ऑपरेशन सिंदूर पर आठवले ने कहा, भारत ने तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप का प्रस्ताव ठुकराया
अमित पवनेश
- 14 May 2025, 07:10 PM
- Updated: 07:10 PM
नयी दिल्ली, 14 मई (भाषा) केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने बुधवार को दावा किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष में मध्यस्थता की पेशकश की थी, लेकिन नयी दिल्ली ने किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को सिरे से खारिज कर दिया।
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष आठवले ने एक संवाददाता सम्मेलन में विपक्ष की गतिरोध के दौरान सरकार के साथ खड़े रहने के लिए प्रशंसा की तथा दोनों पड़ोसी देशों के बीच सभी सैन्य कार्रवाइयों को रोकने के लिए सहमति बनने के मुद्दे का राजनीतिकरण करने के लिए उनकी आलोचना की।
उन्होंने कहा, ‘‘विपक्ष को सरकार के साथ एकजुट रहना चाहिए और उसके रुख पर सवाल नहीं उठाना चाहिए।’’
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच "संघर्षविराम" कराने का बार-बार दावा किये जाने के बाद, विपक्षी दलों ने नरेन्द्र मोदी सरकार पर इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देने के लिए दबाव बनाया है।
भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को जमीन, हवा और समुद्र पर सभी तरह की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाइयों को रोकने की सहमति बनी थी।
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री आठवले ने कश्मीर मुद्दे पर भारत के रुख को दोहराते हुए कहा, ‘‘पाकिस्तान के साथ तब तक कोई मित्रता नहीं हो सकती जब तक वे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को भारत को वापस नहीं कर देते और सीमापार आतंकवाद के खतरे का स्थायी समाधान नहीं हो जाता।’’
उन्होंने कहा कि ट्रंप ने मामले को सुलझाने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच "मध्यस्थता करने की इच्छा जताई थी", लेकिन "हमने किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप से साफ इनकार किया।’’
कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह की अपमानजनक टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय मंत्री आठवले ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान विदेश सचिव विक्रम मिसरी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ मीडिया को जानकारी देने के तरीके के लिए उनकी (कर्नल सोफिया कुरैशी) प्रशंसा की।
मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह की टिप्पणी की व्यापक निंदा हुई है।
आठवले ने कहा कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की नौकरियों में विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधित्व को समझने के लिए जाति जनगणना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वह कई वर्षों से जाति जनगणना की मांग उठा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने 1998 में इस अभियान की शुरुआत की थी।’’ उन्होंने कहा कि यह कवायद इस आकलन के लिए महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेगा कि प्रत्येक जाति समूह ने सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में कितना रोजगार हासिल किया है।
उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय और समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए जाति-वार डेटा आवश्यक है।
मंत्री ने कहा कि विभिन्न जातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति की व्यापक समझ ही सरकार को समावेशी नीतियां बनाने में मदद करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हर जाति समूह को सशक्त बनाना तभी संभव है जब हमें उनकी वास्तविक स्थिति पता हो।’’
भाषा अमित