जम्मू-कश्मीर: सीमावर्ती गांवों को बिना फटे गोला-बारूद से मुक्त करने के लिए व्यापक कवायद जारी
अमित नेत्रपाल
- 13 May 2025, 08:52 PM
- Updated: 08:52 PM
राजौरी/जम्मू, 13 मई (भाषा) जम्मू कश्मीर के सीमावर्ती गांवों में पाकिस्तान द्वारा दागे गए बिना फटे गोला-बारूद को नष्ट करने के लिए सेना और पुलिस के बम निरोधक दस्तों ने एक बड़ी कवायद शुरू की है।
मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने कहा कि वे स्थिति पर नजर रख रहे हैं और सुरक्षा एजेंसियों से मंजूरी मिलने के बाद विस्थापित सीमावर्ती निवासियों की वापसी में सुविधा प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि साथ ही वे उन लोगों को शीघ्र मुआवजा भी सुनिश्चित करेंगे जिनके घर नागरिक क्षेत्रों पर अंधाधुंध गोलाबारी में क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि राजौरी और पुंछ जिलों में नियंत्रण रेखा (एलओसी) तथा जम्मू एवं सांबा में अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों में विशेषज्ञों ने दर्जनों विस्फोटक नष्ट किए, जहां 7 मई से 10 मई तक सीमा पार से भारी गोलाबारी और ड्रोन हमले हुए थे।
पाकिस्तान की ओर से गोलाबारी की तीव्रता 7 मई को बढ़ गई थी, जब भारतीय सशस्त्र बलों ने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत सीमा पार नौ आतंकवादी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए थे।
पहलगाम आतंकवादी हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे।
पाकिस्तान की ओर से संघर्षविराम का उल्लंघन पहलगाम आतंकवादी हमले के तुरंत बाद उत्तरी कश्मीर से शुरू हो गया था और यह जम्मू संभाग में नियंत्रण रेखा तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास के क्षेत्रों तक फैल गया, जिसके जवाब में भारतीय सैनिकों ने प्रभावी जवाबी कार्रवाई की।
सीमा पार से की गई गोलाबारी में 28 लोग मारे गए और 50 से अधिक लोग घायल हो गए। इस गोलाबारी की वजह से दो लाख से अधिक सीमावर्ती निवासियों को घर छोड़कर सुरक्षित जगहों पर शरण लेनी पड़ी। पिछले तीन दिन में इनमें से काफ़ी लोग अपने गांव लौट चुके हैं।
हालांकि, कई लोग अभी भी सरकार द्वारा स्थापित राहत शिविरों में अधिकारियों की हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं।
मुख्य सचिव ने स्थिति का आकलन करने के लिए गोलाबारी से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और राजौरी के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उपचाराधीन पीड़ितों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली।
अस्पताल का दौरा करने के बाद डुल्लू ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पाकिस्तान द्वारा नागरिक इलाकों को अंधाधुंध तरीके से निशाना बनाए जाने के बाद मैं जमीनी हालात का आकलन करने आया हूं। राजौरी में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी समेत तीन लोगों की मौत हो गई, दर्जनों मकान क्षतिग्रस्त हो गए और मवेशी मारे गए।’’
उन्होंने कहा कि सरकार जल्द से जल्द विस्थापित लोगों का पुनर्वास करना चाहती है और यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि उन्हें अपने घरों के पुनर्निर्माण के लिए पर्याप्त मुआवजा मिले।
मुख्य सचिव ने कहा, ‘‘हम उन परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं जिन्होंने अपने सदस्यों को खो दिया है और यह भी आश्वासन देते हैं कि घायलों को उनके पूर्ण स्वस्थ होने के लिए सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवा प्रदान की जाएगी।’’
उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों को विस्फोटक मुक्त करने के बाद सेना और पुलिस अधिकारियों से हरी झंडी मिलने के बाद विस्थापित लोगों को उनके गांवों में वापस ले जाया जाएगा।
राजौरी शहर में लोगों को भूमिगत बंकर उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर उन्होंने कहा कि यह पहली बार है कि राजौरी और पुंछ जैसे कई शहर पाकिस्तानी गोलाबारी की चपेट में आए हैं और ‘‘हमें यह सोचना होगा कि लोगों की सुरक्षा कैसे की जाएगी।’’
अधिकारियों ने कहा कि सेना और पुलिस के दल गांव-गांव जाकर पाकिस्तान की ओर से दागे गए बिना फटे गोला-बारूद का पता लगा रहे हैं और उसे निष्क्रिय कर रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि अभियान सोमवार दोपहर को शुरू किया गया था और विशेषज्ञ नियंत्रित विस्फोट करके बिना फटे गोलों को नष्ट कर रहे हैं।
पुलिस ने पहले ही लोगों से अनुरोध किया है कि वे किसी भी संदिग्ध वस्तु को न छुएं और अपनी सुरक्षा के लिए निकटतम थाने या सुरक्षा प्रतिष्ठान को इसकी सूचना दें।
अपने गांवों को लौट चुके कई सीमावर्ती निवासियों ने कहा कि वे अब भी पाकिस्तान की गोलाबारी के डर से भूमिगत बंकरों में अपनी रातें बिता रहे हैं।
शनिवार को तत्काल प्रभाव से भूमि, वायु और समुद्र में सभी प्रकार की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाइयों को रोकने की सहमति की घोषणा के बाद दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच पहली बार संपर्क हुआ।
मंजाकोट सेक्टर के निवासी मोहम्मद फिरदौस ने कहा, ‘‘घोषणा के बाद भी हम कोई जोखिम नहीं उठा रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान को शरारत करने की आदत है। हम हालात के शांत होने का इंतजार कर रहे हैं।’’
उन्होंने सरकार से सीमावर्ती निवासियों के लिए और अधिक भूमिगत बंकरों को मंजूरी देने का अनुरोध किया।
फिरदौस ने कहा, ‘‘अग्रिम गांवों में बंकरों की संख्या कम है और हालिया सैन्य संघर्ष के चलते अधिक बंकर उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता महसूस हो रही है, ताकि गोलाबारी की स्थिति में लोग अपनी जान बचा सकें।’’
नौशेरा के निवासी चुनीलाल ने कहा कि उन्होंने फरवरी 2021 के बाद से इतनी भारी गोलाबारी नहीं देखी है जब भारत और पाकिस्तान ने संघर्षविराम समझौते को नवीनीकृत किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘हम सीमा पर शांति चाहते हैं ताकि हम सीमा पार से गोलाबारी के तनाव के बिना अपना काम कर सकें।’’
उन्होंने सीमा पर रहने वाले उन निवासियों के लिए विशेष वित्तीय पैकेज की मांग की जिनके घर गोलाबारी में क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
भाषा अमित