मनसे ने मांसाहार के सेवन को लेकर मराठी भाषियों से कथित दुर्व्यवहार का विरोध किया
पारुल माधव
- 17 Apr 2025, 09:28 PM
- Updated: 09:28 PM
मुंबई, 17 सितंबर (भाषा) महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कार्यकर्ताओं की मांसाहार के सेवन को लेकर मराठी भाषी लोगों के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार किए जाने के संबंध में उपनगरीय घाटकोपर की एक आवासीय सोसाइटी के लोगों के साथ तीखी बहस हो गई, जिसके बाद पुलिस को मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा।
बाद में महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आशीष शेलार ने कहा कि भाषा के आधार पर “दुर्व्यवहार” की ऐसी घटनाएं अस्वीकार्य हैं।
सोशल मीडिया पर बुधवार को एक वीडियो सामने आया था, जिसमें मनसे कार्यकर्ता घाटकोपर की एक आवासीय सोसाइटी में रहने वाली गुजरातियों पर वहां रहने वाले मराठी भाषी परिवारों के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए उन्हें चेतावनी देते नजर आ रहे थे।
इस वीडियो में स्थानीय मनसे नेता राज परते यह आरोप लगाते दिख रहे हैं कि मराठी भाषी परिवारों को उनके खानपान के कारण “गंदा” कहा गया।
परते को यह कहते सुना जा सकता है, “मुंबई में कोई भी रह सकता है और काम कर सकता है, लेकिन हम ऐसी चीजें बर्दाश्त नहीं करेंगे... कोई दूसरा यह कैसे तय कर सकता है कि किसे क्या खाना चाहिए?”
वीडियो में सोसाइटी का एक निवासी यह कहते हुए नजर आ रहा है कि वहां भोजन को लेकर किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है।
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि बहस तेज होने पर कुछ निवासियों ने घाटकोपर पुलिस को इसकी सूचना दी, जिसने हस्तक्षेप कर मामले को सुलझाया।
प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक, पुलिस ने सोसाइटी के निवासियों से मराठी भाषी लोगों के साथ अच्छे तरह पेश आने को कहा और दुर्व्यवहार की शिकायत मिलने पर उन्हें कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस घटना के सिलसिले में थाने में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है।
इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष और राज्य के आईटी एवं सांस्कृतिक मामलों के मंत्री शेलार ने कहा, “किसी को भी मराठी भाषी लोगों, उनकी भाषा और उनकी संस्कृति को नीची नजर से देखने का पाप नहीं करना चाहिए।”
उन्होंने चेतावनी दी, “महाराष्ट्र सरकार का यह रुख है कि मराठी भाषा और संस्कृति का सम्मान किया जाना चाहिए। विभिन्न भाषा बोलने वाले लोगों के साथ दुर्व्यवहार हमें स्वीकार्य नहीं है।”
राज ठाकरे के नेतृत्व वाली मनसे और अविभाजित शिवसेना दोनों ने अतीत में आरोप लगाया कि मांसाहार के सेवन के कारण मराठी भाषियों को कुछ क्षेत्रों में फ्लैट खरीदने या किराये पर लेने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
भाषा पारुल