पंजाब सरकार ने किसानों के खिलाफ ‘कायराना कार्रवाई’ की : कांग्रेस
धीरज पारुल
- 20 Mar 2025, 01:02 AM
- Updated: 01:02 AM
चंडीगढ़, 19 मार्च (भाषा) कांग्रेस ने बुधवार को सरवण सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल सहित कई किसान नेताओं को हिरासत में लिए जाने की निंदा की और इसे आम आदमी पार्टी (आप) नीत पंजाब सरकार का ‘‘कायरतापूर्ण कृत्य’’ करार दिया।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने किसान संगठनों के नेताओं के खिलाफ पंजाब पुलिस की कार्रवाई की निंदा करते हुए इसे राज्य सरकार का ‘‘कायराना कृत्य’’ बताया। उन्होंने कहा कि पंजाब के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि सरकार ने बैठक के बहाने नेताओं को बुलाकर उन्हें ‘गिरफ्तार’ किया हो।
पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाजवा नेता ने यहां जारी एक बयान में कहा कि यह पंजाब की परंपरा भी नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाब के समूचे किसान समुदाय की पीठ में छुरा घोंपा है। पंजाबी इसे कभी नहीं भूलेंगे और इस शर्मनाक कृत्य के लिए उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे।’’
बाजवा ने कहा कि इसमें जरा भी संदेह नहीं रह गया है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार की ‘कठपुतली’ के रूप में काम कर रहे हैं। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि यह साबित हो चुका है कि उन्होंने यह काम भाजपा में अपने ‘आकाओं’ के निर्देश पर किया है।
बाजवा ने कहा, ‘‘मैं यह बात लंबे समय से कहता आ रहा हूं और मैं इसे दोहराता हूं। ‘आप’ और भाजपा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। एक बार फिर पंजाब में ‘आप’ के घिनौने एजेंडे का पर्दाफाश हो गया है।’’
पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने भी घटना की निंदा की।
उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘केंद्र की भाजपा सरकार और पंजाब की ‘आप’ सरकार दोनों ने किसानों को धोखा दिया है और उनकी पीठ में छुरा घोंपा है। आश्चर्य है कि जब केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों और किसानों के बीच बातचीत पहले से ही चल रही थी, तब पंजाब पुलिस को किसान नेताओं को गिरफ्तार करने की आवश्यकता क्यों पड़ी।’’
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के नेता सुखबीर सिंह बादल और उनकी पत्नी हरसिमरत कौर बादल ने भी किसान नेताओं के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की निंदा की और उनकी रिहाई की मांग की।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार और पंजाब की ‘आप’ सरकार ने मिलकर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) गारंटी पर बातचीत के लिए बुलाकर और फिर उन्हें ‘गिरफ्तार’ करके ‘धोखा’ दिया है।
भाषा धीरज