कानून मंत्रालय ने केंद्र सरकार से जुड़े मुकदमों में कमी लाने पर जोर दिया
पारुल दिलीप
- 20 Apr 2025, 04:55 PM
- Updated: 04:55 PM
नयी दिल्ली, 20 अप्रैल (भाषा) कानून मंत्रालय ने केंद्र सरकार से जुड़े मुकदमों की संख्या में कमी लाने की अहमियत को रेखांकित किया है। उसने कहा है कि जनहित में लिए गए फैसलों के “अप्रभावी” क्रियान्वयन से मुकदमों का बोझ बढ़ सकता है, क्योंकि इनके लाभ से वंचित लक्षित लाभार्थी कानून का सहारा ले सकते हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, केंद्र सरकार विभिन्न अदालतों में लंबित लगभग सात लाख मामलों में पक्षकार है।
मुकदमेबाजी के कुशल प्रबंधन पर केंद्रीय कानून मंत्रालय के एक दस्तावेज के अनुसार, विभिन्न फैसलों और कार्रवाइयों का मकसद जनहित और बेहतर प्रशासन को बढ़ावा देना है।
दस्तावेज में कहा गया है, “कभी-कभी इन फैसलों के अप्रभावी क्रियान्वयन से लक्षित लाभार्थी वंचित रह जाते हैं या अपात्र लाभार्थी लाभान्वित हो जाते हैं। कुछ मामलों में, प्रभावित पक्ष कुछ निर्णयों को अनुचित मान सकते हैं और मुकदमे के माध्यम से कानून का सहारा ले सकते हैं।”
इसमें केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की ओर से फैसलों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के महत्व पर प्रकाश डाला गया है।
दस्तावेज में कहा गया है कि कानून मंत्रालय के विधि मामलों के विभाग ने “भारत सरकार से जुड़े मुकदमों के कुशल एवं प्रभावी प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देश” तैयार किए हैं, जिनका मकसद ऐसे मामलों की संख्या में कमी लाना और उनकी रोकथाम करना है।
इसमें स्पष्ट किया गया है कि सभी केंद्रीय मंत्रालयों के लिए इन दिशा-निर्देशों पर अमल करना अनिवार्य है।
दस्तावेज के मुताबिक, अदालतों में “अनावश्यक अपील” की संख्या में कमी लाना और “अधिसूचनाओं एवं आदेशों में विसंगतियों” को दूर करना केंद्र सरकार पर मुकदमों का बोझ घटाने के लिए कानून मंत्रालय की ओर से सुझाए गए प्रमुख उपायों में शामिल है।
कानून मंत्रालय ने फरवरी में राज्यसभा को बताया था कि केंद्र सरकार विभिन्न अदालतों में लंबित लगभग सात लाख मामलों में पक्षकार है, जिनमें से लगभग दो लाख मामलों में अकेले वित्त मंत्रालय ही पक्षकार है।
विधिक सूचना प्रबंधन एवं ब्रीफिंग प्रणाली (एलआईएमबीएस) पर उपलब्ध आंकड़ों का हवाला देते हुए विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा था, “भारत सरकार लगभग सात लाख लंबित मामलों में पक्षकार है। इनमें से लगभग 1.9 लाख मामलों में वित्त मंत्रालय को एक पक्ष के रूप में उल्लेखित किया गया है।”
दस्तावेज के अनुसार, दिशा-निर्देशों का उद्देश्य कानूनी प्रक्रियाओं को सरल बनाने, अनावश्यक मुकदमेबाजी को रोकने, अधिसूचनाओं एवं आदेशों में विसंगतियों को दूर करने और गैरजरूरी अपील की संख्या को कम से कम करने के लिए कड़े उपाय लागू करना है।
भाषा पारुल