भारतीय विरासत स्थलों पर पर्यटकों की संख्या पांच साल में 19 फीसदी बढ़ी, टिकट राजस्व 2.83 फीसदी घटा
पारुल सुरेश
- 22 Apr 2025, 06:09 PM
- Updated: 06:09 PM
(दीपक चौधरी)
नयी दिल्ली, 22 अप्रैल (भाषा) भारत के लोकप्रिय विरासत स्थलों पर 2023-24 में पर्यटकों की संख्या में कोरोना-पूर्व काल के मुकाबले 19 फीसदी से अधिक वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि, इससे टिकट ब्रिकी से अधिक राजस्व हासिल करने में मदद नहीं मिली, अलबत्ता यह राशि 2.83 प्रतिशत घट गई। आधिकारिक आंकड़ों का विश्लेषण तो कुछ यही बयां करता है।
राज्यसभा में 143 विरासत स्थलों के संबंध में पेश भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि इन स्थलों पर पर्यटकों की संख्या 2019-20 में लगभग 4.60 करोड़ से 19.35 फीसदी बढ़कर 2023-24 में करीब 5.49 करोड़ हो गई।
विश्लेषण के मुताबिक, पर्यटकों की संख्या में वृद्धि के बावजूद इन विरासत स्थलों पर टिकट की बिक्री से होने वाले राजस्व में 2.83 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और यह 2019-20 में लगभग 312.54 करोड़ रुपये से घटकर 2023-24 में करीब 303.70 करोड़ रुपये हो गया।
विश्लेषण के अनुसार, टिकट बिक्री से होने वाले राजस्व में गिरावट घरेलू और विदेशी पर्यटकों की संख्या में आए बदलाव की ओर इशारा करती है।
आंकड़ों पर गौर करें तो इन विरासत स्थलों पर घरेलू पर्यटकों की संख्या 2019-20 में लगभग 4.36 करोड़ से 21.75 फीसदी बढ़कर 2023-24 में करीब 5.31 करोड़ हो गई, जबकि विदेशी पर्यटकों की आमद में 16.03 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई और यह 2019-20 में करीब 27.56 लाख से घटकर 2023-24 में लगभग 23.15 लाख हो गई।
विश्लेषण के मुताबिक, घरेलू पर्यटकों की संख्या में वृद्धि और विदेशी आगंतुकों की तादाद में कमी कोरोना-पूर्व काल की तुलना में कुल पर्यटक संख्या में इजाफे के बावजूद टिकट ब्रिकी से राजस्व में गिरावट की मुख्य वजह है, क्योंकि विदेशी आगंतुकों से अधिक टिकट शुल्क वसूला जाता है।
यह रुझान राष्ट्रीय तस्वीर को बयां करता है। आंकड़ों के अनुसार, देश में 2023-24 में राष्ट्रीय स्तर पर विदेशी पर्यटकों का आगमन (एफटीए) 2019-20 के स्तर के मुकाबले लगभग 87 फीसदी (95.2 लाख) रहा।
आंकड़ों के मुताबिक, राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन से होने वाली कुल विदेशी मुद्रा आय (एफईई) 2023-24 में 28.08 अरब अमेरिकी डॉलर रही, जो 2019 में रिकॉर्ड 30.72 अरब अमेरिकी डॉलर एफईई से कम है।
संयुक्त राष्ट्र की ओर से विकसित लेखांकन ढांचे ‘टूरिज्म सैटेलाइट अकाउंट’ के आंकड़ों के अनुसार, पर्यटन क्षेत्र अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बना हुआ है, जिसकी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कुल (प्रत्यक्ष+अप्रत्यक्ष) हिस्सेदारी पांच फीसदी होने का अनुमान है और 2022-23 में इसने 7.62 करोड़ नौकरियों का सृजन किया।
एएसआई के आंकड़ों के मुताबिक, 2019-20 के मुकाबले 2023-24 में राजरानी मंदिर (301 फीसदी), अशोकन रॉक एडिक्ट (251 फीसदी) और कोणार्क सूर्य मंदिर (53.5 फीसदी) जैसे विरासत स्थलों पर टिकट बिक्री से राजस्व में भारी वृद्धि दर्ज की गई, जबकि तिरुमलाई नायक महल (98.2 प्रतिशत), मूवरकोइल (90.1 प्रतिशत) और आगरा किला (47.2 प्रतिशत) में इसमें जबरदस्त गिरावट देखने को मिली।
आंकड़ों के अनुसार, ताज महल में पर्यटकों की संख्या में 31.27 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि टिकट बिक्री से राजस्व महज 1.48 प्रतिशत बढ़ा। वहीं, कुतुब मीनार में पर्यटकों की संख्या में 45.1 फीसदी, जबकि टिकट बिक्री से राजस्व में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। इसके विपरीत, हुमायूं के मकबरे पर पर्यटकों की संख्या में 16.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि राजस्व में 29.8 फीसदी की गिरावट आई।
पर्यटन मंत्रालय के ‘इंडिया टूरिज्म डेटा कम्पेंडियम 2024’ से पता चलता है कि 2023-24 में 61 लाख घरेलू और 6.8 लाख विदेशी पर्यटकों के साथ ताज महल आगंतुकों के बीच सबसे लोकप्रिय भारतीय पर्यटन स्थल बनकर उभरा।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2023-24 में कोणार्क सूर्य मंदिर (32 लाख) और कुतुब मीनार (31.2 लाख) घरेलू पर्यटकों के बीच दूसरे और तीसरे सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल रहे, जबकि विदेशी पर्यटकों की बात करें तो कुतुब मीनार (2.2 लाख) और आगरा किला (2.18 लाख) घूमने-फिरने के लिए उनके बीच दूसरे और तीसरे सबसे पसंदीदा स्थल साबित हुए।
एएसआई के आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में इन स्थलों में सबसे अधिक राजस्व अर्जित करने वालों में ताज महल (98.55 करोड़ रुपये), कुतुब मीनार (23.80 करोड़ रुपये), लाल किला (18.09 करोड़ रुपये), आगरा किला (15.27 करोड़ रुपये) और कोणार्क सूर्य मंदिर (12.66 करोड़ रुपये) शामिल हैं।
भाषा पारुल