‘ऑर्गनाइजर’ के आलेख और पादरियों पर हमले के बाद केरल में चर्च का भाजपा पर निशाना
वैभव नेत्रपाल अविनाश
- 07 Apr 2025, 08:19 PM
- Updated: 08:19 PM
तिरुवनंतपुरम, सात अप्रैल (भाषा) ईसाई समुदाय के समर्थन से केरल में अपनी पैठ मजबूत करने की भाजपा की कोशिशों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी पत्रिका ‘ऑर्गनाइजर’ के ऑनलाइन संस्करण में प्रकाशित एक विवादास्पद लेख के बाद झटका लगा है।
लेख में शक्तिशाली कैथलिक चर्च के स्वामित्व वाली भूमि के बारे में सवाल उठाए गए हैं, जिससे राज्य में चर्च के नेता नाराज हो गए।
विवादित लेख को अब वापस ले लिया गया है। केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ और माकपा के नेतृत्व वाले एलडीएफ दोनों का एक राजनीतिक विकल्प तैयार करने के मकसद से भाजपा लगातार बिशप और पादरियों को आकर्षित कर रही है, लेकिन इस लेख के बाद पार्टी को झटका लगा है।
भाजपा शासित मध्य प्रदेश में केरल के कैथलिक पादरियों पर कथित दक्षिणपंथी हमले की खबरों के बाद तनाव और बढ़ गया है, जिससे पार्टी के समूह में पैठ बढ़ाने के प्रयासों पर असर पड़ रहा है।
इस साल के अंत में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अपने वोट आधार का विस्तार करने की कोशिश कर रही भाजपा ने दिखाना चाहा कि यह मुद्दा इतना गंभीर नहीं है, लेकिन चर्च द्वारा संचालित दैनिक ‘दीपिका’ में सोमवार को एक संपादकीय में कहा गया कि देश भर के ईसाई लोग संघ परिवार द्वारा किए गए हर अत्याचार से प्रभावित हैं।
इसमें कहा गया, ‘‘अब तो बच्चे भी यह मानने लगे हैं कि धर्मांतरण रोधी कानून का इस्तेमाल किसी भी ईसाई को जेल में डालने और उनकी संस्थाओं को बंद करने के लिए किया जा सकता है।’’
संपादकीय में पूछा गया, ‘‘ऐसी स्थिति में, हम पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून की आलोचना कैसे कर सकते हैं?’’
संपादकीय में आरोप लगाया गया कि केंद्र सरकार की चुप्पी के कारण स्थिति और खराब हो गई है, जो उसके अनुसार, ईसाई संस्थानों और पूजा स्थलों पर हमला करने वालों के लिए प्रोत्साहन का स्रोत बन गई है।
इसमें कहा गया कि पिछले क्रिसमस सीजन की तरह, उत्तर भारत के ईसाई आने वाले ‘पवित्र सप्ताह’ को लेकर डर में जी रहे हैं।
ऑर्गनाइजर में प्रकाशित लेख को अब वापस लिया जा चुका है जिसमें दावा किया गया था कि कैथलिक चर्च भारत में सबसे बड़ा गैर-सरकारी भूस्वामी है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ‘दीपिका’ के संपादकीय में कहा गया कि यहां कोई भी आरएसएस के लेख से नहीं डरता, जिसमें सवाल किया गया है कि अधिक भूमि का मालिक कौन है।
इसमें कहा गया कि न केवल इसलिए कि कैथलिक चर्च सबसे बड़ा भूस्वामी नहीं है, बल्कि इसलिए भी कि उसके पास जो कुछ भी है, उसका अधिकांश हिस्सा जन कल्याण के लिए उपयोग किया जाता है।
संपादकीय में कहा गया है कि आरएसएस के लेख के अनुसार, यदि उसके दावे सत्य हैं, तो भारत के कुल भूमि क्षेत्र का पांचवां हिस्सा (21 प्रतिशत) कैथोलिक चर्च का होगा।
संपादकीय में कहा गया, ‘‘यह स्पष्ट रूप से अतिशयोक्तिपूर्ण है, क्योंकि भारत का कुल भूमि क्षेत्र केवल 32,87,263 वर्ग किलोमीटर है। लेख में दावा किया गया है कि चर्च के पास 7,00,000 वर्ग किलोमीटर (17.29 करोड़ एकड़) भूमि है, जो वक्फ बोर्ड के पास मौजूद 9,40,000 एकड़ से 183 गुना अधिक है।’’
संपादकीय में ऑर्गनाइजर के लेख पर चुटकी लेते हुए कहा गया कि ये आंकड़े कहां से आए, क्योंकि ऐसा लगता है कि किसी को भी नहीं पता।
चर्च द्वारा संचालित दैनिक ने हाल में हुए हमले और भूमि विवाद पर चिंता जताई, ठीक उसी समय जब भाजपा केरल के ईसाई समुदाय तक अपनी पहुंच बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
यह कदम तब उठाया गया जब पार्टी ने वक्फ (संशोधन) विधेयक को एर्नाकुलम के मुनंबम गांव के निवासियों का समर्थन करने वाला बताया, जो अपनी भूमि पर वक्फ बोर्ड के दावे के खिलाफ विरोध कर रहे हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि ऑर्गनाइजर ने एक लेख प्रकाशित किया था, लेकिन यह महसूस होने के बाद कि यह एक त्रुटि थी, इसे हटा दिया गया।
चंद्रशेखर ने कहा कि भारत में भूमि का स्वामित्व कोई अपराध नहीं है, लेकिन भूमि हड़पना गलत है।
उन्होंने कांग्रेस और माकपा नीत एलडीएफ पर मामले को ‘बढ़ाने’ का प्रयास करने का आरोप लगाया।
‘दीपिका’ संपादकीय में कांग्रेस और माकपा पर भी निशाना साधा गया, जिन्होंने कैथलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) और केरल कैथलिक बिशप्स काउंसिल (केसीबीसी) द्वारा वक्फ कानून का समर्थन करने की अपील के बावजूद संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक का विरोध किया।
इसमें आरोप लगाया गया कि विपक्ष ईसाइयों पर आरएसएस के हमलों, ऑर्गनाइजर के लेख और वक्फ मुद्दे को एक साथ जोड़ने की कोशिश कर रहा है।
संपादकीय में कुछ कांग्रेस और वामपंथी नेताओं के बयानों का हवाला दिया गया है जिन्होंने पहले चेतावनी दी थी कि भाजपा वक्फ के बाद ईसाइयों को निशाना बनाएगी और दावा किया कि यह अब सच हो रहा है। इसमें लिखा गया, ‘‘उन राजनेताओं के लिए जो अब पूछते हैं कि क्या वह चेतावनी सही थी, जवाब अब भी नहीं है। क्योंकि संघ परिवार को अल्पसंख्यकों पर हमला करने के लिए वक्फ मुद्दे की आवश्यकता नहीं है।’’
संपादकीय के अनुसार आरएसएस के लेख में त्रुटियां हैं।
इसमें लिखा गया, ‘‘उन विसंगतियों पर ध्यान देने के बजाय, विपक्ष (कांग्रेस और वामपंथी) इसे वक्फ (संशोधन) विधेयक के खिलाफ अपने गलत रुख को सही ठहराने के अवसर के रूप में उपयोग कर रहा है।’’
भाषा वैभव नेत्रपाल