‘राम राज्य’ से मिलने वाली सुशासन की प्रेरणा राष्ट्र निर्माण का बड़ा आधार : प्रधानमंत्री मोदी
नरेश प्रशांत
- 06 Apr 2025, 07:17 PM
- Updated: 07:17 PM
रामेश्वरम (तमिलनाडु), छह अप्रैल (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को यहां कहा कि भगवान श्रीराम का जीवन और उनके राज्य से मिलने वाली “सुशासन की प्रेरणा राष्ट्र निर्माण का बड़ा आधार” है।
प्रधानमंत्री ने यहां रामेश्वरम द्वीप और मुख्य भूमि क्षेत्र के बीच रेल संपर्क की सुविधा प्रदान करने वाले पंबन समुद्री पुल के उद्घाटन और नयी रामेश्वरम-तांबरम (चेन्नई) ट्रेन सेवा को हरी झंडी दिखाने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए यह बात कही।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर तमिलनाडु में 8300 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया।
उन्होंने कहा, “आज रामनवमी का पावन पर्व है। अब से कुछ समय पूर्व अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला का सूर्य की किरणों ने भव्य तिलक किया है। भगवान श्रीराम का जीवन, उनके राज्य से मिलने वाली सुशासन की प्रेरणा राष्ट्र निर्माण का बड़ा आधार है।”
उन्होंने संगम युग के साहित्य का हवाला देते हुए भगवान राम के साथ तमिलनाडु के जुड़ाव को भी रेखांकित किया। श्रीलंका के साथ मछुआरों के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में श्रीलंका से 3,700 से अधिक मछुआरों को वापस लाया गया है, जिनमें से 600 से अधिक को पिछले साल ही वापस लाया गया।
मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने इस कार्यक्रम में भाग नहीं लिया और परिसीमन के मुद्दे पर विरोध जताया।
स्टालिन ने कहा कि उन्होंने पहले ही प्रधानमंत्री को पुल के उद्घाटन समारोह में भाग लेने में असमर्थता से अवगत करा दिया था, क्योंकि उनके पहले से ही आधिकारिक कार्यक्रम निर्धारित थे। मुख्यमंत्री रविवार को आधिकारिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए उधगमंडलम शहर में थे।
स्टालिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को प्रस्तावित परिसीमन प्रक्रिया को लेकर तमिलनाडु के लोगों की आशंकाओं को दूर करना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने बिना किसी का नाम लिए तमिल भाषा का समर्थन करते हुए पलटवार किया। उन्होंने गरीबों की मदद के लिए तमिल माध्यम में चिकित्सा शिक्षा देने की वकालत की और कहा कि हाल के वर्षों में राज्य को 11 नए मेडिकल कॉलेज मिले हैं।
मोदी ने कहा कि तमिल भाषा और विरासत को दुनिया के सभी कोनों तक ले जाने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के नेताओं की चिट्ठीयां जब उनके पास आती हैं तो “कभी भी कोई नेता तमिल भाषा में हस्ताक्षर नहीं करता है। अरे तमिल का गौरव हो! मैं सबसे कहूंगा कम से कम तमिल भाषा में अपने हस्ताक्षर तो करो।”
इससे पहले प्रधानमंत्री ने यहां रामनाथस्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना की।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु का हमारा मत्स्य उद्योग से जुड़ा समाज बहुत मेहनती है। मोदी ने कहा कि मत्स्य उद्योग से जुड़ी अवसंरचना को मजबूत करने के लिए राज्य को जो भी मदद चाहिए, वो केंद्र सरकार दे रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले पांच साल में, ‘पीएम मत्स्य संपदा योजना’ के तहत भी, तमिलनाडु को करोड़ों रुपए मिले हैं। उन्होंने कहा, सरकार की कोशिश यही है कि मछुआरों को ज्यादा सुविधाएं मिलें, चाहे सीवीड पार्क हो या फिर फिशिंग हार्बर और लेंडिंग सेंटर हों, केंद्र सरकार यहां सैकड़ों करोड़ रुपए का निवेश कर रही है।
उन्होंने बताया कि बीते 10 वर्षों में भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था का आकार दोगुना किया है। इतनी तेज वृद्धि का एक बड़ा कारण हमारी शानदार आधुनिक अवसंरचना भी है।
