मेइती कमेटी ने गांवों की कानूनी सुरक्षा और विस्थापितों के पुनर्वास का न्यायाधीश से किया अनुरोध
अमित रंजन
- 22 Mar 2025, 08:28 PM
- Updated: 08:28 PM
इंफाल, 22 मार्च (भाषा) मणिपुर के चुराचांदपुर के एक मेइती संगठन ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बी आर गवई से मणिपुर के कुकी बहुल जिले में समुदाय के गांवों की कानूनी सुरक्षा और आंतरिक रूप से विस्थापितों का पुनर्वास सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
चुराचांदपुर मेइती यूनाइटेड कमेटी ने न्यायमूर्ति गवई को एक ज्ञापन सौंपा। न्यायमूर्ति गवई के नेतृत्व में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के प्रतिनिधिमंडल ने जातीय संघर्ष से प्रभावित पूर्वोत्तर राज्य का दिन में दौरा किया।
उसने कहा, ‘‘चुराचांदपुर में मेइती गांव ऐतिहासिक रूप से हमारे समुदाय के हैं, लेकिन बढ़ते अतिक्रमण से हमारे वैध स्वामित्व को खतरा है... हम अपने गांवों के लिए कानूनी सुरक्षा की मांग करते हैं।’’
कमेटी ने बिष्णुपुर जिले में न्यायमूर्ति गवई को ज्ञापन सौंपा और शांतिपूर्ण एवं स्थिर माहौल के लिए सुरक्षा उपायों को बढ़ाकर जिले में मेइती समुदाय के पुनर्वास का आह्वान भी किया।
उसने यह भी मांग की कि चुराचांदपुर जिले के मेइती समुदाय के आंतरिक रूप से विस्थापित प्रत्येक परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाए। उन्होंने मांग की कि बेहतर पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए राहत शिविरों का संचालन विस्थापितों द्वारा स्वयं किया जाए।
दूसरी ओर, विस्थापितों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक अन्य संस्था ‘रिलीफ कमेटी मणिपुर’ ने न्यायमूर्ति गवई से विस्थापितों को जल्द से जल्द उनके घरों में बसाने का आग्रह किया और पूरे राज्य में मुक्त आवाजाही की अनुमति देने का आह्वान किया।
बिष्णुपुर जिले के मोइरांग कॉलेज में न्यायमूर्ति गवई को सौंपे गए एक ज्ञापन में कमेटी ने राहत शिविरों में रहने वाले विस्थापितों को समान और उचित पारिश्रमिक और ओपीडी और चिकित्सकीय जांच सहित मुफ्त चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने का भी आह्वान किया।
कमेटी ने प्रवेश और परीक्षा शुल्क सहित मुफ्त शिक्षा के लिए एक आदेश जारी करने और विस्थापितों के लिए एक शिकायत प्रकोष्ठ खोलने का आह्वान भी किया। कमेटी ने यह भी मांग की कि विस्थापितों को सरकारी और निजी संस्थानों में भर्ती में प्राथमिकता दी जाए और भूमि रिकॉर्ड, निवास और जन्म प्रमाण पत्र सहित सभी दस्तावेज समय पर जारी किए जाएं।
मई 2023 में मेइती और कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों बेघर हो गए हैं।
भाषा अमित