एयरो-इंजन विकास सरकार की प्राथमिकता वाला क्षेत्र: राजनाथ सिंह
आशीष देवेंद्र
- 23 Apr 2025, 08:27 PM
- Updated: 08:27 PM
(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 23 अप्रैल (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि वायुसेना की जरूरतों के मद्देनजर एयरो-इंजन का विकास सरकार का ‘‘प्राथमिकता वाला क्षेत्र’’ है और प्रयास है कि इस इंजन को ‘‘सह-विकास और सह-उत्पादन’’ मॉडल के तहत पूर्ण बौद्धिक संपदा अधिकारों के साथ स्वदेशी तौर पर बनाया जाए।
यहां सुब्रतो पार्क स्थित वायुसेना सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ‘‘बदलते भू-रणनीतिक समीकरणों’’ का भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है, जैसा पहले कभी नहीं था।
सिंह ने कहा कि ये भू-रणनीतिक अनिश्चितताएं राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए किस तरह की चुनौतियां पेश करती हैं और ‘‘हम उनसे निपटने के लिए किस तरह तैयार हैं’’, यह भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।
उन्होंने भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह की स्मृति में वायु सेना एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक व्याख्यान में यह टिप्पणी की। अर्जन सिंह की जयंती 15 अप्रैल को थी।
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘वह एक दूरदर्शी सैन्य नेता थे, जो आज भी युवाओं को प्रेरित करते हैं। यदि भारतीय वायुसेना आज दुनिया की सबसे मजबूत वायु सेनाओं में से एक है, तो यह भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह जैसे सैन्य नेताओं की दूरदर्शिता के कारण है।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो इतिहास का हिस्सा होते हैं और इतिहास रचते भी हैं। अर्जन सिंह उनमें से एक थे। हम सभी 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में उनकी भूमिका से परिचित हैं। यह उनके दूरदर्शी नेतृत्व का उदाहरण था कि भारतीय वायु सेना ने महज एक घंटे के भीतर जवाबी हमला शुरू कर दिया।’’
अपने संबोधन में उन्होंने रक्षा क्षेत्र और भारतीय वायुसेना में आत्मनिर्भरता की भी बात की। सिंह ने वायुसेना की जरूरतों को देखते हुए एयरो-इंजन विकास को सरकार के लिए ‘‘प्राथमिकता वाला क्षेत्र’’ बताया। उन्होंने कहा, ‘‘प्रयास है कि इस इंजन को भारत में ही सह-विकास और सह-उत्पादन के मॉडल पर पूर्ण बौद्धिक संपदा अधिकारों के साथ बनाया जाए।’’
रक्षा मंत्री ने कहा कि 21वीं सदी को एशिया की सदी के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि कोई दुनिया के विभिन्न हिस्सों में संघर्षों पर नजर डाले तो उसे एक बात समान नजर आएगी; प्रौद्योगिकी के कारण युद्ध के तरीके बहुत तेजी से बदल रहे हैं।
सिंह ने भारतीय वायुसेना की यात्रा को एक महत्वाकांक्षी, प्रेरणादायक और परिवर्तनकारी सफर बताया जो न केवल ऊंचाइयां छूने के बारे में है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के सपनों को हकीकत में बदलने के बारे में भी है।
उन्होंने कहा कि चुनौतियों के बावजूद भारतीय वायुसेना स्वतंत्रता के बाद और अधिक मजबूत हुई है और अब ‘‘एक मजबूत स्तंभ के रूप में राष्ट्रीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।’’
रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर भारतीय वायुसेना अच्छी तरह से सुसज्जित और उच्च प्रौद्योगिकी से लैस होगी तो भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और मजबूत होगी। सिंह ने कहा कि आयात निर्भरता के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती है और सरकार रक्षा संप्रभुता हासिल करने की दिशा में अथक प्रयास कर रही है।
सिंह ने हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस, उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर ध्रुव, हल्के उपयोगी हेलीकॉप्टर प्रचंड, आकाश और ब्रह्मोस वायु रक्षा हथियारों को भारतीय डिजाइनरों, इंजीनियरों और वैज्ञानिकों की क्षमता का ‘‘शानदार उदाहरण’’ बताया।
भाषा आशीष