उत्तरकाशी में 274 लोगों को निकाला गया, 60 से अधिक अभी भी लापता
दीप्ति जोहेब
- 07 Aug 2025, 10:35 PM
- Updated: 10:35 PM
उत्तरकाशी, सात अगस्त (भाषा) भीषण बाढ़ से तबाह हुए उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में जारी बचाव अभियान ने बृहस्पतिवार को मौसम सुधरने के साथ ही रफतार पकड़ी और जिले में विभिन्न जगहों पर फंसे हुए 270 से अधिक लोगों को वायुसेना के चिनूक और एमआई-17 हेलीकॉप्टरों की मदद से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा गया।
सेना ने कहा कि 50 से अधिक लोग और एक जूनियर कमीशन ऑफिसर समेत नौ सैन्यकर्मी अब भी लापता हैं। हालांकि, प्रत्यक्षदर्शियों का मानना है कि लापता लोगों की संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है।
अधिकारियों के अनुसार, मंगलवार दोपहर बाद बादल फटने से खीरगंगा नदी में आयी भीषण बाढ़ में चार व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी। बचाव दलों ने बुधवार को दो शव बरामद किए थे लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ये उन्हीं चार व्यक्तियों में से ही किसी के हैं।
हेलीकॉप्टरों ने आपदा के बाद निकटवर्ती गांवों और सेना के शिविरों में शरण लेने वाले लोगों को बाहर निकालने के लिए दिनभर में कई चक्कर लगाए।
जीवित लोगों की तलाश के लिए चलाए जा रहे अभियान में एनडीआरएफ के 69 बचावकर्मियों, दो खोजी कुत्तों और पशु-चिकित्सकों की एक टीम भी शामिल हो गयी है।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के उप महानिरीक्षक गंभीर सिंह चौहान ने 'पीटीआई भाषा' से कहा, “यह एक बड़ी आपदा है और नुकसान का जायजा लिया जा रहा है। उत्तरकाशी को जोड़ने वाली सड़कें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। हालांकि हमारी टीम पीड़ितों को बाहर निकालने के लिए प्रभावित इलाकों में काम कर रही हैं।”
प्रदेश के आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि कुल 274 लोगों को हर्षिल लाया गया है। उन्होंने बताया कि सभी लोग सुरक्षित हैं।
सुमन ने बताया कि इन लोगों में गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, असम, कर्नाटक, तेलंगाना, और पंजाब के तीर्थयात्री शामिल हैं।
उत्तरकाशी के जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने बताया कि हर्षिल, गंगोत्री और झाला से 275 लोगों को मातली हेलीपैड भेजा गया, जहां से उन्हें उनके गंतव्यों को भेजा जा रहा है।
बचाए गए एक पर्यटक भूपेंद्र सिंह मेहता ने याद किया कि कैसे भीषण बाढ़ आंखों के सामने सबकुछ बहा ले गयी।
उन्होंने कहा, “जब बाढ़ आयी, तब हम सो रहे थे। लोगों की 'भागो-भागो' की आवाज सुनकर हम जागे। हमारे होमस्टे के चारों तरफ सब कुछ बह गया और मलबा दूसरी मंजिल पर हमारे कमरे की खिड़की तक आ गया। हम दूसरी मंजिल से कूद गए और रेंगते हुए एक पुल तक पहुंचकर खुद को बचाया।”
एक और पर्यटक चंदन ने कहा, “हमने 15-20 जगहों पर लोगों को मलबे में दफन होते देखा।”
गढ़वाल परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक राजीव स्वरूप ने कहा कि बृहस्पतिवार दोपहर बाद 35 लोगों को उत्तरकाशी के आपदाग्रस्त क्षेत्रों से चिनूक हेलीकॉप्टर से जौलीग्रांट हवाई अडडे लाया गया।
उत्तरकाशी में पिछले कुछ दिन से हो रही भारी बारिश के कारण खोज और बचाव अभियान में बाधा आ रही है। जिले में कई सड़कें अब भी अनेक स्थानों पर भूस्खलन के मलबे से अवरुद्ध या क्षतिग्रस्त हैं।
अधिकारियों ने कहा कि उन्नत और आधुनिक उपकरणों को वायु मार्ग से धराली तक पहुंचाने के प्रयास भी तेज कर दिए गए हैं ताकि मलबे में दबे लोगों की तलाश का काम रफ्तार पकड़ सके।
भारतीय सेना ने अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए धराली और निकटवर्ती हर्षिल में मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) अभियान तेज कर दिया है। अनेक स्थानों पर भूस्खलन और सड़के टूटने के कारण यह क्षेत्र अब भी अन्य क्षेत्रों से कटा हुआ है।
