रसोई गैस सिलेंडर 50 रुपया महंगा हुआ, पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क भी दो रुपये बढ़ा
प्रेम प्रेम अजय
- 07 Apr 2025, 06:44 PM
- Updated: 06:44 PM
नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) सरकार ने सोमवार को रसोई गैस की कीमतों में 50 रुपये प्रति सिलेंडर की भारी बढ़ोतरी करने के साथ ही पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क भी दो रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिया।
हालांकि, पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों पर उत्पाद शुल्क में वृद्धि का कोई असर नहीं होगा।
रसोई गैस की कीमत में यह बढ़ोतरी ‘उज्ज्वला’ योजना के तहत लाभान्वित गरीबों और सामान्य उपयोगकर्ताओं दोनों के लिए होगी। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि गैस कीमतों में 50 रुपये की वृद्धि आठ अप्रैल से प्रभावी होगी।
मूल्यवृद्धि के बाद उज्जवला उपयोगकर्ताओं के लिए रसोई गैस की कीमत राष्ट्रीय राजधानी में 503 रुपये से बढ़कर 553 रुपये प्रति सिलेंडर हो जाएगी। वहीं सामान्य उपभोक्ताओं के लिए अब 14.2 किलोग्राम के रसोई गैस वाले सिलेंडर की कीमत 853 रुपये हो जाएगी।
रसोई गैस की कीमतें स्थानीय करों के आधार पर अलग-अलग राज्यों में भिन्न-भिन्न हैं। पिछली बार मार्च, 2024 में इनमें 100 रुपये की कटौती की गई थी।
इसके साथ ही सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में भी दो-दो रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है लेकिन इससे खुदरा कीमतों में कोई बदलाव नहीं होगा। यह बढ़ोतरी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल कीमतों में गिरावट से पेट्रोलियम कंपनियों को होने वाले लाभ से समायोजित हो जाएगी।
एक सरकारी आदेश के मुताबिक, पेट्रोल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क 11 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 13 रुपये और डीजल पर आठ रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है। यह आदेश मंगलवार से लागू हो जाएगा।
इसके साथ ही पेट्रोल पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए करों का कुल भार 19.9 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 21.9 रुपये प्रति लीटर हो गया है। इसमें 1.40 रुपये प्रति लीटर मूल उत्पाद शुल्क, 13 रुपये विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, 2.50 रुपये कृषि उपकर और पांच रुपये सड़क और बुनियादी ढांचा उपकर शामिल है।
इसी तरह डीजल पर केंद्र सरकार के करों का कुल भार 15.80 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 17.80 रुपये हो गया है। इसमें 1.80 रुपये प्रति लीटर मूल उत्पाद शुल्क, 10 रुपये विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, चार रुपये कृषि उपकर और दो रुपये सड़क एवं बुनियादी ढांचा उपकर शामिल है।
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि एलपीजी मूल्य निर्धारण के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय मानक औसत सऊदी सीपी जुलाई, 2023 के 385 डॉलर से फरवरी, 2025 में 63 प्रतिशत बढ़कर 629 डॉलर प्रति टन हो गया। इससे दिल्ली में रसोई गैस की कीमत 1,028.50 रुपये प्रति सिलेंडर होनी चाहिए थी।
पुरी ने कहा, ‘‘लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम विपणन कंपनियां अबतक कीमतों को नियंत्रित रखती रही हैं। लागत से कम दाम पर गैस बेचने से सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को वित्त वर्ष 2024-25 में 41,338 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। उनके बढ़ते घाटे को देखते हुए कीमतों में मामूली वृद्धि की गई है।’’
उन्होंने कहा कि रसोई गैस कीमतों की हर महीने समीक्षा की जाएगी और किसी भी नरमी का लाभ उपभोक्ताओं को दिया जाएगा।
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि 50 रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी केवल भविष्य की लागत को कवर करेगी और पिछली लागत के लिए, पेट्रोलियम मंत्रालय वित्त मंत्रालय से बजटीय सहायता मांगेगा।
