निष्कासित नेता ईश्वरप्पा ने भाजपा में वापसी के संकेत दिये
शफीक दिलीप
- 29 Jun 2025, 08:49 PM
- Updated: 08:49 PM
बेल्लारी (कर्नाटक), 29 जून (भाषा) भाजपा से निष्कासित नेता के.एस. ईश्वरप्पा ने रविवार को पार्टी में संभावित वापसी का संकेत देते हुए कहा कि ‘‘भाजपा उनकी जिंदगी है’’, और किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता।
उन्होंने कहा कि वह भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से मिलने पर विचार कर रहे हैं और पार्टी के भीतर कुछ लोग उनकी वापसी के लिए भी तैयार हैं।
भाजपा ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री ईश्वरप्पा को पिछले साल पार्टी अनुशासन का उल्लंघन करने और पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ बगावत करते हुए शिवमोगा से निर्दलीय के तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
ईश्वरप्पा प्रदेश भाजपा प्रमुख बी वाई विजयेंद्र और उनके पिता एवं वरिष्ठ नेता बी एस येदियुरप्पा पर उनके (ईश्वरप्पा) बेटे के.ई. कांतेश को हावेरी से टिकट देने से इनकार करने का आरोप लगाते हुए चुनाव मैदान में उतर गये थे। विजयेंद्र के भाई और मौजूदा सांसद बी वाई राघवेंद्र शिवमोगा से भाजपा के उम्मीदवार थे।
ईश्वरप्पा ने कहा, ‘‘मुझे विस्तृत जानकारी नहीं है। मैंने केवल खबरों के माध्यम से सुना है कि कुरुबा समुदाय (जिससे मैं आता हूं) के भाजपा कार्यकर्ताओं ने एक बैठक की और मेरी वापसी की मांग की। उनमें से कुछ ने मेरे बारे में अच्छी बातें कीं, इसके अलावा मुझे कुछ भी पता नहीं है।’’
उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं भाजपा के अलावा कहां जाऊंगा? पार्टी मेरी जिंदगी है।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें अन्य दलों से निमंत्रण मिला है, ईश्वरप्पा ने कहा कि सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के कुछ मंत्रियों ने उनसे संपर्क किया था और उन्हें और उनके बेटे के लिए उपयुक्त पदों की पेशकश की थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी उन्हें आमंत्रित किया था।
ईश्वरप्पा ने कहा, ‘‘हिंदुत्व मेरी सांस की तरह है। मैं हिंदुत्व के कारण ही भाजपा में शामिल हुआ। भले ही मैं मर जाऊं, लेकिन मैं भाजपा या हिंदुत्व को नहीं छोड़ूंगा। इसलिए किसी अन्य पार्टी में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता।’’
हालांकि, कर्नाटक के भाजपा प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल ने हाल में कहा था कि ईश्वरप्पा और बसनगौड़ा पाटिल यतनाल जैसे निष्कासित नेताओं को फिर से शामिल करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
भाषा शफीक