नया जलवायु निकाय बनाने के ब्राजील के प्रस्ताव को लेकर यूरोपीय देश सशंकित
धीरज नेत्रपाल
- 06 Apr 2025, 05:32 PM
- Updated: 05:32 PM
(गौरव सैनी)
नयी दिल्ली, छह अप्रैल (भाषा) ब्राजील ने सीओपी के निर्णयों के क्रियान्वयन में तेजी लाने के लिए संयुक्त राष्ट्र जलवायु व्यवस्था के अंतर्गत एक नया बहुपक्षीय निकाय बनाने का प्रस्ताव दिया है जिसपर प्रमुख विकसित देशों की ओर से सतर्क प्रतिक्रिया आई है।
जर्मनी, नीदरलैंड और स्वीडन ने सुधार चर्चाओं का समर्थन किया है, लेकिन यूएनएफसीसीसी की मूल प्रक्रिया के कमजोर होने को लेकर आगाह किया है।
ब्राजील इस वर्ष बेलेम में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन या सीओपी30 की मेजबानी करेगा। उसने जलवायु परिवर्तन पर विश्व की प्रतिक्रिया में सुधार लाने के लिए जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र प्रारूप संधि (यूएनएफसीसीसी) के तहत एक ‘जलवायु परिवर्तन परिषद’ की स्थापना का अनौपचारिक रूप से प्रस्ताव रखा है।
इसका उद्देश्य निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी लाना, प्रयासों में समन्वय स्थापित करना तथा कार्यान्वयन में सुधार लाना है, क्योंकि अनेक लोगों का मानना है कि वर्तमान संयुक्त राष्ट्र जलवायु प्रक्रिया बहुत धीमी तथा जटिल है।
पेरिस समझौते ने औद्योगिक क्रांति की शुरुआत से लेकर अब तक अनुमानित तापमान वृद्धि को 2.1-2.8 डिग्री सेल्सियस तक कम करने में मदद की है, लेकिन दुनिया अभी भी अपने 1.5 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य से दूर है। वास्तव में, 2024 पहला वर्ष था जब वैश्विक तापमान पूरे कैलेंडर वर्ष के लिए 1.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर था। विशेषज्ञों का कहना है कि वास्तविक प्रगति के लिए अब पेरिस समझौते और जलवायु कूटनीति के काम करने के तरीके पर पूर्ण पुनर्विचार की आवश्यकता होगी।
पिछले सप्ताह भारत की यात्रा पर आए यूरोपीय संघ के देशों के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य, अंतरराष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई के लिए जर्मनी के उप-विशेष दूत गेरहार्ड श्लाउड्राफ ने पत्रकारों को बताया कि इस विचार पर मार्च में बर्लिन में पीटर्सबर्ग जलवायु वार्ता में चर्चा की गई थी।
उन्होंने बातचीत शुरू करने के लिए ब्राजील के कदम का स्वागत किया, लेकिन यूएनएफसीसीसी या पेरिस समझौते को कमजोर करने के खिलाफ चेतावनी दी।
श्लाउड्राफ ने कहा, ‘‘ब्राजीलवासियों ने एक सामान्य विचार सामने रखा... लेकिन कमरे में उपस्थित सभी लोगों का यह भी विचार था कि यूएनएफसीसीसी इस समय हमारे पास सबसे अच्छी चीज है और हमें इसे नहीं छोड़ना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र जलवायु प्रक्रिया ‘‘कार्यशील बहुपक्षवाद की अभिव्यक्ति है, जहां हर किसी की बात समान रूप से सुनी जाती है (और) हर आवाज सुनी जाती है’’।
श्लाउड्राफ ने यह भी कहा कि किसी को सीओपी या यूएनएफसीसीसी प्रक्रिया से ऐसी उम्मीद नहीं करनी चाहिए जो वह पूरा न कर सके। उन्होंने कहा, ‘‘हर वर्ष यह उम्मीद की जाती है कि सीओपी जलवायु संकट का समाधान कर देगा, लेकिन यह यथार्थवादी नहीं है।’’
जलवायु एवं पर्यावरण के लिए यूरोपीय संघ के विशेष दूत एंथनी अगोथा ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि यद्यपि संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता धीमी हो सकती है, फिर भी वह बदला जाने योग्य नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ये सर्वसम्मति वाली संयुक्त राष्ट्र प्रक्रियाएं हैं और ये बहुत ही धीमी हो सकती हैं। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि हम सभी इन सीओपी में एक साथ आते हैं... और हम कुछ न कुछ लेकर आते हैं।’’
अगोथा ने कहा कि पिछले साल बाकू में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (सीओपी29) का नतीजा ‘और भी बुरा हो सकता था’ और वार्ता लगभग टूट गई थी।
उन्होंने कहा कि ऐसी बात, विशेषकर ऐसे समय में जब अमेरिका पेरिस समझौते से अलग हो रहा है, इस प्रक्रिया के लिए विनाशकारी होती।
आगेथा ने कहा, ‘‘मैं यह मानता हूं कि इसे बनाए रखने में हम सबकी भूमिका है, इसलिए मैं इसे जीत के रूप में लेता हूं।’’ हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि परिणाम ‘‘बहुत अच्छा नहीं था’’।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास कोई विश्व सरकार नहीं है... दिलचस्प बात यह है कि हम सभी इन सीओपी में एक साथ आते हैं... और कुछ न कुछ लेकर आते हैं।’’
स्वीडन के जलवायु राजदूत मैटियास फ्रुमेरी ने भी मौजूदा प्रणाली के भीतर कार्यान्वयन में सुधार का समर्थन किया। उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी को लगता है कि समग्र रूप से यूएनएफसीसीसी प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाने की आवश्यकता होगी, खासकर जब कार्यान्वयन की बात आती है।’’
भाषा धीरज