द्रमुक शासन द्वारा राज्य को धन आवंटन पर नाराजगी जताए जाने की पृष्ठभूमि में मोदी ने कहा, “विकसित भारत के सफर में तमिलनाडु की बहुत बड़ी भूमिका है। मैं मानता हूं, तमिलनाडु का सामर्थ्य जितना ज्यादा बढ़ेगा, भारत की वृद्धि उतनी ही तेज होगी। बीते दशक में तमिलनाडु के विकास के लिए, 2014 से पहले की तुलना में तीन गुणा ज्यादा पैसा केंद्र से दिया गया है।”
तमिलनाडु में अवसंरचना विकास को केंद्र सरकार की प्राथमिकता बताते हुए उन्होंने कहा कि बीते एक दशक में तमिलनाडु का रेलवे बजट सात गुणा से ज्यादा बढ़ाया गया है।
उन्होंने कहा, “2014 से पहले, रेल परियोजनाओं के लिए हर साल सिर्फ 900 करोड़ रुपये ही मिलते थे और आपको पता है उस समय विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के मुख्य कर्ताधर्ता कौन थे? इस वर्ष, तमिलनाडु का रेल बजट, 6000 करोड़ रुपये से ज्यादा है। भारत सरकार, यहां के 77 रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण कर रही है। इसमें रामेश्वरम का स्टेशन भी शामिल है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “बीते 10 सालों में हमने रेल, सड़क, हवाईअड्डे, बंदरगाह, बिजली, पानी, गैस पाइपलाइन, ऐसी अवसंरचनाओं का बजट करीब छह गुणा बढ़ाया है। आज देश में बहुत तेजी से बड़ी परियोजनाओं पर काम हो रहा है।”
उन्होंने कहा, “आप उत्तर में देखेंगे, तो जम्मू कश्मीर में दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुलों में से एक, चिनाब सेतु बना है। पश्चिम में मुंबई में देश का सबसे लंबा समुद्री पुल, अटल सेतु बना है। पूर्व में असम में बोगीबील पुल है। और दक्षिण में दुनिया के गिने-चुने वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज में से एक, पंबन पुल का निर्माण पूरा हुआ है।”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि क्षेत्रों के बीच संपर्क बेहतर होने से विकास की रफ्तार भी बढ़ जाती है।
मोदी ने कहा कि जब भारत का हर क्षेत्र आपस में जुड़ा होता है, तो विकसित राष्ट्र बनाने का रास्ता मजबूत होता है। उन्होंने कहा कि आज जब भारत का हर राज्य आपस में जुड़ रहा है, तो पूरे देश की क्षमता सामने आ रही है। उन्होंने कहा कि इसका फायदा भी तमिलनाडु समेत देश के हर क्षेत्र को हो रहा है।
पंबन पुल के उद्घाटन के अवसर पर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनके (कलाम के) जीवन ने हमें दिखाया कि विज्ञान और अध्यात्म एक दूसरे के पूरक हैं। इसी तरह, रामेश्वरम तक जाने वाला नया पंबन पुल तकनीक और परंपरा को एक साथ लाता है।
पंबन पुल से इस आध्यात्मिक स्थल तक पहुंचने में सुविधा होगी, जहां पूरे साल देश भर से श्रद्धालु आते हैं। सरकार के अनुसार, रामेश्वरम को मुख्य भूमि से जोड़ने वाला यह पुल भारतीय इंजीनियरिंग का एक उल्लेखनीय कारनामा है और इसे 700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाया गया है।
लगभग 2.08 किलोमीटर लंबे इस पुल में 99 ‘स्पैन’ और 72.5 मीटर लंबा ‘वर्टिकल लिफ्ट स्पैन’ है, जिसे 17 मीटर तक उठाया जा सकता है। इससे बड़े जहाजों का सुगम आवागमन और साथ ही निर्बाध ट्रेन संचालन सुनिश्चित होगा।
पुल में स्टेनलेस स्टील और उच्च श्रेणी के पेंट का इस्तेमाल किया गया है। इसमें पूरी तरह से वेल्डिंग किए हुए जोड़ हैं, जिससे पुल के रखरखाव की आवश्यकताएं कम होंगी और मजबूती बढ़ेगी।
इसकी नींव 333 ‘पाइल’ और 101 ‘पियर/पाइल कैप’ पर टिकी है तथा इसे दोहरी रेल पटरियों और भविष्य के विस्तार को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। ‘पॉलीसिलोक्सेन’ पेंट का उपयोग इसे जंग से बचाता है, जिससे कठोर समुद्री वातावरण में पुल की दीर्घावधि सुनिश्चित होगी।
प्रधानमंत्री ने पुल के उद्घाटन के मौके पर एक तटरक्षक पोत को भी हरी झंडी दिखाई जो पुल के नीचे से गुजरा।
भाषा नरेश प्रशांत