उच्चतम न्यायालय ने धमकाने के मामले में आदेश में हस्तक्षेप से इनकार किया
वैभव नेत्रपाल
- 07 Apr 2025, 08:15 PM
- Updated: 08:15 PM
नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और राज्य के अधिकारियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने से पुलिस टीम को रोकने के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
इन अधिकारियों पर एक व्यवसायी को एक निजी कंपनी में अपने परिवार के शेयर बेचने की धमकी देने का आरोप है।
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि वह हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहेगी।
महाधिवक्ता अनूप कुमार रतन ने कहा कि शिकायतकर्ता व्यवसायी द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करने के लिए उच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने जांच पूरी कर ली है और उसे अधिकार क्षेत्र वाली अदालतों के समक्ष आरोपपत्र दाखिल करने की जरूरत है।
पीठ ने कहा कि मामला अब भी उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है, जो आरोपपत्र दाखिल करने के पहलू की पड़ताल करेगा।
रतन ने कहा कि उच्च न्यायालय ने प्राथमिकी में कुछ अतिरिक्त धाराएं जोड़ने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा, ‘‘अब जब जांच पूरी हो गई है, तो इस अदालत को हस्तक्षेप क्यों करना चाहिए? आप उच्च न्यायालय के समक्ष जाएं।’’
गत 23 सितंबर, 2024 को, उच्च न्यायालय दो महानिरीक्षक रैंक के अधिकारियों- संतोष कुमार पटियाल और अभिषेक दुलार की एसआईटी टीम की जांच से असंतुष्ट था और उसने प्राथमिकियों में आगे की जांच का आदेश दिया, जिसमें हिमाचल प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू पर भी व्यवसायी पर दबाव बनाने में निजी पक्षों के साथ कथित रूप से मिलीभगत करने का आरोप लगाया गया था।
उच्च न्यायालय ने व्यवसायी की शिकायत पर जांच के तरीके पर मौजूदा डीजीपी अतुल वर्मा द्वारा दायर दो प्रतिकूल रिपोर्ट का संज्ञान लिया था तथा एसआईटी में एक और अधिकारी को शामिल करने एवं प्राथमिकियों में धारा 384 और 387 (जबरन वसूली) जोड़ने का निर्देश दिया था।
हालांकि, आगे की जांच के लिए 23 सितंबर, 2024 के आदेश पर शीर्ष अदालत ने 1 अक्टूबर, 2024 को कुंडू की याचिका पर रोक लगा दी थी।
उच्च न्यायालय ने 22 मई, 2024 को एसआईटी को आरोपपत्र दाखिल करने से रोक दिया और कहा, ‘‘अगले आदेश तक पुलिस थाना, शिमला (पूर्वी), जिला शिमला द्वारा पंजीकृत और पुलिस थाना, मैक्लॉडगंज, जिला कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश में पंजीकृत प्राथमिकियों में एसआईटी द्वारा अंतिम रिपोर्ट दाखिल नहीं की जाएगी।’’
पिछले साल 30 अप्रैल को डीजीपी के पद से सेवानिवृत्त होने वाले कुंडू ने उच्च न्यायालय के 23 सितंबर, 2024 के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी और मामला लंबित है।
पिछले साल 3 जनवरी को शीर्ष अदालत ने कुंडू को राहत दी और उच्च न्यायालय के 26 दिसंबर, 2023 के आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें राज्य सरकार से उन्हें पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पद से हटाने के लिए कहा गया था। उन्हें इन आरोपों पर हटाने के लिए कहा गया था कि उन्होंने एक व्यवसायी पर दबाव बनाने की कोशिश की, जिसने दावा किया कि उसे अपने साझेदारों से जान से मारने की धमकी मिली है।
शीर्ष अदालत ने कुंडू को आदेश वापस लेने के लिए उच्च न्यायालय जाने को कहा था, लेकिन बाद में इसे भी खारिज कर दिया गया था।
उच्च न्यायालय ने 26 दिसंबर, 2023 को राज्य सरकार को राज्य पुलिस प्रमुख और कांगड़ा के पुलिस अधीक्षक को स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था, ताकि वे व्यवसायी की जान को खतरे की शिकायत की जांच को प्रभावित न करें।
भाषा वैभव