मुंबई में कबूतरों को दाना खिलाने की जगह को जबरन खोलने में जैनियों की कोई भूमिका नहीं: मंत्री लोढा
धीरज सुरेश
- 07 Aug 2025, 08:56 PM
- Updated: 08:56 PM
मुंबई, सात अगस्त (भाषा) महाराष्ट्र के मंत्री मंगल प्रभात लोढा ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि मुंबई में कबूतरों को दाना देने के एक प्रमुख स्थान पर हुए विरोध प्रदर्शन में जैन समुदाय के सदस्यों की कोई भूमिका नहीं थी।
प्रदर्शन के दौरान आंदोलनकारियों ने पक्षियों को दाना डालने से रोकने के लिए लगाए गए तिरपाल को जबरन हटा दिया था।
लोढा ने स्पष्ट किया कि कबूतरों को दाना खिलाने के मुद्दे में कोई धार्मिक पहलू नहीं है।
बृहन्मुंबई नगर महापालिका (बीएमसी) ने दादर कबूतरखाना में कबूतरों को दाना खिलाने की प्रथा को हतोत्साहित करने के लिए तिरपाल लगाया था, लेकिन बुधवार को प्रदर्शनकारियों ने इसे जबरन हटाने की कोशिश की और इस दौरान उनकी पुलिस के साथ झड़प भी हुई।
राज्य कौशल विकास मंत्री के साथ-साथ मुंबई उपनगरीय जिला के प्रभारी मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे लोढा ने कहा कि उन्हें महानगर में सार्वजनिक स्थानों पर कबूतरों को दाना डालने और विरोध प्रदर्शन को लेकर उठे विवाद में अनावश्यक रूप से घसीटा जा रहा है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘भीड़ द्वारा दादर कबूतरखाना को जबरदस्ती खोलने और कबूतरों को दाना डालने की घटना के लिए मुझे दोषी ठहराना गलत है।’’
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता ने रेखांकित किया कि उन्होंने कभी समाज को नुकसान पहुंचाने वाला कोई काम नहीं किया है। उन्होंने कबूतरों के मल से जुड़े चिकित्सा जोखिमों के मद्देनजर जन स्वास्थ्य की सुरक्षा और पक्षियों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के बीच संतुलन बनाए रखने का आह्वान किया।
मंत्री ने कहा, ‘‘कल (दादर में) जो विरोध प्रदर्शन हुआ वह गलत था, लेकिन जैनियों की इसमें कोई भूमिका नहीं थी। इस मुद्दे का कोई धार्मिक पहलू नहीं है और अगर ऐसा कोई रंग दिया जा रहा है तो यह गलत है।’’
पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के बाद लोढा ने बुधवार को घटनास्थल का दौरा किया और आंदोलन की निंदा करते हुए कहा कि पुलिस मामले में उचित कार्रवाई करेगी।
लोढा ने बड़े पैमाने पर चुनावी अनियमितताओं के आरोपों को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भी आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘‘राहुल गांधी अराजकता फैलाने और देश की संवैधानिक संस्थाओं के प्रति लोगों के मन में अविश्वास पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। संविधान और संस्थाओं को चुनौती देना गलत है।’’
भाषा धीरज