मुर्शिदाबाद हिंसा में बांग्लादेशी कट्टरपंथी ‘स्थानीय नेताओं की मदद से’ शामिल: खुफिया रिपोर्ट
सुरेश पवनेश
- 15 Apr 2025, 10:10 PM
- Updated: 10:10 PM
नयी दिल्ली, 15 अप्रैल (भाषा) पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन कानून के विरुद्ध आंदोलन के कारण हाल ही में उत्पन्न हिंसा में बांग्लादेशी कट्टरपंथी 'शामिल' थे, जिन्हें कथित तौर पर एक राजनीतिक दल के स्थानीय नेताओं की मदद मिली थी। सूत्रों ने यह दावा किया है।
सूत्रों ने एक खुफिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि बांग्लादेश स्थित दो कट्टरपंथी संगठनों- जमात-उल मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) और अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के सदस्य कथित तौर पर मुर्शिदाबाद हिंसा में शामिल थे। इस हिंसा में तीन लोग मारे गए थे।
सूत्रों ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि हिंसा बांग्लादेशी बदमाशों द्वारा की गई थी, जिन्हें कथित तौर पर एक राजनीतिक दल के स्थानीय नेताओं की मदद मिली थी।
सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय मुर्शिदाबाद की स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है, जहां शांति बहाल करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य पुलिस के साथ केंद्रीय बलों को तैनात किया गया है।
सूत्रों ने बताया कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को भी कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया गया है, ताकि पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ न हो सके।
केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने मुर्शिदाबाद जिले में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के बाद 12 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के साथ डिजिटल तौर पर बैठक की थी।
केंद्र ने अपनी बातचीत के दौरान राज्य सरकार से अन्य संवेदनशील जिलों पर कड़ी नजर रखने और जल्द से जल्द सामान्य स्थिति सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाने को कहा।
संशोधित वक्फ कानून को लेकर उत्पन्न नाराजगी के बाद शुक्रवार और शनिवार को जिले के सुती, धुलियान और जंगीपुर सहित कई इलाकों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए।
अधिकारियों ने बताया कि जंगीपुर, धुलियान, सुती और शमशेरगंज में बीएसएफ, सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल), राज्य पुलिस और आरएएफ (रैपिड एक्शन फोर्स) के जवानों को बड़ी संख्या में तैनात किया गया है। अधिकारियों के अनुसार, हालांकि पिछले 48 घंटों में हिंसा की कोई नई घटना सामने नहीं आई है।
राज्य पुलिस ने बताया कि मुर्शिदाबाद के दंगा प्रभावित इलाकों में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है, दुकानें फिर से खुल रही हैं और विस्थापित परिवार अपने घरों को लौटने लगे हैं।
भाषा सुरेश