अदालत ने महिला पत्रकारों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने पर मित्रा को फटकारा
देवेंद्र पवनेश
- 21 May 2025, 07:36 PM
- Updated: 07:36 PM
नयी दिल्ली, 21 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने ‘न्यूजलॉन्ड्री’ की नौ महिला पत्रकारों के खिलाफ ऑनलाइन पोस्ट में कथित रूप से अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने के मामले में बुधवार को टिप्पणीकार अभिजीत अय्यर मित्रा के प्रति नाराजगी जताई और उन्हें पांच घंटे के भीतर पोस्ट हटाने को कहा।
न्यायमूर्ति पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने इन पोस्ट का बचाव कर रहे मित्रा के वकील से कहा, ‘‘क्या आप इसका बचाव कर सकते हैं? सभ्य समाज में ऐसी भाषा और शब्दों की अनुमति नहीं है।’’
अदालत ‘न्यूजलॉन्ड्री’ के साथ काम करने वाली नौ महिला पत्रकारों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने ‘एक्स’ पर मित्रा के ‘‘अपमानजनक, झूठे, दुर्भावनापूर्ण और निराधार आरोपों’’ के लिए दो करोड़ रुपये का हर्जाना दिये जाने का अनुरोध किया है।
वादी पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ताओं बानी दीक्षित और फरमान अली ने कहा कि मित्रा ने महिला पत्रकारों और उनके संगठन के खिलाफ ‘‘अपमानजनक शब्दों और गालियों’’ का इस्तेमाल किया।
इसके बाद मित्रा के वकील ने कहा कि पोस्ट में प्रयुक्त शब्द अनुचित थे तथा भाषा खराब थी, तथा उन्होंने पोस्ट हटाने पर सहमति जताई।
अदालत का ‘‘प्रथम दृष्टया मत’’ था कि मित्रा की पोस्ट ‘‘किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है’’ और उसने अंतरिम आदेश पारित करने पर विचार किया।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हालांकि, प्रतिवादी के वकील जय अनंत देहाद्राय का कहना है कि उनके पास उठाने के लिए कई मुद्दे हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि शब्दों के चयन में हुई चूक से बचा जा सकता था।’’
अदालत ने निर्धारित समय के भीतर अपमानजनक पोस्ट हटाने का आश्वासन रिकॉर्ड पर लिया।
अदालत कहा, ‘‘प्रतिवादी को तदनुसार कार्य करने दें। यह व्यवस्था प्रतिवादी की सहमति से की गई है और यह उसके अधिकारों और विवादों के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं रखती है।’’
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति कौरव ने यह भी कहा कि जिस व्यक्ति ने अपनी पोस्ट में इस तरह की ‘‘असभ्य भाषा’’ का इस्तेमाल करने की हिम्मत की है, उन्हें तब तक नहीं सुना जाना चाहिए जब तक कि उसे हटा न दिया जाए।
अदालत ने कहा, ‘‘इस तरह की भाषाएं, चाहे पृष्ठभूमि कुछ भी हो...क्या सभ्य समाज में महिलाओं के खिलाफ इस तरह की भाषा की अनुमति दी जा सकती है? अगर जवाब नहीं है, तो इन पोस्ट को तुरंत हटा दें। आप जहां तक चाहें हम आपकी बात सुनेंगे लेकिन जब तक आप इन आक्षेपों और इस तरह की भाषा को नहीं हटाते, हम आपकी बात नहीं सुनेंगे।’’
मित्रा के वकील ने कहा कि वे एक पल के लिए भी पोस्ट में इस्तेमाल की गई भाषा को माफ या इसका बचाव नहीं कर सकते, लेकिन उन्होंने कहा कि यह केवल ‘‘आधी कहानी’’ है जो अदालत को बताई जा रही है। उन्होंने अदालत से इस बात पर सहमति जताई कि इस्तेमाल की गई भाषा खराब थी।
वकील ने कहा, ‘‘हां, ट्वीट में गाली-गलौज का तत्व है, लेकिन एक भी पोस्ट का सीधे तौर पर किसी भी वादी से कोई संबंध नहीं है। इसे संगठन से जोड़ दिया गया।’’
हालांकि, न्यायाधीश ने कहा कि ये पोस्ट सीधे तौर पर वादी से संबंधित थे और यदि ऐसा नहीं था, तो उन ट्वीट को जारी करने के पीछे क्या तर्क था।
न्यायमूर्ति कौरव ने कहा, ‘‘हां! यदि आप मुझसे यह निष्कर्ष चाहते हैं, तो मैं तुरंत यह निष्कर्ष दे दूं कि इनका सीधा संबंध वादी से है। यह कई अन्य लोगों से भी संबंधित हो सकते हैं..।’’
देहाद्राय ने कहा कि न्यूजलॉन्ड्री ‘‘एक समाचार संगठन नहीं है जैसा कि वे दावा करते हैं’’ और कहा कि मित्रा ने इसकी आय के संदिग्ध स्रोतों के बारे में कई ट्वीट भी किए हैं।
अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि 26 मई तय की।
भाषा
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