क्रिश्चियन ब्रेड और दावत : हॉट क्रॉस बन का संक्षिप्त इतिहास
द कन्वरसेशन रवि कांत रवि कांत नरेश
- 20 Apr 2025, 05:05 PM
- Updated: 05:05 PM
(डेरियस वॉन गुटनर स्पोर्ज़िन्स्की, ऑस्ट्रेलियाई कैथोलिक विश्वविद्यालय)
सिडनी, 20 अप्रैल (द कन्वरसेशन) हॉट क्रॉस बन सिर्फ ईस्टर के आसपास मिलने वाला मीठा नाश्ता ही नहीं है। ये अपने आटे में सदियों पुरानी कहानियां समेटे हुए हैं। प्राचीन देवताओं से लेकर आधुनिक सुपरमार्केट तक, इन चिपचिपे मसालेदार बन ने कई सीमाओं और मान्यताओं को पार कर लिया है।
आज, आप इन्हें हर तरह के स्वाद में खरीद सकते हैं। लेकिन, इनकी कहानी चॉकलेट चिप्स और नमकीन कैरामेल से कहीं अधिक समृद्ध है।
प्राचीन शुरुआत---
कुछ प्राचीन संस्कृतियों में, ब्रेड सिर्फ़ भोजन से कहीं ज़्यादा थी। यह आस्था का प्रतीक थी। प्राचीन यूनानियों ने अपने देवताओं के सम्मान में क्रॉस के निशान वाली छोटी गोल ब्रेड पकाईं। कुछ इतिहासकारों के अनुसार, ये निशान चार मौसमों अथवा चंद्रमा के चार चरणों का प्रतीक हो सकते हैं।
कुछ इतिहासकारों के अनुसार, ये चिह्न चार ऋतुओं या चंद्रमा की चार कलाओं का प्रतीक हो सकते हैं।
यहूदी लोग भी फसह पर्व जैसे पवित्र अवसरों पर विशेष ब्रेड बांटते थे, और विद्वानों ने इस बात पर बहस की है कि क्या इन रीति-रिवाजों ने प्रारंभिक ईसाई ब्रेड परंपराओं को प्रभावित किया था।
पेगान सैक्सन लोग वसंत की देवी ईओस्ट्रे की पूजा करते थे। वे वसंत के त्योहारों के दौरान ब्रेड पकाकर नए जीवन और लंबे दिनों का जश्न मनाते थे।
'ईओस्ट्रे' नाम से ही हमें अंग्रेजी शब्द 'ईस्टर' मिला है। समय के साथ, वसंत ऋतु की कुछ ब्रेड परंपराएं ईसाई रीति-रिवाजों के साथ घुलमिल गईं।
पेगान ब्रेड से लेकर ईसाई बन तक---
प्रारंभिक ईसाइयों ने अपनी भक्ति दिखाने के लिए ब्रेड पर क्रॉस का निशान लगाना शुरू कर दिया, और पूरे वर्ष वे इसे खाते थे।
उनका मानना था कि क्रॉस बुरी आत्माओं को दूर रखता है और आटे को फूलने में मदद करता है। समय के साथ, क्रॉस से चिह्नित ब्रेड के बारे में ईसाई दृष्टिकोण बदलकर यीशु के सलीब पर चढ़ने पर केंद्रित हो गया और ईस्टर से जुड़ गया।
मध्य युग तक, कई बेकर्स केवल गुड फ्राइडे की ब्रेड पर ही क्रॉस बनाते थे।
लोकप्रिय कहानियों के अनुसार, 12वीं शताब्दी के एक अंग्रेज भिक्षु ने गुड फ्राइडे के दिन मसालेदार बन बनाए थे जिन पर क्रॉस का निशान बना था, क्योंकि वह दिन 'क्रॉस का दिन' होता है।
भिक्षु अक्सर इस दिन को खास दिखाने के लिए मसालों का इस्तेमाल करते थे। ये मसालेदार बन लोगों को ईसा मसीह के सूली (क्रूस) पर चढ़ने और उनको दफनाने में इस्तेमाल किए गए मसालों को याद रखने में मदद करते थे।
वर्ष 1592 में, संभवतः धार्मिक तनाव के कारण, महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने मसालेदार ब्रेड और बन की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था।
इंग्लैंड कैथोलिक चर्च से अलग हो चुका था, और चर्च ऑफ इंग्लैंड के नए अधिकारियों को चिंता थी कि 'पवित्र' बन कैथोलिक अंधविश्वास की तरह दिखते हैं।
कुछ लोगों का कहना है कि यह ब्रेड की कीमतों और मुनाफे का मामला था। लेकिन फिर भी हो सकता है कि वे रोजमर्रा के लिए बहुत खास हों।
इन कानूनों के तहत, व्यावसायिक बेकर्स केवल क्रिसमस, ईस्टर और अंत्येष्टि के अवसर पर ही मसालेदार ब्रेड बना सकते थे।
गुड फ्राइडे और जादुई बन--
अठारहवीं सदी तक, अंग्रेजी ठेले वाले गुड फ्राइडे पर 'हॉट क्रॉस बन' बेचते थे। हम 1733 में पुअर रॉबिन की किताब में उनके बारे में एक पुरानी कविता भी देखते हैं, जिसमें कहा गया है:---
गुड फ्राइडे इस महीने आता है, बूढ़ी औरत दौड़ती है, एक पैसा, दो पैसा, गर्म क्रॉस बन के साथ।
जल्द ही लोगों को लगने लगा कि गुड फ्राइडे के इन बन में जादुई शक्तियां हैं। कुछ लोगों ने इन्हें रसोई की छत पर लटका दिया, क्योंकि उन्हें लगता था कि इनमें कभी फफूंद नहीं लगेगी।
वे इन्हें बुराई या बीमारी से सुरक्षा के लिए रखते थे। अगर कोई बीमार महसूस करता था, तो वे एक पुराने क्रॉस बन के टुकड़े को पानी में डुबो देते थे, उम्मीद करते थे कि इससे वे ठीक हो जाएंगे। अन्य लोग कीटों को दूर रखने के लिए अपने अनाज के भंडार में बन रखते थे।
आज ये बातें अजीबोगरीब लग सकती हैं लेकिन एक समय ये रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा थे।
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