक संशोधित नागरिकता कानून के तहत मात्र 350 लोगों को ही नागरिकता दी गयी है।
मणिपुर की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य को आज सहानुभूति की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मणिपुर में गृह मंत्री की नजरों के सामने जो कुछ भी हुआ, उससे गृह मंत्री रात में शांति की नींद कैसे सो पाते हैं?
गोखले ने इसके बाद फिर एक टिप्पणी की जिसकी सभापति जगदीप धनखड़, सदन के नेता नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने आलोचना की और कहा कि इस तरह की भाषा का इस्तेमाल उच्च सदन में नहीं किया जाना चाहिए।
भाषा
माधव