स्टालिन ने कारीगर विकास योजना ‘कलैगनर कैविनई थित्तम’ की शुरुआत की
अमित रंजन
- 19 Apr 2025, 06:41 PM
- Updated: 06:41 PM
कांचीपुरम, 19 अप्रैल (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि के नाम पर कारीगर विकास योजना ‘कलैगनर कैविनई थित्तमद्ध (केकेटी) की शुरुआत की और केंद्र की प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना को उसके मौजूदा स्वरूप में खारिज किया।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने यहां कुंद्राथुर में अपनी सरकार की विश्वकर्मा योजना की शुरुआत के अवसर पर कहा कि विश्वकर्मा योजना के विपरीत, द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) सरकार का कार्यक्रम जाति के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव नहीं करता, बल्कि जातिगत समावेशिता को बढ़ावा देता है।
स्टालिन ने कहा, ‘‘विश्वकर्मा योजना युवाओं को उच्च शिक्षा प्राप्त किए बिना ही अपने पैतृक व्यवसाय को अपनाने के लिए प्रेरित करके पारिवारिक व्यवसाय को प्रोत्साहित करती है। सरकार का कर्तव्य युवाओं को शिक्षा के द्वार तक लाना होना चाहिए, उन्हें शिक्षा से हतोत्साहित करना या उन्हें पारिवारिक व्यवसाय अपनाने के लिए मजबूर करना नहीं।’’
उन्होंने कहा कि दूसरी ओर, उनकी सरकार पुधुमई पेन्न और तमिल पुधलवन जैसी विभिन्न पहलों के माध्यम से युवाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करके उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि प्रमुख परिवर्तन, जिन्हें केंद्र ने विश्वकर्मा योजना में स्वीकार करने से इनकार कर दिया था, उन्हें केकेटी में शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि इसमें विशेष रूप से आवेदकों की न्यूनतम आयु को केंद्रीय योजना में 18 वर्ष की तुलना में बढ़ाकर 35 वर्ष करना तथा कार्यक्रम में रुचि रखने वाले सभी कारीगरों को लाभ प्रदान करना शामिल है, जबकि केंद्र की पहल में जाति या परिवार आधारित व्यापार को शामिल किया गया था।
स्टालिन ने कहा कि इसके अलावा, उन्होंने केंद्र से आग्रह किया था कि लाभार्थियों के सत्यापन की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत प्रमुखों के बजाय ग्राम प्रशासनिक अधिकारियों (वीएओ) पर डाली जाए लेकिन इसे भी अस्वीकार कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि दूसरी ओर, केकेटी ने कारीगरों और शिल्पकारों की आजीविका में सुधार करके और उन्हें उद्यमी बनने में मदद करके उनका समर्थन करता है। स्टालिन ने कहा कि इसने 25 हस्तशिल्प और उद्योगों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि न कि केवल पारंपरिक पारिवारिक व्यवसायों में लगे कारीगर, बल्कि सभी पृष्ठभूमि के कारीगर, लाभान्वित हो सकें।
उन्होंने बताया, ‘‘इसलिए हमने केंद्र सरकार को लिखित रूप से सूचित किया है कि तमिलनाडु प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना को स्वीकार नहीं करेगा। हम हस्तशिल्प कारीगरों की आजीविका की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए दृढ़ हैं। इसलिए, हमने एक ऐसी योजना बनाने का फैसला किया जो जाति के आधार पर उनके बीच कोई भेदभाव न करे। इसलिए यह कलैगनर कैविनई थित्तम लायी गई है।’’
स्टालिन ने एमएसएमई मंत्री टी एम अनबरसन की इस क्षेत्र में सुधार के लिए प्रयास करने के लिए सराहना की। स्टालिन ने कहा, ‘‘हमारा शासन किसी पार्टी का नहीं, बल्कि सिद्धांत-आधारित शासन है। मैं कहता रहा हूं कि हम इसी आधार पर योजनाएं बना रहे हैं। अगर तमिलनाडु ने जबरदस्त विकास हासिल किया है, तो यह बड़ी कंपनियों की वजह से नहीं, बल्कि यह सफलता एमएसएमई क्षेत्र के विकास के कारण संभव हुई है।’’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 17 सितंबर, 2023 को विश्वकर्मा के नाम से जाने जाने वाले पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता देने के लिए प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना शुरू की थी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री स्टालिन ने घोषणा की कि भौगोलिक सूचकांक सब्सिडी को 25,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये किया जाएगा और कांचीपुरम जिले में 5 करोड़ रुपये की लागत से बुनियादी सुविधाओं में सुधार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि केकेटी कारीगरों को आधुनिक तरीकों से नये व्यवसाय शुरू करने या मौजूदा व्यवसायों का विस्तार करने में मदद करने के लिए वित्तीय सहायता, कौशल विकास और उद्यमिता प्रशिक्षण प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत, पात्र कारीगर 25 प्रतिशत सब्सिडी (50,000 रुपये तक) और 5 प्रतिशत तक की ब्याज सब्सिडी के साथ 3 लाख रुपये तक का ऋण ले सकते हैं।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) विभाग के तत्वावधान में आयोजित समारोह में 8,951 लाभार्थियों को 34 करोड़ रुपये की सब्सिडी के साथ 170 करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृति आदेश सौंपते हुए स्टालिन ने कहा, ‘‘कलैगनर कैविनई थित्तम सामाजिक न्याय स्थापित करने के लिए लाया गया है, जाति के आधार पर भेदभाव करने के लिए नहीं।’’
ईंट भट्टा कार्य, मिट्टी के बर्तन, मिश्र धातु निर्माण, आभूषण निर्माण, लकड़ी के काम, मूर्तिकला, कांच का काम, संगीत वाद्ययंत्र शिल्प आदि केकेटी के तहत आने वाले 25 पारंपरिक व्यापारों में से हैं।
भाषा अमित