उत्तरकाशी: बचाव अभियान पांचवें दिन भी जारी, 1000 से अधिक लोग हवाई मार्ग के जरिये निकाले गए
संतोष माधव
- 09 Aug 2025, 09:24 PM
- Updated: 09:24 PM
उत्तरकाशी, नौ अगस्त (भाषा) उत्तरकाशी में आपदा प्रभावित धराली के आसपास के इलाकों से लोगों को निकालने के लिए शनिवार को भी कई हेलीकॉप्टर उड़ान भरते नजर आए। बचाव अभियान पांचवें दिन भी जारी रहा और अब तक कुल 1000 से अधिक लोगों को हवाई मार्ग के जरिये निकाला गया है।
फिलहाल सड़क संपर्क में सुधार और प्रभावित लोगों को भोजन के पैकेट उपलब्ध कराने पर जोर दिया जा रहा है।
एसडीआरएफ का श्वान दस्ता मंगलवार को खीर गंगा में हुए विनाशकारी भूस्खलन के बाद लापता लोगों की तलाश में मलबे से भरी जर्जर इमारतों में भटकता दिखा।
भूस्खलन ने धराली बाजार को तहस-नहस कर दिया और होटल और होमस्टे समेत अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को बहा ले गया जिससे कई लोगों की मौत हो गई।
एसडीआरएफ श्वान दस्ते और पीड़ितों का पता लगाने वाले ‘थर्मल इमेजिंग’ कैमरों जैसे अत्याधुनिक उपकरणों की मदद से क्षतिग्रस्त इमारतों में गहन खोज करके धराली में मलबे में फंसे लोगों की तलाश कर रहा है।
उत्तराखंड के डीजीपी दीपम सेठ ने प्रभावित इलाकों का मौके पर निरीक्षण करने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘फंसे हुए लोगों को तेजी से निकालने के अलावा, हमें लापता लोगों की खोज और बचाव पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा।’’
जिला प्रशासन ने इस त्रासदी में चार लोगों की मौत, दो शव बरामद होने और आपदा के बाद से 49 लोगों के लापता होने की पुष्टि की है।
भारतीय वायुसेना के चिनूक और एआई-17 हेलीकॉप्टर के अलावा उत्तराखंड नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के कई हेलीकॉप्टर ने जिले के विभिन्न स्थानों पर शरण लिए हुए लोगों को बचाने के लिए सुबह से ही उड़ानें भरनी शुरू कर दीं।
लोगों को निकालने का काम बुधवार को शुरू होने के बाद से शनिवार शाम तक धराली और हर्षिल के आसपास से 1,000 से अधिक लोगों को हवाई मार्ग से निकाला गया है। हर्षिल स्थित एक सैन्य शिविर भी अचानक आई बाढ़ में क्षतिग्रस्त हो गया था और उसके नौ जवान लापता हो गए थे।
हर्षिल के एक निवासी ने बताया कि पांच अगस्त की शाम को मंदाकिनी घाट पर भारी मात्रा में मलबा जमा होने के कारण नदी का प्रवाह प्रभावित हुआ था।
गोविंद राम भंडारी ने कहा, ‘‘यहां सेना का आधार शिविर है। हम भगोरी से हैं और वहां स्थिति सामान्य है, लेकिन हर्षिल के आगे कुछ ‘होमस्टे’ बाढ़ में बह गए हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यहां मोबाइल नेटवर्क भी नहीं था। कल ही कनेक्टिविटी बहाल हुई है। अभी भी बिजली नहीं है और पीने के पानी को लेकर कुछ दिक्कतें हैं - बाढ़ के कारण गंदा पानी आ रहा है।’’
गंगनानी के पास लिंचीगाड में बेली सेतु का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है ताकि प्रभावित इलाकों में सड़क संपर्क बेहतर बनाया जा सके। गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडे ने बताया कि इसके रविवार शाम तक बनकर तैयार होने की संभावना है।
बेली सेतु एक तरह का मॉड्यूलर सेतु होता है जिसे पहले से बने पुर्जों को जोड़कर जल्दी से तैयार किया जा सकता है।
गंगोत्री राजमार्ग कई जगहों पर अवरुद्ध है या टूटा हुआ है, जिससे बाढ़ से तबाह हुए इलाके में पड़े टनों मलबे के बीच लापता लोगों की तलाश के लिए आवश्यक उन्नत उपकरणों को पहुंचाने के प्रयासों में बाधा आ रही है।
उत्तरकाशी में तीन दिनों तक बचाव कार्यों की बारीकी से निगरानी करने के बाद देहरादून लौटे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को धराली आपदा में मारे गए लोगों के परिजनों और अपने घर गंवाने वालों को पांच-पांच लाख रुपये की तत्काल सहायता देने की घोषणा की।
उन्होंने आपदा से प्रभावित ग्रामीणों के पुनर्वास, समग्र पुनरुद्धार और स्थायी आजीविका को सुदृढ़ करने के लिए एक तीन-सदस्यीय समिति के गठन की भी घोषणा की।
सचिव (राजस्व) की अध्यक्षता वाली यह समिति एक सप्ताह के भीतर सरकार को अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
यह समिति धराली गांव के भविष्य के लिए एक दीर्घकालिक और प्रभावी नीति का खाका तैयार करेगी, ताकि स्थानीय समुदाय की सुरक्षा और आजीविका सुनिश्चित की जा सके।
धामी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘आपदा प्रभावित क्षेत्र धराली (उत्तरकाशी) में फंसे बड़ी संख्या में लोगों को राहत एवं बचाव दल द्वारा सुरक्षित निकाला गया है जिनमें स्थानीय निवासियों के साथ-साथ अन्य राज्यों के श्रद्धालु शामिल हैं।’’
उन्होंने बचाव कार्यों में केंद्र का पूर्ण सहयोग और समर्थन मिलने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भी आभार व्यक्त किया।
धामी ने कहा कि मकान, जमीन, खेती और अन्य नुकसान के लिए मुआवजे का आकलन शुरू हो गया है और अगले दो-तीन दिनों में मुआवजा वितरण शुरू किया जाएगा।
धामी ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता घाटी में फंसे सभी लोगों को सुरक्षित निकालना है, जो लगभग पूरा हो चुका है। इसके साथ ही मकान, खेत, कृषि और अन्य तरह की चीजों से जुड़े नुकसान का विस्तृत सर्वेक्षण चल रहा है ताकि शेष मुआवजा जल्द ही दिया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सामुदायिक रसोई के माध्यम से प्रभावित परिवारों तक भोजन, राशन, आपातकालीन लाइट, कपड़े और अन्य आवश्यक वस्तुएं लगातार पहुंचाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि गांव में बिजली और नेटवर्क व्यवस्था बहाल कर दी गई है और जल्द ही सड़क मार्ग भी यातायात के लिए सुचारू कर दिया जाएगा।
धामी ने कहा कि राज्य सरकार इस कठिन समय में हर प्रभावित परिवार के साथ खड़ी है और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी।
भाषा संतोष