कैम्पा निधि का ज्यादातर हिस्सा वन गतिविधियों पर खर्च किया गया : उत्तराखंड सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया
पारुल देवेंद्र
- 19 Mar 2025, 09:39 PM
- Updated: 09:39 PM
नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) उत्तराखंड सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बुधवार को सूचित किया कि प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैम्पा) की अधिकांश धनराशि वनरोपण गतिविधियों और संरक्षण पर खर्च की गई।
हालांकि, राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत में हलफनामा दाखिल कर कहा कि वन विभाग के अधिकारियों ने 53,000 रुपये का एक आईफोन और दो लैपटॉप खरीदने के अलावा अपने घरों के लिए फर्नीचर लेने के वास्ते भी कुछ धनराशि का इस्तेमाल किया।
हलफनामे में सरकार ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई किए जाने का भरोसा दिलाया।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने राज्य के मुख्य सचिव की ओर से दायर हलफनामे पर गौर किया और मामले में आगे कोई कार्यवाही न करने का फैसला लिया।
पीठ ने कहा, “हमारा मानना है कि अगर कोई अनियमितता है, तो वह मामूली प्रकृति की है।”
शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार की ओर से लैपटॉप, आईफोन, फ्रिज और अन्य सामान की खरीदारी के लिए कैम्पा निधि के कथित दुरुपयोग पर गत पांच मार्च को आपत्ति जताई थी तथा मुख्य सचिव को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कैम्पा निधि के इस्तेमाल में अनियमितताएं थीं और कथित तौर पर इमारतों के नवीनीकरण के अलावा आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज, कूलर, स्टेशनरी सहित अस्वीकार्य वस्तुओं की खरीदारी पर बड़ी राशि खर्च की गई थी।
बुधवार को उत्तराखंड सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कैम्पा निधि की कुल राशि 753.56 करोड़ रुपये थी और रिपोर्ट के अनुसार, इसका 1.8 फीसदी हिस्सा कथित तौर पर गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा, “यह (राशि) आईफोन के लिए नहीं है।”
मेहता ने खर्च का ब्योरा दिया और कहा कि स्वीकृत गतिविधि के रूप में, सर्वेक्षण मानचित्रण और वन अग्नि नियंत्रण सहित अन्य वन गतिविधियों के लिए संचार बेहतर करने के वास्ते सात-सात हजार रुपये कीमत के 18 मोबाइल फोन खरीदे गए थे।
न्यायमूर्ति गवई ने पूछा, “आईफोन किसके लिए खरीदा गया था?”
मेहता ने कहा कि यह किसी अधिकारी के लिए खरीदा गया होगा। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य के लिए कैम्पा निधि की राशि का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वनीकरण उत्सव ‘हरेला’ पर धन खर्च किया जा रहा है, जिसके तहत राज्य में सात लाख पौधे लगाए गए।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा, “केवल पौधारोपण ही नहीं, बल्कि सार्वजनिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं-560 सार्वजनिक कार्यक्रम।”
मेहता ने कहा कि सार्वजनिक कार्यक्रमों का मकसद पौधारोपण की आवश्यकता के बारे में जागरूकता फैलाना है।
जब सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कुछ राशि स्टेशनरी पर भी खर्च की गई, तो पीठ ने पूछा, “आपका राज्य इतना गरीब है कि वह इसके लिए भी राशि नहीं दे सकता?”
मेहता ने कहा कि यह राशि राजाजी बाघ अभयारण्य में सूखे राशन के लिए इस्तेमाल की गई और जंगल की आग बुझाने के मकसद से ‘चना’ और ‘गुड़’ जैसी चीजें खरीदी गईं।
फर्नीचर की खरीदारी को लेकर मेहता ने कहा कि वन और अग्निशमन विभाग के अधिकारियों के लिए टेंट, गश्ती वाहनों, शिकार विरोधी शिविरों आदि के लिए कैम्पा राशि खर्च की गई।
उन्होंने कहा, “लेकिन कुछ राशि का इस्तेमाल वन अधिकारियों ने अपने घरेलू फर्नीचर के लिए किया।”
मेहता ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के मामले पर संज्ञान लेने से पहले ही राज्य सरकार ने उचित विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी थी।
हालांकि, उन्होंने कहा कि टाइगर सफारी के निर्माण पर किया गया व्यय गैरकानूनी नहीं है, लेकिन इसे कैम्पा निधि से नहीं किया जाना चाहिए था।
वर्ष 2019-2020 से 2021-2022 के बीच राज्य प्रतिपूरक वनरोपण निधि (एससीएएफ) के तहत उपलब्ध शेष राशि पर ब्याज जमा करने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि केंद्र की ओर से ब्याज दर अधिसूचित किए जाने के बाद राज्य ने इसे जमा कर दिया है।
पीठ ने कहा कि हलफनामे पर गौर करने से पता चला है कि “राशि उन गतिविधियों पर खर्च की गई, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वनरोपण और/या वनों के संरक्षण से जुड़ी हुई हैं।”
पीठ ने राज्य से यह सुनिश्चित करने को कहा कि कैम्पा निधि के इस्तेमाल में कोई अनियमितता न की जाए।
भाषा पारुल