डल्लेवाल और पंधेर को हिरासत में लिया गया, पंजाब पुलिस ने धरनास्थल खाली कराना शुरू किया
धीरज पारुल
- 19 Mar 2025, 11:53 PM
- Updated: 11:53 PM
(तस्वीरों के साथ)
चंडीगढ़, 19 मार्च (भाषा) चंडीगढ़ में बुधवार को केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के बाद लौट रहे सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल सहित कई किसान नेताओं को मोहाली में हिरासत में ले लिया गया। इस बीच, पंजाब पुलिस ने शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं से प्रदर्शनकारी किसानों को हटाना शुरू कर दिया, जहां पर वे एक साल से अधिक समय से डेरा डाले हुए हैं।
पुलिस ने कहा कि अस्थायी ढांचों और मंचों के अलावा किसानों द्वारा खड़ी की गई ट्रॉलियों और अन्य वाहनों को हटाने के बाद जल्द ही दोनों राजमार्गों को खोल दिया जाएगा। किसान पिछले साल फरवरी से ही यहां डेरा डाले हुए हैं।
किसान नेता गुरमनीत सिंह मंगत ने कहा कि किसान नेताओं को मोहाली में तब हिरासत में लिया गया, जब वे केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के बाद शंभू विरोध स्थल की ओर लौट रहे थे।
पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने किसानों को प्रदर्शन स्थलों से हटाए जाने को उचित ठहराते हुए कहा कि राज्य के लिए जीवनरेखा सरीखे दोनों राजमार्गों के लंबे समय तक बंद रहने से उद्योग और कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आम आदमी पार्टी (आप) युवाओं के लिए रोजगार सृजन के लिए प्रतिबद्ध है। अगर व्यापार और उद्योग सुचारू रूप से चलते रहेंगे, तो उन्हें रोजगार मिलेगा।’’
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने किसान नेताओं को हिरासत में लेने की कड़ी निंदा की और आरोप लगाया कि पंजाब की ‘आप’ सरकार केंद्र और किसानों के बीच वार्ता को ‘‘विफल’’ करने की कोशिश कर रही है।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने पंजाब पुलिस द्वारा कई किसान नेताओं को ‘‘धोखे से’’ हिरासत में लेने की निंदा की और इसे देश के अन्नदाताओं का ‘‘बड़ा अपमान’’ करार दिया, जो अपनी “वैध” मांगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने यहां जारी एक बयान में कहा कि यह बेहद दुखद है कि जिन किसानों ने देश की प्रगति, समृद्धि और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, वे आज सरकारों की ‘‘किसान विरोधी’’ नीतियों के कारण पीड़ित हैं।
धामी ने कहा कि यह पंजाब सरकार के लिए शर्मनाक दिन है, क्योंकि केंद्रीय मंत्रियों के साथ बातचीत के तुरंत बाद किसान नेताओं को ‘‘धोखे से’’ हिरासत में ले लिया गया।
धामी ने सवाल किया कि क्या सरकारें किसानों से इतनी डरी हुई हैं कि वे उनसे बातचीत भी नहीं कर सकतीं। उन्होंने मांग की कि हिरासत में लिए गए किसान नेताओं और किसानों को तुरंत रिहा किया जाए और सरकार उनसे माफी मांगे।
दोनों विरोध स्थलों पर पुलिस कार्रवाई के संकेत सुबह से ही मिलने लगे थे, क्योंकि वहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात था। वहीं, किसान नेताओं ने चंडीगढ़ में केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की।
किसानों ने बताया कि दोनों प्रदर्शन स्थल के पास एम्बुलेंस, बसें, अग्निशमन और दंगा रोधी वाहन तैनात किए गए हैं। खनौरी स्थल पर लगभग 200 किसान और शंभू सीमा बिंदु पर लगभग 50 किसान मौजूद थे।
यह पूछे जाने पर कि यातायात कब बहाल होगा, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पंजाब की तरफ की सड़क बुधवार रात को ही खाली करा दी जाएगी और यातायात की बहाली इस बात पर निर्भर करेगी कि हरियाणा सरकार कब अवरोधक हटाती है।
बिट्टू ने कहा कि उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से बात की है और उनसे सुरक्षाकर्मियों द्वारा लगाए गए अवरोधक हटाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि अवरोधक हटाने में दो से तीन दिन लगेंगे और उसके बाद हरियाणा की तरफ से सड़क खोल दी जाएगी।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली कूच करने से रोके जाने पर पिछले साल 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू (शंभू-अंबाला) और खनौरी (संगरूर-जींद) सीमा पर डेरा डाले हुए हैं।
किसान फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों के समर्थन में विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।
चंडीगढ़ में किसानों की विभिन्न मांगों पर चर्चा के लिए किसान नेताओं और केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के बीच ताजा दौर की वार्ता बेनतीजा रही।
तीन घंटे से अधिक समय तक चली बैठक के बाद कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘‘वार्ता सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई। चर्चा सकारात्मक और रचनात्मक तरीके से हुई। बातचीत जारी रहेगी। अगली बैठक चार मई को होगी।’’
किसान नेता मंगत ने दावा किया कि किसानों को उनके गंतव्य की ओर जाने से रोकने के लिए मोहाली में बड़े पैमान पर अवरोधक लगाए गए।
मंगत ने कहा कि पंधेर और डल्लेवाल के साथ अभिमन्यु कोहाड़, काका सिंह कोटरा और मंजीत सिंह राय को हिरासत में लिया गया है।
उन्होंने बताया कि पंधेर को जीरकपुर नाके के नजदीक से हिरासत में लिया गया और पटियाला के बहादुरगढ़ कमांडो पुलिस प्रशिक्षण केंद्र ले जाया गया। एंबुलेंस में मौजूद डल्लेवाल को भी हिरासत में लिया गया।
