न्यायालय ने नीट-स्नातक के अभ्यर्थी की उत्तर पुस्तिका का ‘मैन्युअल’ मूल्यांकन करने का निर्देश दिया
अमित संतोष
- 05 Aug 2025, 09:19 PM
- Updated: 09:19 PM
नयी दिल्ली, पांच अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने नीट-स्नातक 2025 परीक्षा के उस अभ्यर्थी की उत्तर पुस्तिका का ‘मैन्युअल’ मूल्यांकन करने का मंगलवार को निर्देश दिया, जिसने अपने प्रश्नपत्र में पृष्ठ क्रम में त्रुटि का आरोप लगाया था।
न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने मूल्यांकन परिणाम को रिकॉर्ड में दर्ज करने का आदेश दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘उसे (याचिकाकर्ता को) अपनी उत्तर पुस्तिका को ‘मैन्युअल’ तरीके से जांचे जाने पर संतोष होगा।’’
अभ्यर्थी ने नीट-यूजी प्रश्नपत्र में पृष्ठों का क्रम गलत होने का दावा किया था।
राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) परीक्षा राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी द्वारा देश भर के सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस और आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित की जाती है।
प्रतिवादियों की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अर्चना पाठक दवे ने प्रश्नपत्र की एक प्रति रिकार्ड में पेश करके स्पष्ट किया कि यह गलती गलत स्टेपलिंग के कारण हुई।
पीठ ने कहा, ‘‘हालांकि, अपनी संतुष्टि के लिए हम निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता के पेपर का ‘मैन्युअल’ मूल्यांकन किया जाए और मूल्यांकन के परिणाम को रिकॉर्ड में रखा जाए। यह कार्य एक सप्ताह की अवधि के भीतर किया जाए।’’
दवे ने कहा कि प्रश्नपत्रों को स्टेपल करना एक ‘मैनुअल’ प्रक्रिया थी।
पीठ ने कहा, ‘‘कम से कम इतना तो किया ही जा सकता था कि प्रश्नों को क्रमवार दिया जाए। अभ्यर्थी की घबराहट देखिए। यह कोई साधारण परीक्षा नहीं है।’’
विधि अधिकारी ने कहा कि स्टेपल करने के काम के लिए केवल अर्ध-कुशल या अर्ध-शिक्षित लोगों को ही लगाया गया था।
उन्होंने इसे "दुर्लभतम" उदाहरण बताते हुए कहा, "यदि हम यह काम किसी साक्षर व्यक्ति को देते और यदि वह इसे स्टेपल करता है, तो वह एक या दो प्रश्न याद कर सकता है और उन्हें बाहर भेज सकता है।’’
हालांकि, पीठ ने कहा कि ‘‘17-18 साल के’’ छात्र आत्महत्या कर रहे हैं। कृपया इसे सही ठहराने की कोशिश न करें।’’
शीर्ष अदालत इस मामले में अगली सुनवायी 12 अगस्त को करेगी।
भाषा अमित