न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास से नकदी बरामदगी विवाद: घटनाओं का विवरण
नोमान पवनेश
- 07 Aug 2025, 04:01 PM
- Updated: 04:01 PM
नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा की उस याचिका को बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट को अमान्य ठहराने का अनुरोध किया था। इस रिपोर्ट में उन्हें कदाचार का दोषी पाया गया था।
राष्ट्रीय राजधानी के 30 तुगलक क्रीसेंट स्थित न्यायाधीश के सरकारी बंगले में 14 मार्च को रात लगभग 11:35 बजे आग लग गई, जिसके बाद अग्निशमन के दौरान नोटों की जली हुई गड्डियां बरामद हुईं। इसके बाद उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने न्यायाधीश को हटाने की सिफारिश की।
इस मामले में अब तक घटित घटनाओं का विवरण इस प्रकार है:
-15 मार्च: दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर न्यायालय के अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया।
-17 मार्च: दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी के उपाध्याय ने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना से मुलाकात की।
- 20 मार्च: दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने प्रधान न्यायाधीश के साथ (मामले की) तस्वीरें और वीडियो साझा किए।
-20 मार्च: अंग्रेजी दैनिक ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने न्यायमूर्ति वर्मा के आवास पर कथित रूप से अधजले नोट मिलने की खबर छापी।
दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) को पत्र लिखकर गहन जांच का आग्रह किया।
- 21 मार्च: सीजेआई ने न्यायमूर्ति वर्मा से 22 मार्च की दोपहर से पहले लिखित में जवाब मांगा। उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित करने पर विचार किया।
-22 मार्च: न्यायमूर्ति वर्मा ने जवाब दिया और आरोपों को खारिज किया। सीजेआई संजीव खन्ना ने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की। उच्चतम न्यायालय ने मामले से संबंधित तस्वीरों और वीडियो सहित आंतरिक जांच रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर अपलोड की।
-तीन मई: उच्चतम न्यायालय की समिति ने न्यायाधीश को कदाचार का दोषी पाया, हटाने की सिफारिश की।
आठ मई: तत्कालीन सीजेआई ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग की, क्योंकि उन्होंने पद छोड़ने से इनकार कर दिया।
-17 जुलाई: न्यायमूर्ति वर्मा ने आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट को अमान्य ठहराने की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया।
-23 जुलाई: न्यायाधीश ने उच्चतम न्यायालय में अपनी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की।
-30 जुलाई: उच्चतम न्यायालय ने न्यायाधीश की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा।
-सात अगस्त: उच्चतम न्यायालय ने न्यायमूर्ति वर्मा की याचिका खारिज की।
भाषा
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