कुछ किसानों ने पुलिस कार्रवाई का विरोध किया और पुलिसकर्मियों के साथ हाथापाई की।
भाजपा नेता बिट्टू ने एक बयान में कहा कि किसान नेताओं के खिलाफ पंजाब पुलिस की कार्रवाई की खबर सुनकर वह स्तब्ध हैं। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में किसान नेताओं के साथ बैठक में शामिल हुए तीन केंद्रीय मंत्री उस समय हैरान रह गए, जब उन्हें पुलिस की कार्रवाई के बारे में बताया गया।
पुलिस की इस कार्रवाई को पंजाब के उद्योगपतियों में व्याप्त बेचैनी के संदर्भ में देखा जा रहा है, जिन्होंने शंभू और खनौरी सीमा चौकियों के बंद होने के कारण हुए भारी नुकसान को रेखांकित किया है।
चीमा ने कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा, ‘‘व्यापार को नुकसान हो रहा है। इन सभी स्थितियों को देखते हुए यह कार्रवाई की गई है। हम किसान नेताओं से कह रहे हैं कि उनकी लड़ाई केंद्र से है। आप केंद्र से लड़िए। हम आपके साथ हैं। आप सीमा बंद करके पंजाब को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं।’’
चीमा ने कहा कि पंजाब सरकार किसानों की जायज मांगों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस बात पर जोर दिया कि ‘आप’ के मंत्री किसानों की चिंताओं को केंद्र सरकार के समक्ष रखने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम किसान नेताओं से आग्रह करते हैं कि वे पंजाब को आगे बढ़ने देते हुए अपना संघर्ष केंद्र सरकार के खिलाफ केंद्रित करें। हम आज भी किसानों के साथ खड़े हैं, जैसा कि हम हमेशा से रहे हैं और उनके साथ मिलकर लड़ते रहेंगे।’’
पुलिस उपमहानिरीक्षक (पटियाला रेंज) मनदीप सिंह सिद्धू के नेतृत्व में करीब 3,000 पुलिसकर्मी प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए खनौरी सीमा पर मौजूद थे। इसी तरह, भारी संख्या में पुलिसकर्मी सड़क खाली कराने के लिए शंभू सीमा पर भी पहुंचे।
खनौरी में सिद्धू ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि सरकार ने सड़क खाली करने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
डीआईजी ने कहा कि पुलिस प्रदर्शनकारी किसानों को अपने बुजुर्गों के समान मानती है और किसी भी टकराव के लिए नहीं आई है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि उनकी संख्या 3,000 है, जो किसानों की संख्या 200 से ज़्यादा है।
डीआईजी ने युवाओं को चेतावनी दी कि वे सुरक्षाकर्मियों और पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार न करें।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है, जिसके तहत पांच या इससे अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगाया गया है, इसलिए उनका एकत्र होना अवैध है।
अतिरिक्त उपायुक्त सुखचैन सिंह ने लाउडस्पीकर पर प्रदर्शनकारियों से 10 मिनट में सड़क खाली करने को कहा। बाद में पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और उन्हें प्रदर्शन स्थल पर खड़ी बसों में ले गए।
शंभू और खनौरी सीमा चौकियों पर पुलिस कर्मियों को मंचों को हटाते हुए देखा गया। पुलिस ने विरोध स्थलों पर किसानों द्वारा स्थापित संरचनाओं को हटाने के लिए जेसीबी मशीनों का इस्तेमाल किया।
प्रदर्शनकारी किसानों की कई ट्रैक्टर-ट्रॉलियां और अन्य वाहन सड़क पर खड़े देखे गए थे।
इससे पहले, खनौरी बॉर्डर पर किसानों ने किसान नेताओं पर पुलिस कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन किया और पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
चंडीगढ़ में केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के बाद किसान नेता काका सिंह कोटरा ने कहा कि शंभू और खनौरी सीमा पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
कई विपक्षी नेताओं ने किसानों को हिरासत में लेने की पुलिस कार्रवाई को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार पर निशाना साधा।
कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने किसान नेताओं की हिरासत को कृषि क्षेत्र पर ‘हमला’ करार दिया और पुलिस की कार्रवाई को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के नेता दलजीत सिंह चीमा ने किसान नेताओं को हिरासत में लेने की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, ‘‘यह बेहद अलोकतांत्रिक और अतार्किक कार्रवाई है और किसान नेताओं के साथ विश्वासघात है। बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद कहा कि अगली बैठक चार मई को होगी।’’
चीमा ने कहा, ‘‘इसलिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को यह बताना चाहिए कि बैठक के बाद क्या हुआ और नेताओं को उनके स्थानों पर वापस जाते समय तुरंत गिरफ्तार करने के आदेश किसने दिए? राज्य सरकार ने दिल्ली में अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए किसान नेताओं की पीठ में छुरा घोंपा है। ऐसा करके भगवंत मान के नेतृत्व वाली ‘आप’ सरकार किसानों के आंदोलन को कुचलना चाहती है।’’
उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘इससे यह उजागर हो गया है कि केंद्र सरकार और भगवंत मान सरकार एक-दूसरे के साथ मिली हुई हैं। शिअद ने बिना देरी किए सभी किसान नेताओं को तुरंत रिहा करने की मांग की है।’’
भाषा धीरज