दिल्ली विधानसभा ने शुल्क विनियमन विधेयक पारित किया, ‘आप’ के संशोधन खारिज
देवेंद्र धीरज
- 08 Aug 2025, 11:08 PM
- Updated: 11:08 PM
नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) भाजपा के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में शुल्क वृद्धि को विनियमित करने के लिए लाये गये विधेयक को शुक्रवार को विधानसभा ने मंजूरी दे दी।
दिल्ली स्कूल शिक्षा शुल्क निर्धारण एवं विनियमन में पारदर्शिता विधेयक, 2025 को सदन में चार घंटे की बहस के बाद पारित किया गया। इस साल फरवरी में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता में आने पर यह दिल्ली विधानसभा द्वारा पारित पहला विधेयक है।
सदन में बहस के दौरान विधेयक का समर्थन करते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि इससे दिल्ली में स्कूली बच्चों के अभिभावकों का न्याय के लिए इंतजार खत्म होगा और उन्हें निजी स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि की चिंता से राहत मिलेगी।
विधेयक को सभी 21 धाराओं पर मत विभाजन के बाद पारित कर दिया गया। भाजपा के 41 विधायकों ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया, जबकि विपक्षी दल आम आदमी पार्टी (आप) के 17 विधायकों ने इसके विरोध में मतदान किया।
भाजपा के 70 सदस्यीय विधानसभा में 48 सदस्य हैं और ‘आप’ के 22 सदस्य हैं। मतदान के समय भाजपा के सात और ‘आप’ के पांच विधायक सदन में मौजूद नहीं थे।
विपक्ष की नेता आतिशी समेत ‘आप’ विधायकों द्वारा प्रस्तावित सभी आठ संशोधनों को मतदान में खारिज कर दिया गया।
दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि विधेयक को मंजूरी के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना के पास भेजा जाएगा।
दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सोमवार को शिक्षा मंत्री आशीष सूद द्वारा पेश किए गए इस विधेयक का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी में निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि को विनियमित करना है।
विधेयक लगभग चार घंटे तक चली लंबी बहस और शोरगुल के बाद पारित हो गया।
आतिशी पर निशाना साधते हुए सूद ने पहले के विधेयक के प्रावधानों का मजाक उड़ाया और सवाल किया कि वे प्रावधान कहां हैं जिनकी अब नेता प्रतिपक्ष और उनकी पार्टी के विधायक मांग कर रहे हैं।
सूद ने कहा कि उनके द्वारा प्रस्तुत विधेयक में राष्ट्रीय राजधानी के सभी मान्यता प्राप्त, गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से फीस वृद्धि को रोकने के लिए एक मजबूत नियामक ढांचे की व्यवस्था की गई है।
आतिशी ने आरोप लगाया कि यह विधेयक स्कूली बच्चों के अभिभावकों के हित में नहीं है।
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