गैर पंजीकृत कोच से ट्रेनिंग लेने वाले एथलीट की पुरस्कार के लिए सिफारिश नहीं की जाएगी: एएफआई
सुधीर पंत
- 07 Jul 2025, 03:56 PM
- Updated: 03:56 PM
(फिलेम दीपक सिंह)
नयी दिल्ली, सात जुलाई (भाषा) भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) अर्जुन और खेल रत्न पुरस्कार जैसे राष्ट्रीय सम्मानों के लिए किसी भी ऐसे खिलाड़ी के नाम की सिफारिश नहीं करेगा जो गैर पंजीकृत कोच से प्रशिक्षण लेता हो। महासंघ को उम्मीद है कि इस कदम से खेल के राष्ट्रीय सर्किट में बढ़ते डोपिंग मामलों से निपटने में मदद मिलेगी।
ट्रैक एवं फील्ड खिलाड़ियों द्वारा डोपिंग में कोच की संलिप्तता एक खुला रहस्य रहा है। हाल के दिनों में एएफआई ने सख्त परीक्षण और जागरूकता अभियानों के अलावा अपनी खुद की कुछ पहल शुरू करके इस मामले से निपटने की कोशिश की है।
हाल ही में एएफआई ने देश में सभी कोच के अनिवार्य पंजीकरण के लिए 31 जुलाई की समय सीमा तय की और स्पष्ट किया कि निर्देश का पालन नहीं करने पर उन्हें ‘ब्लैकलिस्ट’ कर दिया जाएगा।
एएफआई के प्रवक्ता आदिल सुमारिवाला ने पीटीआई से कहा, ‘‘हम उम्मीद कर रहे हैं कि कोच खुद को पंजीकृत करवाएंगे। इसके बाद हम इसे सार्वजनिक करेंगे कि केवल ये पंजीकृत कोच हैं। जो पंजीकरण नहीं कराएंगे उन्हें ब्लैकलिस्ट किया जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई एथलीट गैर पंजीकृत कोच के साथ ट्रेनिंग करता है तो उसके पदक जीतने की स्थिति में एएफआई एथलीट के नाम की सिफारिश किसी राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए नहीं करेगा। ऐसे एथलीट को कुछ नहीं मिलेगा।’’
सुमारिवाला ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि कोच, यहां तक कि माता-पिता (एथलीट के) भी आज डोपिंग से जुड़े हैं। यह दुर्भाग्यशाली है।’’
सुमरिवाला डोपिंग के अपराधीकरण के मुखर समर्थक हैं क्योंकि उनका मानना है कि जब तक डोपिंग अपराधियों को जेल नहीं भेजा जाता तब तक इस समस्या से निपटना मुश्किल होगा। हालांकि राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक अधिनियम 2022 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
एथलेटिक्स की वैश्विक संचालन संस्था विश्व एथलेटिक्स के उपाध्यक्ष सुमारिवाला ने कहा, ‘‘मैं संसद में नहीं हूं लेकिन हमें कुछ करना होगा। डोपिंग में शामिल सभी लोगों को जेल भेजना होगा। तभी लोगों को एहसास होगा कि यह कोई मजाक नहीं है। अगर आप इस लड़ाई को जीतना चाहते हैं तो आपको कुछ कठोर कदम उठाने होंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अन्यथा कानून के दायरे में हमें वही करना होगा जो हमें करना है। लेकिन आज कुछ नहीं होता। वे (डोपिंग के अपराधी) बेखौफ होकर निकल जाते हैं या उन्हें चार साल की सज़ा मिलती है फिर वे कहते हैं, हां, हमने (प्रतिबंधित दवाएं) ली हैं और इसे तीन साल कर देते हैं।’’
सुमारिवाला ने एथलीट द्वारा शीघ्र अपराध स्वीकार करने के बाद मामले के समाधान समझौते के माध्यम से प्रतिबंध की अवधि कम करने का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘यह सारी बकवास बंद होनी चाहिए।’’
भारतीय ट्रैक एवं फील्ड एथलीटों के बीच बढ़ते डोपिंग मामलों से चिंतित एएफआई ने जनवरी में चंडीगढ़ में अपनी वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में सभी कोच के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य कर दिया, अन्यथा उन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा।
गैर पंजीकृत कोच को एथलीट को ट्रेनिंग देने की अनुमति नहीं दी जाएगी और किसी भी परिस्थिति में एएफआई की किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं किया जाएगा। सफल पंजीकरण के बाद प्रत्येक कोच को एएफआई द्वारा एक विशेष पंजीकरण संख्या आवंटित की जाएगी और एक पहचान पत्र जारी किया जाएगा।
इसके अलावा एएफआई ने एक डोपिंग रोधी सेल बनाने का भी फैसला किया है जो उन कोच की पहचान करेगा जिन पर ‘अपने खिलाड़ियों को डोपिंग में शामिल करने’ का संदेह है। साथ ही इस समस्या से निपटने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति की सिफारिश पर उन प्रशिक्षण केंद्रों की सूची तैयार करेगा जो धोखेबाजों के लिए ‘ठिकाने’ के रूप में काम करते हैं।
एएफआई इस खुफिया जानकारी को राष्ट्रीय डोपिंग एजेंसी (नाडा) और विश्व एथलेटिक्स द्वारा स्थापित एथलेटिक्स इंटीग्रिटी यूनिट (एआईयू) के साथ साझा करेगा।
सुमारिवाला ने कहा कि एक जुलाई को कैबिनेट से मंजूरी हासिल करने वाली नई खेलो भारत नीति (राष्ट्रीय खेल नीति) अच्छी तरह से तैयार की गई नीति है जिसमें जवाबदेह और सुशासन, बुनियादी ढांचे को बेहतर करने और लीग संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह एक बहुत अच्छी नीति है। देखिए अगर आप अच्छा प्रशासन चाहते हैं तो आपको एक अच्छी नीति की आवश्यकता है।’’
भाषा सुधीर