दुबे और शर्मा के बयानों से खुद को अलग करने की भाजपा की कवायद ‘डैमेज कंट्रोल’ : कांग्रेस
धीरज नरेश
- 20 Apr 2025, 07:42 PM
- Updated: 07:42 PM
नयी दिल्ली, 20 अप्रैल (भाषा) कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसदों निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा द्वारा उच्चतम न्यायालय की आलोचना किए जाने के बाद पार्टी को खुद से इससे अलग करने की कवायद को ‘‘डैमेज कंट्रोल’’ करार दिया और कहा कि सांसदों को पार्टी से निष्कासित कर दिया जाना चाहिए।
विपक्षी दल ने यह भी जानना चाहा कि दोनों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई और उन्हें कारण बताओं नोटिस क्यों नहीं जारी किया गया।
कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने कहा कि भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) पर दो सांसदों द्वारा की गई ‘‘घृणित टिप्पणियों’’ से ‘‘निवर्तमान भाजपा अध्यक्ष’’ का दूरी बनाना कोई मायने नहीं रखता।
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में कहा,‘‘ भारत के प्रधान न्यायाधीश पर भाजपा के दो सांसदों की ओर से की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों से भाजपा के निवर्तमान अध्यक्ष द्वारा दूरी बनाए जाने का कोई विशेष अर्थ नहीं है। ये सांसद घृणा फैलाने वाले बयानों को बार बार दोहराते रहने के लिए कुख्यात हैं और ‘जी2’ अक्सर समुदायों, संस्थानों और व्यक्तियों पर हमले के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘निवर्तमान भाजपा अध्यक्ष का स्पष्टीकरण डैमेज कंट्रोल के अलावा कुछ नहीं है। इससे कोई मूर्ख नहीं बनेगा। यह ‘एंटायर पॉलिटिकल साइंस के बजाए एंटायर पॉलिटिकल हिपोक्रेसी’ है।
जयराम रमेश ने लिखा, ‘‘लेकिन निवर्तमान भाजपा अध्यक्ष ने अपनी ही पार्टी के उच्च संवैधानिक पद पर बैठे एक अति विशिष्ट व्यक्ति द्वारा न्यायपालिका पर बार-बार की जा रही अस्वीकार्य टिप्पणियों पर पूरी तरह चुप्पी साध रखी है। क्या इन टिप्पणियों पर उनका कोई मत नहीं है? क्या भाजपा इन बयानों का समर्थन करती है?’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर संविधान पर इस तरह के निरंतर हमलों को प्रधानमंत्री मोदी की मौन स्वीकृति नहीं है तो इस सांसद के खिलाफ कड़े कदम क्यों नहीं उठा रहे? क्या नड्डा जी ने इन्हें कारण बताओ नोटिस दिया?’’
कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक ने रमेश की टिप्पणी को टैग करते हुए ‘एक्स’ पर कहा कि सीजेआई और उच्चतम न्यायालय के खिलाफ भद्दी टिप्पणी करने वाले भाजपा सांसदों के खिलाफ न्यूनतम कार्रवाई उन्हें पार्टी से निष्कासित करना है।
वासनिक ने कहा, ‘‘लेकिन क्या भाजपा के निवर्तमान अध्यक्ष सांसदों को चेतावनी देने से आगे कुछ करेंगे? हम जानते हैं कि कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।’’
लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘मुझे भाजपा अध्यक्ष श्री जे पी नड्डा जी के बयान पर संदेह है। भाजपा पारिस्थितिकी तंत्र विशेष रूप से जो प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के करीबी हैं, वे भारत के सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के पद को कलंकित करने पर तुले हुए हैं।’’
उन्होंने दावा किया कि वे तमिलनाडु और वक्फ संशोधन अधिनियम से संबंधित हाल के फैसलों में न्यायालय के निर्देश से नाखुश हैं।
गोगोई ने आरोप लगाया, ‘‘आरएसएस-भाजपा भारत को उत्तर कोरिया-इराक बनाना चाहते हैं।’’
कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने भी भाजपा के दो सांसदों की टिप्पणियों को लेकर उसकी आलोचना की।
उन्होंने कहा, ‘‘सिर्फ बयान से किनारा कर लेने से कुछ नहीं होगा। निशिकांत दुबे ने जो कहा, वो संविधान पर सीधा हमला है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। आपने उपराष्ट्रपति की टिप्पणी भी देखी होगी।’’
खेड़ा ने ‘पीटीआई वीडियो’ से बातचीत में कहा, ‘‘ये बयान प्रधानमंत्री मोदी की मौन सहमति के बिना नहीं आए होंगे। ये उनके निर्देश पर हो रहा है, अगर ऐसा नहीं हो रहा है, तो उन्हें कार्रवाई करनी चाहिए, क्या कोई कारण बताओ नोटिस जारी किया गया? अगर ऐसा था, तो उन्हें इसे सार्वजनिक करना चाहिए। हम समझते हैं कि क्या हो रहा है।’’
भाजपा ने हालांकि अपने सांसदों निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा द्वारा उच्चतम न्यायालय और भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना पर की गई तीखी टिप्पणियों से खुद को अलग कर लिया। पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने इन टिप्पणियों को सांसदों के निजी विचार बताकर खारिज कर दिया।
नड्डा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘भाजपा का उसके सांसदों निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा की न्यायपालिका और प्रधान न्यायाधीश पर की गई टिप्पणियों से कोई लेना-देना नहीं है। ये उनकी निजी टिप्पणियां हैं, लेकिन भाजपा न तो उनसे सहमत है और न ही ऐसी टिप्पणियों का कभी समर्थन करती है। भाजपा इन्हें पूरी तरह से खारिज करती है।’’
नड्डा ने यह भी कहा कि उन्होंने दोनों नेताओं और अन्य लोगों को ऐसी टिप्पणियां न करने का निर्देश दिया है।
दरअसल भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय पर निशाना साधते हुए कहा था कि कानून यदि शीर्ष अदालत ही बनाएगी तो संसद और विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए।
दुबे ने पहले ‘एक्स’ पर तीखा पोस्ट किया। बाद में उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ बातचीत में न्यायालय पर आरोप लगाया कि वह विधायिका द्वारा पारित कानूनों को रद्द करके संसद की विधायी शक्तियों को अपने हाथ में ले रहा है और यहां तक कि राष्ट्रपति को निर्देश भी दे रहा है, जो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्तिकर्ता प्राधिकारी हैं।
उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री शर्मा ने भी सर्वोच्च न्यायालय की आलोचना करते हुए कहा कि कोई भी संसद या राष्ट्रपति को निर्देश नहीं दे सकता।
भाषा धीरज