बांग्लाभाषी प्रवासी श्रमिकों को नागरिकता साबित करनी पड़ रही है : ममता
रंजन रंजन देवेंद्र
- 07 Aug 2025, 10:53 PM
- Updated: 10:53 PM
कोलकाता, सात अगस्त (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश के कुछ अन्य स्थानों पर, राज्य के लोगों को यह साबित करने के लिए सबूत देने पड़ते हैं कि वे भारतीय हैं, और बांग्ला भाषा बोलने पर उन्हें ‘विदेशी’ करार दिया जा रहा है।
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि अगर कोई अवैध प्रवासी है तो केंद्र सरकार कार्रवाई कर सकती है और राज्य को इस पर कुछ नहीं कहना है।
मुख्यमंत्री ने पूछा, ‘‘लेकिन आप भारतीय नागरिकों को बांग्लादेश क्यों भेजेंगे।’’
उन्होंने कहा कि राज्य के प्रवासी बांग्लाभाषी श्रमिकों को उनकी नागरिकता को लेकर परेशान किया जा रहा है और दावा किया कि उनमें से कुछ को उचित भारतीय पहचान पत्र होने के बावजूद बांग्लादेश में धकेल दिया गया।
उन्होंने कहा कि बंगाल के लोगों ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अब आप कह रहे हैं कि राज्य के लोग विदेशी हैं।’’
अपने मोबाइल फोन पर 1912 के 10 रुपये के नोट की तस्वीर दिखाते हुए उन्होंने कहा, ‘‘अब हमें यह साबित करना पड़ रहा है कि हम भारतीय हैं या नहीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें याद रखना चाहिए कि हम इस देश के नागरिक हैं और बांग्ला भाषा हमारा गौरव है।’’
ममता ने कहा कि किसी को भी बिना पूरी जानकारी के कोई भी फॉर्म नहीं भरना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘आपका नाम मतदाता सूची से हटाया जा सकता है और उसके बाद आपको एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक पंजी) का नोटिस भी मिल सकता है।’’
एक सरकारी वितरण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की आड़ में ‘‘पिछले दरवाजे से’’ एनआरसी लागू करने की कोशिश कर रही है।
मतदाता सूची से असली मतदाताओं के नाम हटाने की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री बनर्जी ने सभी से अपने नाम फिर से दर्ज कराने का आग्रह किया।
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने पूछा कि उनके जैसे बहुत पहले पैदा हुए सभी लोगों के पास जन्म प्रमाण पत्र कैसे हो सकते हैं, क्योंकि कई लोग घर पर ही पैदा हुए थे या विभिन्न प्राकृतिक कारणों से उनके दस्तावेज खो गए हो सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने पूछा, ‘‘क्या कानून बनाने वालों के पास सभी उचित दस्तावेज हैं?’’
उन्होंने दावा किया कि पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूरों को बांग्ला भाषा बोलने के कारण दूसरे राज्यों में अत्याचार का सामना करना पड़ रहा है।
भाषा रंजन रंजन