न्यायालय के आदेश से बर्खास्त बंगाल के शिक्षकों ने मुख्यमंत्री बनर्जी के आश्वासन पर असंतोष जताया
संतोष प्रशांत
- 07 Apr 2025, 08:19 PM
- Updated: 08:19 PM
कोलकाता, सात अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय के हालिया आदेश के कारण नौकरी गंवाने वाले कई ‘पात्र’ शिक्षकों ने सोमवार को यहां नेताजी इनडोर स्टेडियम में बैठक के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आश्वासन पर असंतोष जताया। इन बर्खास्त शिक्षकों ने दावा किया कि उनकी नौकरी को बहाल करने के संबंध में कोई ठोस गारंटी नहीं दी गई।
वर्ष 2016 में स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की भर्ती परीक्षा की ‘ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन’ (ओएमआर) शीट की छाया प्रतियां दिखाते हुए नदिया जिले के नकासीपारा हाई स्कूल की शिक्षिका सुमन बिस्वास ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “मुख्यमंत्री ने एसएससी द्वारा ‘बेदाग अभ्यर्थियों’ की ओएमआर शीट पर ध्यान देने और उसे सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत करने के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा।”
जांच के दौरान आरोप सामने आए थे कि ‘दागी’ अभ्यर्थियों ने अपनी ओएमआर शीट के साथ छेड़छाड़ करके नौकरी हासिल की, जिससे योग्य अभ्यर्थियों के अवसरों से समझौता हुआ।
नौकरी से निकाले जाने से पहले हुगली स्थित अपने घर से आने-जाने वाले बिस्वास ने कहा, ‘‘स्कूलों में स्वैच्छिक सेवा देने और अभ्यर्थियों को कोई भी बर्खास्तगी पत्र न भेजने के बारे में उन्होंने जो कहा, उसका कोई मतलब नहीं है। उच्चतम न्यायालय ने बार-बार केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और एसएससी से विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा था। उनकी झूठी और बड़ी-बड़ी बातें उजागर हो गई हैं।’’
आठ साल से अधिक समय से काम कर रहे शिक्षक ने कहा, ‘‘या तो आप सुनिश्चित करें कि हमें हमारी नौकरी वापस मिल जाए, या फिर हम सड़कों पर उतरेंगे और गोलियों का सामना भी करेंगे।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘आज जब मुख्यमंत्री बोल रहीं थीं तो हमने कई बार अपनी बात रखने की कोशिश की, लेकिन हमारी बात नहीं सुनी गई।’’
मालदा के बुलबुलचंडी हाई स्कूल की शिक्षिका संचिता मजूमदार और पायल सरकार ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उन्हें सलाह दी कि वे अपनी सेवा अवधि में ‘कोई रुकावट नहीं आने’ को सुनिश्चित करने के लिए स्वैच्छिक रूप से काम करें।’’ उन्हें हालांकि उनकी नौकरी की सुरक्षा के बारे में कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया।
मजूमदार ने कहा, ‘‘हमें समझ नहीं आ रहा है कि हम स्वैच्छिक सेवा देने के लिए स्कूल कैसे जाएंगे और क्या इसे अदालत के आदेश की अवमानना माना जाएगा। हम काम करना चाहते हैं, हम पढ़ाना चाहते हैं, हम कागजात की जांच कर रहे हैं। लेकिन कोई लिखित अधिसूचना नहीं है जिसमें कहा गया हो कि हम उसी क्षमता में काम करना जारी रख सकते हैं और वेतन के बारे में कोई शब्द नहीं है।’’
मजूमदार के मुताबिक एकमात्र राहत की बात यह है कि मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि बेदाग शिक्षकों की नौकरी किसी भी परिस्थिति में समाप्त नहीं की जाएगी, लेकिन शिक्षक असमंजस में हैं।
दक्षिण 24 परगना के एक स्कूल के शिक्षक सौरव चक्रवर्ती ने मुलाकात की सुविधा प्रदान करने और उनकी लड़ाई में कानूनी सहायता का वादा करने के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। हालांकि, उन्होंने अपने वित्तीय दायित्वों के बारे में चिंता व्यक्त की।
उच्चतम न्यायालय के आदेश से प्रभावित गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों में पश्चिम मेदिनीपुर जिले के कलाईकुंडा के कुसलकुंडा हाई स्कूल से जुड़े समूह घ के कर्मचारी सरोज भुनिया भी शामिल हैं, जो लकवाग्रस्त होने के बाद बोलने या चलने में असमर्थ हैं।
उनकी पत्नी ने रोते हुए कहा, ‘‘वह हमारे परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य हैं। उनकी नौकरी जाने के बाद हम एक मुश्किल स्थिति का सामना कर रहे हैं। कोलकाता में उनके इलाज और नियमित जांच में लाखों रुपये खर्च होते हैं। हम आज दीदी से मिलना चाहते थे, लेकिन हमें उनसे या किसी अन्य अधिकारी से मिलने की अनुमति नहीं दी गई।’’
भाषा संतोष