न्यायालय ने ‘पैकेट बंद’ खाद्य पदार्थों के चेतावनी लेबल से जुड़े नियमों में संशोधन के लिए सुझाव मांगे
पारुल नेत्रपाल
- 09 Apr 2025, 09:09 PM
- Updated: 09:09 PM
नयी दिल्ली, नौ अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को एक विशेषज्ञ समिति को अपनी सिफारिशें देने का निर्देश दिया, ताकि केंद्र सरकार ‘पैकेट बंद’ खाद्य पदार्थों पर चेतावनी लेबल के संबंध में खाद्य सुरक्षा नियमों में संशोधन कर सके।
न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट ‘3एस एंड आवर हेल्थ सोसाइटी’ की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश जारी किया।
अधिवक्ता राजीव शंकर द्विवेदी के माध्यम से दायर इस याचिका में केंद्र, राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों की सरकारों को खाद्य पदार्थों के पैकेट पर अनिवार्य ‘फ्रंट-ऑफ-पैकेज लेबल’ (एफओपीएल) प्रणाली लागू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
‘एफओपीएल’ प्रणाली में खाद्य पदार्थों के पैकेट के सामने वाले हिस्से में पोषक तत्वों की जानकारी को सरल और आसानी से समझने योग्य तरीके में पेश करने का प्रावधान है, ताकि उपभोक्ता स्वस्थ भोजन विकल्प चुन सकें।
याचिका में दलील दी गई है कि ‘एफओपीएल’ प्रणाली खाद्य पदार्थों के उपभोग के संबंध में सोच-समझकर निर्णय लेने में नागरिकों की मदद करेगी।
शीर्ष अदालत ने केंद्र और भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की ओर से इसी मुद्दे पर दायर जवाब का संज्ञान लिया, जिसमें नियमों में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है।
न्यायालय को बताया गया कि केंद्र को जनता से लगभग 14,000 आपत्तियां और सुझाव प्राप्त हुए थे, जिन पर विचार करने और खाद्य सुरक्षा एवं मानक (लेबलिंग और प्रदर्शन) विनियम 2020 में संशोधनों की सिफारिश करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था।
न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा, ‘‘हम इस रिट याचिका का निपटारा करते हुए विशेषज्ञ समिति को निर्देश देते हैं कि वह तीन महीने के भीतर अपनी सिफारिशें दे।’’
याचिका में भारत में गैर-संचारी रोगों के बढ़ते मामलों का हवाला दिया गया है। इसमें दावा किया गया है कि एफओपीएल खाद्य पदार्थों में उच्च मात्रा में चीनी, नमक और वसा की मौजूदगी की जानकारी देगा, जिन्हें मधुमेह, मोटापा, हृदय रोग और कैंसर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
भाषा पारुल