सड़कें अवरुद्ध होने के कारण विभिन्न स्थानों पर फंसे उपकरणों को हवाई मार्ग से घटनास्थल पर पहुंचाया जा रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि आईटीबीपी के माध्यम से एक वीसेट मातली पहुंचा दिया गया है जहां से शुक्रवार को यह हर्षिल पहुंच जाएगा। इसके चालू होने से क्षेत्र में इंटरनेट कनेक्टिविटी अच्छी हो जाएगी।
यूपीसीएल ने देहरादून हवाई अडडे से 125 केवीए क्षमता का एक जनरेटर चिनूक के जरिए हर्षिल के लिए भेजा है ताकि प्रभावित क्षेत्रों में अस्थाई रूप से विद्युत आपूर्ति बहाल की जा सके।
बचाव कार्यों की निगरानी के लिए बुधवार से यहां डेरा डाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बृहस्पतिवार को उन महिलाओं से मुलाकात की जिनके परिजन इस आपदा में लापता हो गए हैं।
फेसबुक पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, “धराली आपदा से प्रभावित बहनों से भेंटकर उनके आंसुओं में छुपा दर्द महसूस किया। इस मुश्किल घड़ी में मैं उनके साहस को नमन करता हूं।”
उन्होंने कहा, “उन्हें भरोसा दिलाया कि हम सभी संकट की इस घड़ी में उनके साथ खड़े हैं, वहां फंसे प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षित निकालने तक राहत और बचाव कार्य जारी रहेगा। हर जरूरत को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जा रहा है।”
सेना ने कहा कि नौ सैन्यकर्मियों और तीन लोगों को हेलीकॉप्टर से देहरादून लाया गया है। गंभीर रूप से घायल तीन लोगों को एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया है जबकि आठ अन्य को उत्तरकाशी जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
सेना ने बताया कि कई स्थानों जैसे भटवाड़ी, लिंचीगाड़, हर्षिल के पास, गंगनानी और धराली में सड़क संपर्क टूटा हुआ है। सैन्य और अन्य टीमें विभिन्न जगहों पर फंसे लोगों को निकालने, राहत पहुंचाने तथा संपर्क बहाल करने के काम में दिन-रात जुटी हुई हैं।
विज्ञप्ति के अनुसार, हर्षिल और नेलोंग में सैन्य हैलीपैड संचालित है और गंगोत्री तक सड़क से जुड़ा है। धराली का नागरिक हेलीपैड कीचड़ के कारण संचालन की अवस्था में नही है।
सेना के अनुसार, इंजीनियरों, चिकित्सा दलों और बचाव विशेषज्ञों सहित 225 से ज़्यादा बचावकर्मी मौके पर मौजूद हैं। खोजी और बचाव कुत्तों को भी मौके पर तैनात किया गया है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि एक रीको रडार टीम टेकला गांव में है और एक अन्य रीको रडार को भी तैनाती में शामिल किया जा रहा है।
राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) के समन्वय से सहस्त्रधारा से पांच सिविल हेलीकॉप्टर मातली, भटवाड़ी और हर्षिल के बीच बचाव कार्यों के लिए उड़ान भर रहे हैं।
विज्ञप्ति के अनुसार, अगले 24-48 घंटों के लिए एक कार्य योजना तैयार की गई है जिसमें चिनूक हेलीकॉप्टरों द्वारा अर्धसैनिक बलों और चिकित्सा दलों को हर्षिल तक पहुंचाना, तथा एमआई-17 हेलीकॉप्टरों द्वारा राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के कर्मियों और चिकित्साकर्मियों को नेलोंग तक पहुंचाना, उत्तरकाशी और टेकला से आगे सड़क बहाल करना तथा वापसी में नेलोंग हेलीपैड से पर्यटकों को निकालना शामिल है।
मुख्यमंत्री ने पौड़ी जिले के आपदाग्रस्त क्षेत्र बांकुड़ा का हवाई सर्वेक्ष्ण तथा सैंजी और बुरांसी का स्थलीय निरीक्षण किया और आपदा प्रभावितों से मुलाकात कर उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया। भारी बारिश के कारण भूस्खलन होने से बुरांसी गांव में दो महिलाओं तथा कोटा में एक महिला की मौत हो गयी थी जबकि सैंजी गांव के 15 मकान पूर्णरूप से क्षतिग्रस्त हो गए थे।
भाषा दीप्ति