बम्बई उच्च न्यायालय ने छोटा राजन गिरोह के दो सदस्यों की दोषसिद्धि एवं उम्रकैद पर मुहर लगायी
राजकुमार माधव
- 15 Apr 2025, 08:51 PM
- Updated: 08:51 PM
मुंबई, 15 अप्रैल (भाषा) बम्बई उच्च न्यायालय ने 2010 के दोहरे हत्याकांड में छोटा राजन गिरोह के दो सदस्यों की दोषसिद्धि एवं उम्रकैद को मंगलवार को यह कहते हुए बरकरार रखा कि अधीनस्थ अदालत का फैसला ‘सुविचारित और कानूनी रूप से सही’ है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि अभियोजन पक्ष इस मामले में उचित संदेह से परे जाकर अपीलकर्ताओं के अपराध को साबित करने में काफी हद तक सफल रहा और यह मामला काफी हद तक प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही पर आधारित था जिनमें से एक पर चार लोगों ने बंदूक से हमला किया था, लेकिन वह बच निकला था।
अगस्त 2022 में यहां की एक अदालत ने मोहम्मद अली शेख और प्रणय राणे को हत्या, आपराधिक साजिश और शस्त्र अधिनियम के अंतर्गत आने वाले अपराधों के लिए दोषी ठहराया था, जबकि राजन एवं दो अन्य को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।
शेख और राणे ने इस अधीनस्थ अदालत के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी । अधीनस्थ अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया था और आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी।
न्यायमूर्ति नीला गोखले और न्यायमूर्ति रेवती डेरे की खंडपीठ ने मंगलवार को शेख एवं राणे की अपील खारिज कर दी तथा व्यवस्था दी कि अधीनस्थ अदालत द्वारा उन्हें दोषी ठहराये जाने एवं सजा सुनाये जाने पर ‘मुहर लगायी जाती है।’
पीठ ने कहा कि अधीनस्थ अदालत का फैसला ‘सुविचारित और कानूनी रूप से सही’ है।
पीठ ने कहा, ‘‘रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्यों का समग्र रूप से मूल्यांकन करने पर अपीलकर्ताओं का अपराध संदेह से परे साबित होता है।’’
पुलिस के अनुसार, 13 फरवरी, 2010 को शहर के जे जे मार्ग थाने के निकट एक स्थान पर चार लोगों ने भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम के कथित सहयोगी आसिफ खान पर गोलियां चलाई थीं।
पुलिस के मुताबिक आसिफ खान घायल तो हुआ लेकिन वह भागने में सफल रहा जबकि शकील मोदक और आसिफ कुरैशी गोली लगने से घायल हो गए और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। ये दोनों खान से मिलने वहां पहुंचे थे।
अदालत में पुलिस का पक्ष विशेष सरकारी वकील प्रदीप घराट ने रखा।
बचाव पक्ष और अभियोजन पक्ष को सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने कहा कि 15 साल पुराना यह मामला मुख्य रूप से चार चश्मदीद गवाहों की गवाही पर टिका है।
चश्मदीद गवाहों की गवाही में चूक से संबंधित बचाव पक्ष के तर्क पर, पीठ ने कहा कि यह कानून की एक स्थापित स्थिति है कि दोषसिद्धि एक भी चश्मदीद गवाह की गवाही के आधार पर हो सकती है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि मुख्य चश्मदीद गवाह खान ने पूरी घटना का विस्तृत विवरण दिया है और घटनास्थल पर उसकी मौजूदगी पर संदेह नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह गोलीबारी में घायल हुआ था।
भाषा
राजकुमार