यदि आवंटित निधि का उपयोग नहीं किया जा रहा तो अनुदान की क्या जरूरत है: आरएसपी सांसद प्रेमचंद्रन
सुभाष अविनाश
- 19 Mar 2025, 10:22 PM
- Updated: 10:22 PM
नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) लोकसभा में बुधवार को जल शक्ति मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा में भाग लेते हुए रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) सदस्य एन. के. प्रेमचंद्रन ने कहा कि यदि आवंटित निधि का उपयोग नहीं किया जा रहा तो अनुदान की क्या जरूरत है।
उन्होंने कहा कि संसद द्वारा आवंटित राशि का उपयोग नहीं किया जाना मंत्रालय के काम नहीं करने को प्रदर्शित करता है।
आरएसपी सांसद ने जल शक्ति मंत्रालय की अनुदान की मांगों का विरोध करते हुए कहा, ‘‘आप (जल शक्ति मंत्रालय) कोष का उपयोग नहीं कर रहे, फिर देने का क्या मतलब है?’’
उन्होंने यह भी कहा कि पेयजल का अधिकार नल से जल पाने का अधिकार नहीं है बल्कि पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन परियोजना एक नवोन्मेषी योजना थी लेकिन यह इंजीनयरिंग परियोजना बन कर रह गई है। उन्होंने सरकार से इसकी समीक्षा करने की मांग की।
प्रेमचंद्रन ने कहा कि इसके केंद्रीय परियोजना होने का दावा किया जाता है लेकिन इसके कार्यान्वयन में सांसदों को कोई भूमिका नहीं दी गई है।
उन्होंने कहा कि परियोजना में उपयुक्त बदलाव करने की जरूरत है ताकि बजट में आवंटित धन का उपयोग गरीब लोगों के लिए हो।
केरल कांग्रेस के सदस्य के. फ्रांसिस जॉर्ज ने भी अनुदान की मांगों का विरोध करते हुए कहा कि पिछले वित्त वर्ष में 70,000 करोड़ रुपये आवंटित किये गए लेकिन 50,000 करोड़ रुपये भी खर्च नहीं किये गए।
उन्होंने मुल्लापेरियार बांध का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा, ‘‘यह बांध 130 साल पुराना है। तमिलनाडु से पानी साझा करने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन बांध की ऊंचाई बढ़ाने से जुड़े सुरक्षा पहलुओं पर केंद्र गंभीरता से विचार करे। केंद्र चर्चा कर मुद्दे का हल करे। हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री खुद इस मामले में हस्तक्षेप करें।’’
कांग्रेस के रकीबुल हुसैन ने कहा कि असम के माजुली नदी द्वीप में मिट्टी का कटाव एक बड़ा खतरा है। इससे द्वीप का आकार घट कर करीब आधा रह गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ब्रहपुत्र नदी और इसकी 33 सहायक नदियां किस कदर मिट्टी का कटाव करती है, वह हम दिल्ली में बैठकर अनुमान नहीं लगा सकते।
हुसैन ने कहा कि इस समस्या को ठीक से समझने के लिए राज्य में विशेषज्ञ और सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को भेजने की आवश्यकता है और समस्या के समाधान के लिए एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।
उन्होंने असम में बाढ़ और नदियों के कारण होने वाले कटाव को राष्ट्रीय समस्या घोषित करने की भी मांग की।
भाजपा के अनुराग शर्मा ने केन-बेतवा नदियों को जोड़ने की योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि 42,000 करोड़ रुपये की इस परियोजना से 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित होगा।
भाजपा सांसद ने बुंदेलखंड की जल संरक्षण दीदी के कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें मानदेय देने की केंद्र से मांग की।
शिवसेना के श्रीरंग आप्पा बारणे ने कहा कि नदियों का लगभग 30 प्रतिशत पानी समुद्र में चला जाता है। उन्होंने कहा कि देश में एक भी नदी का पानी पीने लायक या उपयोग योग्य नहीं है।
उन्होंने आरोप लगाया कि जल जीवन मिशन के तहत, नल से जल कनेक्शन की डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) गलत तरीके से बनाई जाती है और यह योजना ठेकेदारों के भरोसे कार्यान्वित की जा रही है।
कांग्रेस सदस्य इशा खान चौधरी ने कहा कि बाढ़ नियंत्रण के मद में इस साल 800 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है और इस तरह यह 2013-14 (संप्रग के शासनकाल के दौरान) से करीब 200 करोड़ रुपये कम है।
उन्होंने कहा कि असम और पश्चिम बंगाल के लोग बाढ़ से अधिक प्रभावित हैं और मिट्टी के कटाव की समस्या का सामना कर रहे हैं।
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल ने कहा कि नदियों की सफाई पर करोड़ों रुपये खर्च किये जाने के बावजूद भी नदियों में प्रदूषण खत्म नहीं हो रहा।
उन्होंने राजस्थान में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में हुए घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की।
आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के एडवोकेट चंद्रशेखर ने कहा कि देश की आजादी के 75 साल बाद भी लोगों को स्वच्छ पानी नहीं मिल रहा।
उन्होंने कहा कि नमामी गंगे योजना सफल हुई या नहीं, क्या सरकार इसकी किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराएगी।
समाजवादी पार्टी के सनातन पांडेय ने हाल में संपन्न महाकुंभ मेले की ओर इशारा करते हुए सवाल किया, ‘‘यदि यमुना नदी का जल दिल्ली में स्वच्छ नहीं है तो यह प्रयागराज में जाकर कैसे स्वच्छ हो गया?’’
इस पर सदन में शोरगुल के बीच, भाजपा के निशिकांत दुबे ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, ‘‘भारत के संविधान का अनुच्छेद 28 कहता है कि किसी की भी धार्मिक भावना पर सवाल खड़ा नहीं किया जा सकता, लेकिन यदि उन्हें संगम अच्छा नहीं लगता तो यह उनका विषय है। हमारे लिए संगम महत्वपूर्ण है। हम गंगा और यमुना को पवित्र मानते हैं...।’’
भाजपा के प्रवीण पटेल और गोविंद एम करजोल, कांग्रेस की बी शोभा दिनेश, निर्दलीय मोहम्मद हनीफा, राष्ट्रीय लोक दल के चंदन चौहान, शिवसेना (उबाठा) के भाऊसाहेब राजाराम वाकचौरे, विदुथलाई चिरुथईगल काची (वीसीके) के डी. रवि कुमार ने भी चर्चा में हिस्सा लिया।
भाषा
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