'सीबीआई को दोषी नहीं ठहराया जा सकता': अदालत ने जेएनयू छात्र नजीब अहमद लापता मामले को बंद किया
नोमान नरेश
- 30 Jun 2025, 08:33 PM
- Updated: 08:33 PM
नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के प्रथम वर्ष के छात्र नजीब अहमद की गुमशुदगी मामले को बंद करने की सोमवार को अनुमति दे दी। वह 15 अक्टूबर 2016 को लापता हो गया था।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ज्योति माहेश्वरी ने भी "पूरी उम्मीद" जताई कि नजीब का जल्दी पता लग जाए।
आदेश में कहा गया है कि अदालत इस बात पर दुखी है कि मामले की कार्यवाही इस क्लोज़र रिपोर्ट के साथ समाप्त हो रही है। नजीब की मां और उसके अन्य प्रियजनों के लिए भी मामला बंद।
अदालत ने एजेंसी की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया, लेकिन सीबीआई को अहमद के बारे में कोई भी विश्वसनीय जानकारी प्राप्त होने पर जांच पुनः शुरू करने की स्वतंत्रता प्रदान की और अदालत को सूचित करने को कहा।
न्यायाधीश ने कहा कि जिस दिन नजीब गायब हुआ उस दिन उसके छात्रावास लौटने के बाद किसी से झगड़े का कोई सबूत नहीं है जिससे यह पता चले कि उसके लापता होने का कारण कोई संदिग्ध व्यक्ति या जेएनयू का कोई अन्य व्यक्ति है।
अदालत ने कहा, "चर्चा के विश्लेषण से पता चलता है कि सीबीआई ने समग्र जांच की है और सभी विकल्पों का प्रयोग किया है।"
उन्होंने यह भी बताया कि जब नजीब छात्रावास के कमरे से बाहर निकला तो उसका मोबाइल फोन और लैपटॉप कमरे में ही पड़ा था।
अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट है कि सभी संभावित पहलुओं की सीबीआई ने पूरी तरह से जांच की, लेकिन नजीब के बारे में कोई विश्वसनीय जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी।
न्यायाधीश ने कहा कि इसके अलावा, अहमद की मां द्वारा सीबीआई की छानबीन में खामियों का आरोप लगाते हुए विरोध याचिका में उठाई गई आपत्तियों की विस्तार से जांच की गई और उन्हें खारिज कर दिया गया।
आदेश में कहा गया कि यह अदालत एक चिंतित मां की दुर्दशा से परिचित है, जो 2016 से अपने लापता बेटे के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रही है, लेकिन सीबीआई को उसकी जांच के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
न्यायाधीश ने कहा कि सत्य की खोज हर आपराधिक जांच का आधार है, फिर भी ऐसे मामले हैं जहां जांच मशीनरी के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद की गई जांच अपने तार्किक निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाती है।
सीबीआई ने अक्टूबर 2018 में मामले की जांच बंद कर दी थी, क्योंकि जेएनयू में स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष के छात्र अहमद का पता लगाने में एजेंसी को कोई कामयाबी नहीं मिली।
दिल्ली उच्च न्यायालय से अनुमति मिलने के बाद एजेंसी ने मामले में अदालत के समक्ष अपनी ‘क्लोजर रिपोर्ट’ दायर की।
अहमद कथित तौर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े कुछ छात्रों के साथ हुई झड़प के एक दिन बाद 15 अक्टूबर 2016 को जेएनयू के माही-मांडवी छात्रावास से लापता हो गया था।
अहमद की मां फातिमा नफीस के वकील ने पहले कहा था कि यह एक "राजनीतिक मामला" है, जिसमें "सीबीआई अपने आकाओं के दबाव के आगे झुक गई है।"
इस मामले की जांच शुरू में दिल्ली पुलिस ने की थी, लेकिन बाद में इसे सीबीआई को सौंप दिया गया था।
भाषा नोमान