इसके साथ ही पुरी ने कहा कि पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क वृद्धि से मिलने वाली राशि का उपयोग पेट्रोलियम कंपनियों को उनके घाटे की भरपाई के लिए किया जा सकता है।
देश में सालाना 16,000 करोड़ लीटर पेट्रोल एवं डीजल की खपत होती है। ऐसे में उत्पाद शुल्क में दो रुपये प्रति लीटर की वृद्धि से सरकार को 32,000 करोड़ रुपये तक का लाभ हो सकता है।
हालांकि, करों में किसी भी बदलाव का असर आमतौर पर उपभोक्ताओं पर पड़ता है लेकिन उत्पाद शुल्क वृद्धि का असर पेट्रोल और डीजल के खुदरा बिक्री मूल्य पर नहीं पड़ेगा।
इसकी वजह यह है कि कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में हाल के दिनों में आई बड़ी गिरावट से पेट्रोलियम कंपनियों को होने वाला लाभ उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी की भरपाई कर देगा।
अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध छिड़ने से कच्चे तेल की कीमतें अप्रैल, 2021 के बाद के सबसे निचले स्तर पर आ गई हैं। दरअसल, बढ़ते व्यापार तनाव ने मंदी आने और कच्चे तेल की मांग घटने की आशंकाओं को बढ़ा दिया है।
सोमवार को ब्रेंट क्रूड वायदा 2.43 डॉलर यानी 3.7 प्रतिशत गिरकर 63.15 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया जबकि यूएस वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट क्रूड वायदा 2.42 डॉलर यानी 3.9 प्रतिशत गिरकर 59.57 डॉलर के भाव पर आ गया।
भारत के लिए कच्चे तेल की कीमतें काफी मायने रखती हैं। इसकी वजह यह है कि भारत अपनी 85 प्रतिशत कच्चे तेल की जरूरतों को आयात से ही पूरा करता है।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, ‘‘सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम विपणन कंपनियों ने सूचित किया है कि उत्पाद शुल्क दरों में की गई वृद्धि के बाद पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कोई वृद्धि नहीं होगी।’’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने 11 साल के अपने शासन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें गिरने की स्थिति में उत्पाद शुल्क में वृद्धि की है।
नवंबर, 2014 से जनवरी, 2016 के बीच सरकार ने वैश्विक तेल कीमतों में गिरावट से होने वाले लाभ को कम करने के लिए नौ मौकों पर पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाया था। उन 15 महीनों में पेट्रोल पर 11.77 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13.47 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की गई थी।
इससे सरकार का उत्पाद शुल्क संग्रह 2014-15 में 99,000 करोड़ रुपये से दोगुने से अधिक बढ़कर 2016-17 में 2,42,000 करोड़ रुपये हो गया।
सरकार ने अक्टूबर, 2017 में भी उत्पाद शुल्क में दो रुपये और एक साल बाद 1.50 रुपये की कटौती की थी। लेकिन जुलाई, 2019 में इसने उत्पाद शुल्क में दो रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की। इसने मार्च, 2020 में फिर से उत्पाद शुल्क में तीन रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की।
मार्च, 2020 से मई, 2020 के बीच पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कुल 13 रुपये और 16 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई थी।
लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आने पर सरकार ने उत्पाद शुल्क में पेट्रोल और डीजल में क्रमशः 13 रुपये और 16 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि को वापस ले लिया। इससे दिल्ली में पेट्रोल की कीमत को 105.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल को 96.67 रुपये प्रति लीटर के रिकॉर्ड उच्च स्तर से नीचे लाने में मदद मिली।
पिछले साल आम चुनावों की घोषणा से ठीक पहले सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में दो रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी। फिलहाल दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 94.77 रुपये और डीजल की कीमत 87.67 रुपये प्रति लीटर है।
भाषा प्रेम प्रेम