मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने 71 जिलाध्यक्षों की घोषणा की, ओबीसी को सबसे अधिक प्रतिनिधित्व
ब्रजेन्द्र राजकुमार
- 17 Aug 2025, 12:40 AM
- Updated: 12:40 AM
भोपाल, 16 अगस्त (भाषा) कांग्रेस ने शनिवार को लंबी जद्दोजहद के बाद मध्यप्रदेश में 71 जिलाध्यक्षों की सूची जारी की, जिसमें सबसे अधिक प्रतिनिधित्व अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को मिला है।
पार्टी ने इसके बाद दलित और आदिवासी वर्ग को तवज्जो दी है। वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के विधायक पुत्र और राज्य के पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह को गुना जिले का अध्यक्ष बनाया है, जहां से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ताल्लुक रखते हैं।
मध्यप्रदेश में ओबीसी आबादी लगभग 49 प्रतिशत है। इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने 2003 से राज्य की कमान उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान के बाद अब मोहन यादव को सौंपी है। ये सभी ओबीसी समुदाय से आते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि सूची में सिर्फ चार महिलाओं को ही जगह मिली है। विजयलक्ष्मी तंवर को आगर मालवा, प्रतिभा रघुवंशी को खंडवा शहर, सुनीता पटेल को नरसिंहपुर और सरस्वती सिंह मरकाम को सिंगरौली ग्रामीण का अध्यक्ष बनाया गया है।
जयवर्धन के अलावा मध्यप्रदेश के तीन अन्य पूर्व मंत्रियों-- ओंकार सिंह मरकाम को डिंडौरी जिलाध्यक्ष, प्रियव्रत सिंह को राजगढ़ का अध्यक्ष और हर्षविजय गहलोत को रतलाम ग्रामीण का अध्यक्ष बनाया गया है।
इस सूची में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के बड़ी संख्या में नेताओं को जगह मिली है। सूची में दो मुस्लिम, दो जैन और एक सिख समुदाय के नेता को जगह मिली है।
कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि यह सूची हमारे नेता राहुल गांधी के दृष्टिकोण के अनुरूप आई है जो सभी समुदायों विशेष रूप से ओबीसी, एससी और एसटी की भागीदारी चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि गांधी दो साल से अधिक समय से आर्थिक और सामाजिक असमानता को समाप्त करने के लिए जाति आधारित जनगणना की वकालत करते रहे हैं।
कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल द्वारा जारी की गई यह सूची गांधी द्वारा मध्यप्रदेश में अपनी पार्टी के 'संगठन सृजन अभियान' की शुरुआत करने के दो महीने बाद आई है।
राहुल गांधी ने तीन जून को यहां नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें की थीं ताकि 2028 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी को तैयार किया जा सके।
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में, भाजपा ने मध्यप्रदेश की सभी 29 सीट पर जीत हासिल की थी, जिसमें वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का गृह क्षेत्र छिंदवाड़ा भी शामिल है।
कमलनाथ के नेतृत्व में दिसंबर 2018 और मार्च 2020 के बीच 15 महीने की संक्षिप्त अवधि को छोड़कर, कांग्रेस 2003 से मध्यप्रदेश में सत्ता से बाहर है।
भोपाल में प्रवीण सक्सेना को शहर और अनोखी मान सिंह पटेल को ग्रामीण अध्यक्ष के रूप में बरकरार रखा गया है।
ग्यारह पूर्व विधायकों को जिलाध्यक्ष बनाया गया है। अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले आरिफ इकबाल सिद्दीकी को सतना में मकसूद अहमद की जगह शहर प्रमुख बनाया गया है।
कुल मिलाकर पार्टी ने 18 जिलाध्यक्षों को बरकरार रखा है, जिनमें बड़वानी से ननेश चौधरी, खरगोन से रवि नायक, झाबुआ से प्रकाश रांका, शाजापुर से नरेश्वर प्रताप सिंह, उज्जैन शहर से मुकेश भाटी, विदिशा से मोहित रघुवंशी और सीहोर से राजीव गुजराती शामिल हैं।
बुरहानपुर में कांग्रेस नेता हेमंत पाटिल ने ग्रामीण जिलाध्यक्ष का पद नहीं मिलने पर पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। वह जिला कांग्रेस प्रवक्ता भी थे।
उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘'मैं कार्यकर्ता बना रहूंगा।’’
सूची की घोषणा के बाद यह पहला इस्तीफा है।
भाषा ब्रजेन्द्र